Kirtilata
= कीर्तिलता() (KirtiLata)
कीर्तिलता, विद्यापति की ऐतिहासिक रचना है। महाकवि विद्यापति कई भाषाओं के ज्ञाता थे। इनकी अधिकांश रचना संस्कृत एवं अवहट्ट में है। वे ऐसे समय में हुए जब चिन्तन की भाषा संस्कृत और साहित्य की भाषा अपभ्रंश थी। 'कीर्तिलता' और 'कीर्तिपताका' इनकी अवहट्ट रचनाएँ हैं, जिनमें इनके आश्रयदाता कीर्ति सिंह की वीरता, उदारता और गुण ग्राहकता का वर्णन कीर्ति कीर्तन किया है। परवर्ती अपभ्रंश को ही संभवत: विद्यापति ने 'अवहट्ठ' कहा है। विद्यापति के पूर्व अद्दहयाण (अब्दुल रहमान) ने भी ‘सन्देशरासक’ की भाषा को अवहट्ट ही कहा था। कीर्तिलता विद्यापति की आरम्भिक और पहली रचना मानी जाती है, यद्यपि विद्वान इससे असहमत भी हैं. कहते हैं क़ि इसे उन्होंने, कदाचित्, सोलह वर्ष की उम्र में लिखा था। प्रौढ़ होने पर उन्होंने अपभ्रंश को छोड़ दिया तथा कविताएँ वे मैथिली में तथा शास्त्रीय निबन्ध संस्कृत में लिखने लगे। यह ग्रन्थ प्राचीन काव्य रुढियों के अनुरुप भृंग भृंगी संवाद के रुप में लिखा गया है।
कीर्तिलता meaning in english
Kirtilata
meaning in Gujarati: કીર્તિલતા
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Kirtilata
meaning in Marathi: कीर्तिलता
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Kirtilata
meaning in Bengali: কীর্তিলতা
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Kirtilata
meaning in Telugu: కీర్తిలత
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Kirtilata
meaning in Tamil: கீர்த்திலதா
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