Wrist = कलाई(noun) (Kalai)
Category: body part
कलाई ^2 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कलाची]
1. हाथ के पहुँचे का वह भाग जहाँ हथेली का जोड़ रहता है । इसी स्थान पर स्त्रियाँ चूड़ी पहनतीं और पुरुष रक्षा बाँधते हैं । उ॰—कहा परेखै करि रही इत देखै चित हाल । गई ललाई दृगति तें छुवत कलाई लाल । —राम॰ धर्म॰, पृ॰ 248 । पर्या॰—मणिबंध । गट्टा । प्रकोष्ठ ।
2. एक प्रकार की कसरत जिसमें दो आदमी एक दूसरे की कलाई पकड़ते हैं और प्रत्येक अपनी कलाई को छुड़ाकर दूसरे की कलाई पकड़ने की चेष्टा करता है । क्रि॰ प्र॰—करना । कलाई ^2 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कलापी]
1. पूला । गट्ठा ।
2. पहाड़ी प्रदेशों में एक प्रकार की पूजा जो फसल के तैयार होने पर होती है । विशेष—इसमें फसल के कटने से पहले दस बारह बालों को इकट्ठा बाँधकर कुलदेवता को चढ़ाते हैं । कलाई ^3 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कलापी=समूह]
1. सूत का लच्छा । करछा । कुकरी ।
2. हाथी के गले में बाँधने का कलावा जिसमें पैर फँसाकर पीलवान हाथी हाँकते हैं ।
3. अँदुवा । अलान । कलाई ^4 † संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कुलत्थ] उरद । कलाई बोड़ा संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का बड़ा साँप या अजगर जो बंगाल में होता है ।
कलाई ^2 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कलाची]
1. हाथ के पहुँचे का वह भाग जहाँ हथेली का जोड़ रहता है । इसी स्थान पर स्त्रियाँ चूड़ी पहनतीं और पुरुष रक्षा बाँधते हैं । उ॰—कहा परेखै करि रही इत देखै चित हाल । गई ललाई दृगति तें छुवत कलाई लाल । —राम॰ धर्म॰, पृ॰ 248 । पर्या॰—मणिबंध । गट्टा । प्रकोष्ठ ।
2. एक प्रकार की कसरत जिसमें दो आदमी एक दूसरे की कलाई पकड़ते हैं और प्रत्येक अपनी कलाई को छुड़ाकर दूसरे की कलाई पकड़ने की चेष्टा करता है । क्रि॰ प्र॰—करना । कलाई ^2 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कलापी]
1. पूला । गट्ठा ।
2. पहाड़ी प्रदेशों में एक प्रकार की पूजा जो फसल के तैयार होने पर होती है । विशेष—इसमें फसल के कटने से पहले दस बारह बालों को इकट्ठा बाँधकर कुलदेवता को चढ़ाते हैं । कलाई ^3 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कलापी=समूह]
1. सूत का लच्छा । करछा । कुकरी ।
2. हाथी के गले में बाँधने का कलावा जिसमें पैर फँसाकर पीलवान हाथी हाँकते हैं ।
3. अँदुवा । अलान । कलाई ^4 † संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कुलत्थ] उरद ।
कलाई ^2 संज्ञा स्त्रीलिंग [सं॰ कलाची]
1. हाथ के पहुँचे का वह भाग जहाँ हथेली का जोड़ रहता ह
कलाई meaning in english