alluvial
= कछारी() (Kachhari)
कछारी (असमिया: কছাৰী) मध्यकालीन असम का एक शक्तिशाली राज्य था। असम राज्य के उत्तरी असम-भूटान-सीमावर्ती कामरूप और दरंग जिले वर्तमान कछारी या 'बोड़ो' कबीले का मुख्य निवास स्थान हैं। असम राज्य की कुछ नदियों एवं प्राकृतिक विभागों के नाम कछारी मूल के हैं जिससे अनुमान होता है कि अतीत में कछारी कबीले का प्रसार संपूर्ण असम में रहा होगा। सन् 1911 में फ़ादर एंडल ने वास्तविक कछारियों के पड़ोसी राभा, मेछ, धीमल, कोच, मछलिया, लालुंग तथा गारो कबीलियों की गणना भी बृहद् कछारी प्रजाति (रेस) के अंतर्गत की थी और असम के 10,00,000 व्यक्तियों को इस श्रेणी में रखा था। किंतु बाद की जनगणनाओं और नृतात्विक अध्ययन के प्रकाश में यह मत तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता। कछारी मंगोल प्रजाति के हैं। मोटे तौर पर इनका पारिवारिक जीवन पड़ोसी हिंदुओं से अधिक भिन्न नहीं है। जीवननिर्वाह का मुख्य साधन कृषि है। दो प्रकार का धान, 'मैमा' और 'मैसा', दाल, रुई, ईख और तंबाकू इनकी प्रधान फसलें हैं। हाल में ये चाय बगान और कारखानों में मजदूरी पेशे की ओर भी आकृष्ट हुए हैं। खान-पान में खाद्यान्नों के अतिरिक्त सुअर के मांस, सूखी मछली ('ना ग्रान') और चावल की शराब 'जू' का इनमें अधक प्रचलन है। कुछ समय पूर्व तक कछारियों में दूध पीना ही नहीं वरन् छूना भी वर्जित था। मछली मारना पुरुष तथा स्त्री दोनों का धंधा है। किंतु सामूहिक आखेट में केवल पुरुष ही भाग लेते हैं। रेशम के कीड़े पालना और कपड़ा बुनना स्त्रियों का काम है। समाज में स्त्रियों का स्थान सामान्यत: उच्च है। कछारी बहुत से बहिर्विवाही (एक्सोगैमस) और टोटमी कुलों (क्लैन्स) में विभाजित हैं। प्रत्येक कुल के सदस्यों द्वारा टोटमी पशु का वध वर्जित है। कबीली अंतर्विवाही विधान अचल नहीं है। निकटवर्ती राभा, कोच और सरनिया कबीलों से विवाह संभव है किंतु प्रतिष्ठित नहीं। विधुर अपनी छोटी साली से विवाह कर सकता है और विधवा अधकतर अपने देवर से विवाह करती है। सामान्यताया एकपत्नी कछारियों में भी अधिक धनी वर्ग के पुरष या संतानहीन व्यक्ति बहुपत्नीत्व अपनाते हैं। विवाह के लिए पति पत्नी, दोनों की पारस्परिक सम्मति आवश्यक है। शादी विवाह और संपत्ति से संबंधित सभी झगड़ों का निर्णय गाँव के गण्यमान्य व्यक्तियों की सभा के हाथ में होता है। कछारियों के धर्म का सर्वप्रधान लक्षण आत्मावाद, अर
कछारी meaning in english
कछारी मिट्टी
राजस्थान में किस जिले में कछारी मिट्टी नहीं पाई जाती है ?
गंगा के मैदान की पुरानी कछारी मिट्टी कहलाती है -
गंगा के मैदानों की पुरानी कछारी मिट्टी कहलाती हैं -
भूरी कछारी मिट्टी पाई जाती है -
alluvial
meaning in Gujarati: કાંપવાળું
Translate કાંપવાળું
alluvial
meaning in Marathi: जलोळ
Translate जलोळ
alluvial
meaning in Bengali: পলিমাটি
Translate পলিমাটি
alluvial
meaning in Telugu: ఒండ్రుమట్టి
Translate ఒండ్రుమట్టి
alluvial
meaning in Tamil: வண்டல்
Translate வண்டல்