अपभ्रंश (Apbhransh) = Appendage
अपभ्रंश ^1 संज्ञा पुं॰
1. पतन । गिराव ।
2. बिगाड । विकृति
3. बिगड़ा हुआ शब्द ।
4. प्राकृत बोलियों (भाषा) का विकृत । स्वरुप [को॰] ।
5. प्राकृत भाषा के बाद की भाषा [को॰] । अपभ्रंश ^2 वि॰ विकृत । बिगाड़ हुआ ।
अपभ्रंश ^1 संज्ञा पुं॰
1. पतन । गिराव ।
2. बिगाड । विकृति
3. बिगड़ा हुआ शब्द ।
4. प्राकृत बोलियों (भाषा) का विकृत । स्वरुप [को॰] ।
5. प्राकृत भाषा के बाद की भाषा [को॰] ।
अपभ्रंश, आधुनिक भाषाओं के उदय से पहले उत्तर भारत में बोलचाल और साहित्य रचना की सबसे जीवंत और प्रमुख भाषा (समय लगभग छठी से 12वीं शताब्दी)। भाषावैज्ञानिक दृष्टि से अपभ्रंश भारतीय आर्यभाषा के मध्यकाल की अंतिम अवस्था है जो प्राकृत और आधुनिक भाषाओं के बीच की स्थिति है। अपभ्रंश के कवियों ने अपनी भाषा को केवल 'भासा', 'देसी भासा' अथवा 'गामेल्ल भासा' (ग्रामीण भाषा) कहा है, परंतु संस्कृत के व्याकरणों और अलंकारग्रंथों में उस भाषा के लिए प्रायः 'अपभ्रंश' तथा कहीं-कहीं 'अपभ्रष्ट' संज्ञा का प्रयोग किया गया है। इस प्रकार अपभ्रंश नाम संस्कृत के आचार्यों का दिया हुआ है, जो आपाततः तिरस्कारसूचक प्रतीत होता है। महाभाष्यकार पतंजलि ने जिस प्रकार 'अपभ्रंश' शब्द का प्रयोग किया है उससे पता चलता है कि संस्कृत या साधु शब्द के लोकप्रचलित विविध रूप अपभ्रंश या अपशब्द कहलाते थे। इस प्रकार प्रतिमान से च्युत, स्खलित, भ्रष्ट अथवा विकृत शब्दों को अपभ्रंश की संज्ञा दी गई और आगे चलकर यह संज्ञा पूरी भाषा के लिए स्वीकृत हो गई। दंडी (सातवीं शती) के कथन से इस तथ्य की पुष्टि होती है। उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि शास्त्र अर्थात् व्याकरण शास्त्र में संस्कृत से इतर शब्दों को अपभ्रंश कहा जाता है; इस प्रकार पालि-प्राकृत-अपभ्रंश सभी के शब्द 'अपभ्रंश' संज्ञा के अंतर्गत आ जाते हैं, फिर भी पालि प्राकृत को 'अपभ्रंश' नाम नहीं दिया गया। पतंजलि आदि विद्वानों ने प्राकृत और अपभ्रंश नामों का प्रयोग समान अर्थ में किया है। परन्तु भरतमुनि का नाट्यशास्त्र प्रथम ऐसी रचना है जिसमें अपभ्रंश का वास्तविक संदर्भ मिलता है (आधुनिक अर्थ में)। वहाँ आभीरों की बोली को, जिसमें -उ का प्रयोग बहुतायत में मिलता है, अपभ्रंश कहा गया है (उस स्थान पर अपभ्रंश के समकक्ष शब्द विभ्रष्ट का प्रयोग है)। दंडी ने
Hindi Dictionary. Devnagari to roman Dictionary. हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा शब्दकोष। देवनागरी और रोमन लिपि में। एक लाख शब्दों का संकलन। स्थानीय और सरल भाषा में व्याख्या।
किस भाषा का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ
अपभ्रंश और पुरानी हिन्दी का संबंध
पश्चिमी भारत के क्षेत्र में अपभ्रंश भाषा के तीन रूप जैसे - 1. नागर 2. बाचड़ और 3. उपनगर में से अपभ्रंश से किस भाषा के आधुनिक काल का प्रारम्भ 19वीं सदी के मध्य से होता है ?
अपभ्रंश का साहित्य
अपभ्रंश भाषा का विकास
Apbhransh meaning in Gujarati: વિકૃતિ
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Apbhransh meaning in Marathi: विकृती
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Apbhransh meaning in Bengali: বিকৃতি
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Apbhransh meaning in Telugu: ఉల్లంఘన
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Apbhransh meaning in Tamil: பிறழ்வு
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