Rudraprayag
= रुद्रप्रयाग() (RudraPrayaag)
रुद्रप्रयाग संज्ञा पुं॰ [सं॰] हिमालय के एक तीर्थ का नाम जो गढ़वाल जिले में है ।
रुद्रप्रयाग भारत के उत्तरांचल राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में एक शहर तथा नगर पंचायत है। रुद्रप्रयाग अलकनंदा तथा मंदाकिनी नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा देवप्रयाग में जाकर भागीरथी से मिलती है तथा गंगा नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है। भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलखनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है। इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यहां स्थित शिव और जगदम्बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थानों में से है। निर्देशांक: 30°17′N 78°59′E / 30.28°N 78.98°E / 30.28; 78.98रूद्रप्रयाग से अगस्त्यमुनि की दूरी 18 किलोमीटर है। यह समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह वहीं स्थान है जहां ऋषि अगस्त्य ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। इस मंदिर का नाम अगस्तेश्रवर महादेव ने ऋषि अगस्त्य के नाम पर रखा था। बैसाखी के अवसर पर यहां बहुत ही बड़ा मेला लगता है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और अपने इष्ट देवता से प्रार्थना करते हैं। गुप्तकाशी का वहीं महत्व है जो महत्व काशी का है। यहां गंगा और यमुना नदियां आपस में मिलती है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांण्डव भगवान शिव से मिलना चाहते थे और उनसे आर्शीवाद प्राप्त करना चाहते हैं। लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे इसलिए वह गुप्ताकाशी से केदारनाथ चले गए। गुप्तकाशी समुद्र तल से 1319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक स्तूप नाला पर स्थित है जो कि ऊखीमठ के समीप स्थित है। कुछ स्थानीय निवासी इसे राणा नल के नाम से बुलाते हैं। इसके अलावा पुराना विश्वनाथ मंदिर, अराधनेश्रवर मंदिर और मणिकारनिक कुंड गुप्तकाशी के प्रमुख आकर्षण केन्द्र है। सोनप्रयाग
रुद्रप्रयाग meaning in english