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= श्लोक() (ShLok)
श्लोक संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. शब्द । ध्वनि । आवाज ।
२. पुकार । आह्वान ।
३. स्तोत्र । स्तुति ।
४. पद्यबद्ध कीर्तिगान या प्रशंसा ।
५. स्तवन या प्रशसा का विषय वा आस्पद (को॰) ।
६. नाम । कीर्ति । यश । जैसे,—पुण्यश्लोक ।
७. संस्कृत का सबसे अधिक व्यवहृत छंद । अनुष्टुभ छंद ।
८. संस्कृत का कोई पद्य ।
९. किंवदंनी । कहावत (को॰) ।
१०. इष्टमित्र (को॰) । यौ॰—श्लोककार = कवि । छंदबद्ध कविता करनेवाला । श्लोक- निबद्ध, श्लोकबद्ध = छंदबद्ध । पद्यबद्ध । श्लोकभू = ध्वनि या शब्द से उत्पन्न होनेवाला ।
संस्कृत की दो पंक्तियों की रचना, जिनके द्वारा किसी प्रकार का कथोकथन किया जाता है, श्लोक कहलाता है। श्लोक प्रायः छंद के रूप में होते हैं अर्थात् इनमें गति, यति और लय होती है। छंद के रूप में होने के कारण ये आसानी से याद हो जाते हैं। प्राचीनकाल में ज्ञान को लिपिबद्ध करके रखने की प्रथा न होने के कारण ही इस प्रकार का प्रावधान किया गया था। श्लोक 'अनुष्टुप छ्न्द' का पुराना नाम भी है। किन्तु आजकल संस्कृत का कोई छंद या पद्य 'श्लोक' कहलाता है। १. आवाज, ध्वनि, शब्द। २. पुकारने का शब्द, आह्वान, पुकार। ३. प्रशंसा, स्तुति। ४. कीर्ति, यश। ५. किसी गुण या विशेषता का प्रशंसात्मक कथन या वर्णन। जैसे—शूर-श्लोक अर्थात् शूरता का वर्णन।
श्लोक meaning in english
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