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= लाह() (Laah)
लाह पु ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ लाक्षा] लाख । चपड़ा । लाही । उ॰— जाकी बाँकी वीरता सुनत सहमत धीर जाकी आँच अजहु लसत लंक लाह सी । —तुलसी (शब्द॰) । लाह ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ लाभ, हिं॰ लाख] लाभ । फायदा । नफा । उ॰—(क) दावा धरि पाहरू को आवागौन मिसि ताके भानु ससि अभिमति लाहा में फिरत हैं । —चरण (शव्द॰) । (ख) सारहि सव्द विचारिए सोइ सब्द सुख देय । अनसमझा सब्देक है कछू न लाहा लेय । —कबीर (शब्द॰) । (ग) लहि जीवनमूरि को लाह अली वै भले जुग चारि लौं जीवो करैं । —द्विजदेव (शब्द॰) । (घ) मैं तुमसों कहि राखत हौं यह मान किए कछु ह्वै है न लाहे । —रघुनाथ (शब्द॰) । लाह ^३ संज्ञा स्त्री॰ [? या सं॰ लाभ] चमक । आभा । कांति । दीप्ति । उ॰—सीसफूल बेनी बेंदी बेसरि और बीरनि मैं हीरनि की लाह में हँसनि छवि छहरी । —देव (शब्द॰) ।
लाह पु ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ लाक्षा] लाख । चपड़ा । लाही । उ॰— जाकी बाँकी वीरता सुनत सहमत धीर जाकी आँच अजहु लसत लंक लाह सी । —तुलसी (शब्द॰) । लाह ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ लाभ, हिं॰ लाख] लाभ । फायदा । नफा । उ॰—(क) दावा धरि पाहरू को आवागौन मिसि ताके भानु ससि अभिमति लाहा में फिरत हैं । —चरण (शव्द॰) । (ख) सारहि सव्द विचारिए सोइ सब्द सुख देय । अनसमझा सब्देक है कछू न लाहा लेय । —कबीर (शब्द॰) । (ग) लहि जीवनमूरि को लाह अली वै भले जुग चारि लौं जीवो करैं । —द्विजदेव (शब्द॰) । (घ) मैं तुमसों कहि राखत हौं यह मान किए कछु ह्वै है न लाहे । —रघुनाथ (शब्द॰) ।
लाह पु ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ लाक्षा] लाख । चपड़ा । लाही । उ॰— जाकी बाँकी वीरता सुनत सहमत धीर जाकी आँच अजहु लसत लंक लाह सी । —तुलसी (शब्द॰) ।
लाख, या लाह संस्कृत के ' लाक्षा ' शब्द से व्युत्पन्न समझा जाता है। संभवत: लाखों कीड़ों से उत्पन्न होने के कारण इसका नाम लाक्षा पड़ा था। लाख एक प्राकृतिक राल है बाकी सब राल कृत्रिम हैं। इसी कारण इसे 'प्रकृति का वरदान' कहते हैं। लाख के कीट अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को 'लेसिफर लाखा' कहा जाता है। 'लाख' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'लक्ष' शब्द से हुई है, संभवतः इसका कारण मादा कोष से अनगिनत (अर्थात् लक्ष) शिशु कीड़ों का निकलना है। लगभग 34 हजार लाख के कीड़े एक किग्रा. रंगीन लाख तथा
लाह meaning in english