Parsnath
= पार्श्वनाथ() (ParshwNath)
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पार्श्वनाथ संज्ञा पुं॰ [सं॰] जैनों के तेईसवें तीर्थकर । विशेष— वाराणासी में अश्वसेन नाम के इक्ष्वाकुवंशीय राजा थे जो बड़े धर्मात्मा थे । उनकी रानी वामा भी बड़ी विदुषी और धर्मशीला थीं । उनके गर्भ से पौष कृष्ण दशमी को एक महातेजस्वी पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका वर्ण नील था और जिसके शरीर पर सर्पचिह्म था । सब लोकों में आनंद फैल गया । वामा देवी ने गर्भकाल में एक बार अपने पार्श्व में एक सर्प देखा था इससे पुत्र का नाम 'पार्श्व' रखा गया । पार्श्व दिन दिन बढ़ने लगे और नौ हाथ लंबे हुए । कुशस्थान के राजा प्रसेनजित् की कन्या प्रभावती 'पार्श्व' पर अनुरक्त हुई । यह सुन कलिंग देश के यवन नामक राजा ने प्रभावती का हरण करने के विचार से कुशस्थान को आ गेरा । अश्वसेन के यहाँ जब यह समाचार पहुँचा तब उन्होंने बड़ी भारी सेना के साथ पार्श्व को कुशस्थल भेजा । पहले तो कलिंगराज युद्ध के लिये तैयार हुआ पर जब अपने मंत्री के मुख से उसने पार्श्व का प्रभाव सुना तब आकार क्षमा माँगी । अंत में प्रभावती के साथ पार्श्व का विवाह हुआ । एक दिन पार्श्व ने अपने महल से देखा कि पुरवासी पूजा की सामग्री लिये एक ओर जा रहे हैं । वहाँ जाकर उन्होंने देखा कि एक तपस्वी पंचाग्नि ताप रहा है और अग्नि में एक सर्प मरा पड़ा है । पार्श्व ने काहा— 'दयाहीन' धर्म किसी काम का नहीं' । एक दिन बगीचे में जाकर उन्होंने देखा कि एक जगह दीवार पर नेमिनाथ चरित्र अंकित है । उसे देख उन्हें वैराग्य उत्पन्न हुआ और उन्होंने दीक्षा ली तथा स्थान स्थान पर उपदेश और लोगों का उद्धार करते घूमने लगे । वे अग्नि के समान तेजस्वी, जल के समान निर्मल और आकाश के समान निरवलंब हुए । काशी में जाकर उन्होंने चौरासी दिन तपस्या करके ज्ञानलाभ किया और त्रिकालज्ञ हुए । पुंड़्र, ताम्रलिप्त आदि अनेक देशों में उन्होंने भ्रमण किया । ताम्र- लिप्त में उनके शिष्य हुए । अंत में अपना निर्वाणकाल समीप जानकर समेत शिखर (पारसनाथ की पहाड़ी जो हजारीबाग मैं है) पर चले गए जहाँ श्रावण शुक्ला अष्टमी को योग द्वारा उन्होंने शरीर छोड़ा ।
भगवान पार्श्वनाथ जैन धर्म के तेइसवें (23वें) तीर्थंकर हैं। जैन ग्रंथों के अनुसार वर्तमान में वर्तमान अवसर्पिणी काल गतिशील है और इस काल के चौथे आरा में २४ तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म आज से लगभग 3 हजार वर्ष पूर्व व
पार्श्वनाथ meaning in english
जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ द्वारा प्रतिपादित चार माहव्रतों में महावीर स्वामी ने 5वें व्रत के रूप में क्या जोड़ा ?
जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ के पिता का नाम था -
Parsnath
meaning in Gujarati: પાર્શ્વનાથ
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Parsnath
meaning in Marathi: पार्श्वनाथ
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Parsnath
meaning in Bengali: পার্শ্বনাথ
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Parsnath
meaning in Telugu: పార్శ్వనాథ్
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Parsnath
meaning in Tamil: பார்ஷ்வநாத்
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