Bawadi
= बावड़ी() (Bavadi)
बावड़ी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ बाप + हिं॰ ड़ी (प्रत्य॰)]
१. वह चौड़ा औ र बड़ा कुआँ जिसमें उतरने के लिये सीढ़ियाँ होती हैं । बावली ।
२. छोटा तालाब । उ॰—क्या पोखर क्या कुआँ बावड़ी क्या खाइँ क्या कोर । —कबीर श॰, भा॰ ३, पृ॰ ७३ ।
[[चित्र:Agrasen Ki Baoli (Ugrasen Ki Baoli).JPG|right|300px|thumb|अग्रसेन की बावली, नई दिल्लीबावड़ी या बावली उन सीढ़ीदार कुँओं या तालाबों को कहते हैं जिन के जल तक सीढ़ियों के सहारे आसानी से पहुँचा जा सकता है। भारत में बावड़ियों के निर्माण और उपयोग का लम्बा इतिहास है। कन्नड़ में बावड़ियों को 'कल्याणी' या पुष्करणी, मराठी में 'बारव' तथा गुजराती में 'वाव' कहते हैं। संस्कृत के प्राचीन साहित्य में इसके कई नाम हैं, एक नाम है-वापी। इनका एक प्राचीन नाम 'दीर्घा' भी था- जो बाद में 'गैलरी' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा। वापिका, कर्कन्धु, शकन्धु आदि भी इसी के संस्कृत नाम हैं। जल प्रबन्धन की परम्परा प्राचीन काल से हैं। हड़प्पा नगर में खुदाई के दौरान जल संचयन प्रबन्धन व्यवस्था होने की जानकारी मिलती है। प्राचीन अभिलेखों में भी जल प्रबन्धन का पता चलता है। पूर्व मध्यकाल और मध्यकाल में भी जल सरंक्षण परम्परा विकसित थी। पौराणिक ग्रन्थों में तथा जैन बौद्ध साहित्य में नहरों, तालाबों, बाधों, कुओं बावडियों और झीलों का विवरण मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जल प्रबन्धन का उल्लेख मिलता है। चन्द्रगुप्त मौर्य के जूनागढ़ अभिलेख में सुदर्शन झील और कुछ वापियों के निर्माण का विवरण प्राप्त है। इस तरह भारत में जल संसाधन की उपलब्धता एवं प्राप्ति की दृष्टि से काफी विषमताएँ मिलती हैं, अतः जल संसाधन की उपलब्धता के अनुसार ही जल संसाधन की प्रणालियाँ विकसित होती हैं। बावड़ियां हमारी प्राचीन जल संरक्षण प्रणाली का आधार रही हैं- प्राचीन काल, पूर्वमध्यकाल एवं मध्यकाल सभी में बावडि़यों के बनाये जाने की जानकारी मिलती है। दूर से देखने पर ये तलघर के रूप में बनी किसी बहुमंजिला हवेली जैसी दृष्टिगत होती हैं। बावड़ियों को सर्वप्रथम हिन्दुओं द्वारा (जनोपयोगी शिल्पकला के रूप में) विकसित किया गया और उसके पश्चात मुस्लिम शासकों ने भी इसे अपनाया। बावड़ी-निर्माण की परम्परा कम से कम छठी शताब्दी में गुजरात के दक्षिण-पश्चिमी भाग में आरम्भ हो चुकी थी। धीरे-धीरे ऐसे कई निर्माण-कार्
बावड़ी meaning in english
बीनोता की बावड़ी स्थित है -
राजस्थान में वापी अर्थात बावड़ी के निर्माण सम्बन्धी विस्तृत जानकारी किस ग्रंथ से मिलती है ?
नौलखा / नवलखा बावड़ी किस जिले में स्थित है ?
परचा बावड़ी स्थित है -
चाँद बावड़ी जोधपुर
Bawadi
meaning in Gujarati: સ્ટેપવેલ
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Bawadi
meaning in Marathi: स्टेपवेल
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Bawadi
meaning in Bengali: স্টেপওয়েল
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Bawadi
meaning in Telugu: స్టెప్వెల్
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Bawadi
meaning in Tamil: படித்துறை
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