कोमा (Coma) = Coma
चिकित्सा के क्षेत्र में निश्चेतनता (Coma = गहरी नींद) असामान्य गाढ़ी तंद्रा की दशा है, जो किसी रोग के काल में या उसके फलस्वरूप किसी विषम आघात से उत्पन्न हो सकती है। इसमें चेतना पूर्णत: नष्ट हो जाती है और बहुत काल तक वैसी निश्चेतनता की दशा बनी रहती है। किसी भी बाह्य उद्दीपन से रोगी की निश्चेतनता दूर नहीं की जा सकती। कोमा की दशा में व्यक्ति जगाया नहीं जा सकता; दर्द या प्रकाश आदि से उस पर कोई असर नहीं होता; निद्रा-जागृति का चक्र का इससे कोई सम्बन्ध नहीं है; व्यक्ति ऐच्छिक क्रियाएँ करना बन्द कर देता है। निश्चतनता के मुख्य कारण ये हैं :निश्चेतनता के कारण का निदान करने के लिए दो बातें आवश्यक हैं : 1 निश्चेतनता के पहले रोगी की प्रत्यक्ष देखी दशा का ज्ञान तथा 2. रोगी का शारीरिक परीक्षण। निश्चेतनता के रोगी की सतर्क देखभाल बहुत आवश्यक है। रोग के अतिरिक्त उसको अन्य कई प्रकार से हानि पहुँच सकती है। प्राथमिक चिकित्सा में निम्नलिखित बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए :1. श्वास मार्ग को स्वच्छ और खुला रखना आवश्यक है। रोगी को करवट के बल लिटाना चाहिए, पीठ के बल नहीं। जिह्वा को सामने खींचकर रखना चाहिए जिससे वह पीछे गिरकर श्वास मार्ग को रोक न दें और बगल के दाँतों से कट न जाए। स्राव भी गले में एकत्र न होने पाए। ऑक्सीजन भी दिया जा सकता है। 2. रोगी का निर्जलीकरण रोकने के लिए उसे पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाना चाहिए। आवश्यक होने पर अंत: शिरा द्वारा द्रव दिया जा सकता है। 3. रबर की नासिकानलिका (nasal tube) द्वारा, रोग के दीर्घकालिक होने पर, उच्च कैलोरी वाला आहार पर्याप्त मात्रा में देना उचित है। 4. त्वचा, कोष्ठवद्धता और आँतों की ओर भी ध्यान देना चाहिएरोगी को अस्पताल या किसी डॉक्टर के पास शीघ्र ही पहुँचा देना चाहिए और डॉक्टर से प्रत्यक्ष देखा हुआ सारा हाल बता देना चाहिए। कारण के निदान पर चिकित्सा निर्भर करती है। भिन्न भिन्न कारणों के अनुसार चिकित्सा के आयोजन भी भिनन होते हैं। कारण की ठीक जानकारी तथा विशेष चिकित्सा के लिए विशिष्ट परीक्षाएँ, जैसे शर्करा के लिए मूत्र परीक्षा, रुधिर दाब, कटि वेधन (lumbar puncture) इत्यादि आवश्यक हैं।
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