Maheshwari
= माहेश्वरी() (Maheshwari)
माहेश्वरी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. दुर्गा ।
२. एक मातृका का नाम ।
३. एक पीठ का नाम ।
४. यवतिक्ता । शंखिनी लता (को॰) ।
५. एक नदी का नाम ।
६. वैश्यों की एक जाति ।
माहेश्वरी (English : Maheshwari) धर्म के अनुयायियों को माहेश्वरी कहते हैं। इसे कभी-कभी मारवाड़ी या राजस्थानी भी लिखा जाता है। मान्यता के अनुसार माहेश्वरीयों की उत्पत्ति (वंश) भगवान महेश के कृपा-आशीर्वाद से ही हुवा है इसलिए 'श्री महेश परिवार' (भगवान महेशजी, माता पार्वती एवं गणेशजी) को माहेश्वरीयों के (माहेश्वरी वंश के) कुलदेवता / कुलदैवत माना जाता है। माहेश्वरीयों के धार्मिक स्थान को मंदिर (महेश मंदिर) कहते हैं। भारत की आजादी की लड़ाई में और भारत की आर्थिक प्रगति में माहेश्वरीयों का बहुत बड़ा योगदान है। जन्म-मरण विहीन एक ईश्वर (महेश) में आस्था और मानव मात्र के कल्याण की कामना माहेश्वरी धर्म के प्रमुख सिद्धान्त हैं। माहेश्वरी समाज सत्य, प्रेम और न्याय के पथ पर चलता है। शरीर को स्वस्थ-निरोगी रखना, कर्म करना (मेहनत और ईमानदारी से काम करना), बांट कर खाना और प्रभु की भक्ति (नाम जाप एवं योग साधना) करना इसके आधार हैं। माहेश्वरी अपने धर्माचरण का पूरी निष्ठा के साथ पालन करते है तथा वह जिस स्थान / देश / प्रदेश में रहते है वहां की स्थानिक संस्कृति का पूरा आदर-सम्मान करते है, इस बात का ध्यान रखते है; यह माहेश्वरी समाज की विशेष बात है। आज दुनियाभर के कई देशों में और तकरीबन भारत के हर राज्य, हर शहर में माहेश्वरीज बसे हुए है और अपने अच्छे व्यवहार के लिए पहचाने जाते है। माहेश्वरी उत्पत्ति के समय माहेश्वरीयों के गुरु बनाये गए थे। इन गुरुओं ने माहेश्वरी धर्म के निशान (प्रतीक चिह्न) का एक स्वरूप बनाया था। आजकल लगभग सभी माहेश्वरी पत्र-पत्रिकाओं, वैवाहिक कार्ड, दीपावली कार्ड, आमंत्रण-पत्र एवं अन्य कार्यक्रमों की पत्रिकाओं में इस निशान (प्रतीक चिह्न) का प्रयोग किया जाता है। यह निशान (प्रतीक चिह्न) हमारी अपनी परम्परा में श्रद्धा एवं विश्वास का द्योतक है। माहेश्वरी निशान (प्रतीक चिह्न) कई मूल भावनाओं को अपने में समाहित करता है। यह माहेश्वरी समाज का एक पवित्र निशान (प्रतीक चिह्न) है, जिसमें एक त्रिशूल और त्रिशूल के बीच के पाते में एक वृत्त तथा वृत्त के बीच ॐ (प्रणव) होता है। त्रिशूल धर्मरक्षा क
माहेश्वरी meaning in english
माहेश्वरी , ओसवाली , बीकानेरी , नागौरी , गौड़वाड़ी , थली , ढटकी आदि उपबोलियां किस बोली से सम्बन्धित है ?
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राजस्थान में हिन्दू पंचांग के अनुसार माहेश्वरी समाज रक्षा बंधन का त्यौहार कब मनाता है ?