Vajrasana
= वज्रासन() (Vajrasan)
वज्रासन संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. हठ योग के चौरासी आसनों में से एक जिसमें गुदा और लिग के मध्य के स्थान को बाएँ पैर की एड़ी से दबाकर उसके ऊपर दाहिना पैर रखकर पालथी लगाकर बैठते है ।
२. वह शिला जिसपर बैठकर बुद्धदेव ने बुद्धत्व लाभ किया था । यह गया जी में बोधिद्रुम के नीचे थी ।
यह ध्यानात्मक आसन हैं। मन की चंचलता को दूर करता है। भोजन के बाद किया जानेवाला यह एक मात्र आसन हैं। इसके करने से अपचन, अम्लपित्त, गैस, कब्ज की निवृत्ति होती है। भोजन के बाद 5 से लेकर 15 मिनट तक करने से भोजन का पाचक ठीक से हो जाता है। वैसे दैनिक योगाभ्यास मे 1-3 मिनट तक करना चाहिए। घुटनों की पीड़ा को दूर करता है। इस्के करने से आप पाते है विर्य व्रिधि ओर ब्रह्म्च्र्य कि सुरक्शा। विधिदोनों घुटने सामने से मिले हों | पैर की एडियाँ बाहर की और पंजे अन्दर की और हों | बायें पैर के अंगूठे के आस पास मैं दायें पैर का अंगूठा | दोनों हाथ घुटनों के ऊपर |
वज्रासन meaning in english
Vajrasana
meaning in Gujarati: વજ્રાસન
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Vajrasana
meaning in Marathi: वज्रासन
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Vajrasana
meaning in Bengali: বজ্রাসন
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Vajrasana
meaning in Telugu: వజ్రాసనం
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Vajrasana
meaning in Tamil: வஜ்ராசனம்
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