Dayaram
= दयाराम() (DayaRam)
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दयाराम (1767-1852 ई) मध्यकालीन गुजराती भक्ति-काव्य परंपरा के अंतिम महत्वपूर्ण वैष्णव कवि थे। उनके अवसान के साथ मध्यकाल और कृष्ण-भक्ति-काव्य दोनों का पर्यवसान हो गया। इस युगपरिवर्तन के चिह्न-कुछ कुछ दयाराम के काव्य में ही लक्षित होते हैं। भक्ति का वह तीव्र भावावेग एवं अनन्य समर्पणमयी निष्ठा जो नरसी और मीरा के काव्य में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है उनकी रचनाओं में उस रूप में प्राप्त नहीं होती। उसके स्थान पर मानवीय प्रेम और विलासिता का समावेश हो जाता है यद्यपि बाह्य रूप परंपरागत गोपी-कृष्ण लीलाओं का ही रहता है। इसी संक्रमणकालीन स्थिति को लक्षित करते हुए गुजरात के प्रसिद्ध इतिहासकार-साहित्यकार कन्हैयालाल माणकलाल मुंशी ने अपना अभिमत व्यक्त किया कि "दयारामनुं" भक्तकवियों मां स्थान न थी, प्रणयना अमर कवियोमां छे। यह कथन अत्युक्तिपूर्ण होते हुए भी दयाराम के काव्य की आंतरिक वास्तविकता की ओर स्पष्ट इंगित करता है। दयाराम का जन्म नर्मदातटवर्ती साठोदरा के चांदोद नामक ग्राम में प्रभुराम नागर के घर हुआ था। बाल्यकाल में ही अनाथ हो जाने के कारण उनका प्रारंभिक जीवन अस्तव्यस्ता में बीता। पहले वे केशवानंद संन्यासी के शिष्य हुए, फिर इच्छाराम भट्ट के, जो पुष्टिमार्गीय वैष्णव थे। दयाराम ने अनेक बार तीर्थयात्रा के उद्देश्य से भारत-भ्रमण किया। मथुरा वृंदावन की कृष्णभक्ति तथा अष्टछाप के कवियों के ब्रजसाहित्य ने उन्हें विशेष आकर्षित किया। ब्रज में ही उन्होंने वल्लभ संप्रदाय के तत्कालीन गोस्वामी श्री वल्लभलाल जी से दीक्षा ग्रहण की तथा आजीवन पुष्टिमार्गीय बने रहे। "अनुभवमंजरी" नामक अपनी रचना में दयाराम ने स्वयं को नंददास का अवतार माना है। उनमें मित्रप्रेमी नंददास जैसी रसिकता यथेष्ट मात्रा में थी इसमें संदेह नहीं, क्योंकि उन्होंने भी बालविधवा रतनबाई के प्रति अपने लौकिक प्रेम को आध्यात्मिक उपासना का विरोधी नहीं माना और उसके गुरु का समर्थन तक प्राप्त किया। वे अष्टछाप के कवियों की तरह स्वयं संगीतज्ञ भी थे तथा उन्होंने गोपी प्रेम से परिप्लावित बहुतसंख्य पद (गरबी) रचे हैं। भावसमृद्धि की दृष्टि से उनका गरबी साहित्य गुजरात मे विशेष लोकप्रिय एवं समादृत रहा है। बड़ौदा के धनिक गोपालदास की ओर से प्राप्त गणपतिवंदना के प्रस्ताव को उन्होंने "एक वयों गोपीजनवल्लभ, नहिं स्वामी बीजो रे" ल
दयाराम meaning in english
सन् 1936 - 37 में प्रथम बार दयाराम साहनी द्वारा तथा पुनः 1962 - 63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किस पुरातात्विक स्थल में उत्खनन कार्य किया गया -
रूपसिंह शेखावत , दयाराम , तारा , शर्मा , सांगीलाल सांगडिया आदि किस नृृत्य के प्रभुत्व नर्तक है -
Dayaram
meaning in Gujarati: દયારામ
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Dayaram
meaning in Marathi: दयाराम
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Dayaram
meaning in Bengali: দয়ারাম
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Dayaram
meaning in Telugu: దయారామ్
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Dayaram
meaning in Tamil: தயாராம்
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