Jain = जैन() (Jain)
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जैन संज्ञा पुं॰
1. जिन का प्रवर्तित धर्म । भारत का एक धर्म संप्रदाय जिसमें अहिंसा का परम धर्म माना जाता है और कोई ईश्वर या सृष्टिकर्ता नहीं माना जाता । विशष—जैन धर्म कितना प्राचीन है ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता । जैन ग्रंथो के अनुसार महावीर या वर्धमान ने ईसा से 527 वर्ष पूर्व निर्वाण प्राप्त किया था । इसी समय से पीछे कुछ लोग विशेषकर यूरोपियन विद्वान् जैन धर्म का प्रचलित होना मानते हैं । उनके अनुसार यह धर्म बौद्ध धर्म के पीछे उसी के कुछ तत्वों को लेकर औऱ उनमें कुछ ब्राह्मण धर्म की शैली मिलाकर खडा़ किया गया । जिस प्रकार बौद्धों में 24 बुद्ध है उसी प्रकार जैनों में भी 24 तीर्थकार है । हिंदू धर्म के अनुसार जैनों ने भी अपने ग्रंथों को आगम, पुराण आदि में विभक्त किया है पर प्रो॰ जेकोबी आदि के आधुनिक अन्वेषणों के अनुसार यह सिद्ध किया गया है की जैन धर्म बौद्ध धर्म से पहले का है । उदयगिरि, जूनागढ आदि के शिलालेखों से भी जैनमत की प्राचीनता पाई जाती है । ऐसा जान पडता है कि यज्ञों के हिंसा आदि देख जो विरोध का सूत्रपात बहुत पहले से होता आ रहा था उसी ने आगे चलकर जैन धर्म का रूप प्राप्त किया । भारतीयों ज्योतिष में यूनानियों की शैली का प्रचार विक्रमीय संवत् से तीन सौ वर्ष पीछे हुआ । पर जैनों के मूल ग्रंथ अंगों में यवन ज्योतिष का कुछ भी आभास नहीं है । जिस प्रकार ब्रह्मणों की वेद संहिता में पंचवर्षात्मक युग है और कृत्तिका से नक्षत्रों की गणना है उसी प्रकार जैनों के अंग ग्रंथों में भी है । इससे उनकी प्राचीनता सिद्ध होती है । जैन लोग सृष्टिकर्ता ईश्वर को नहीं मानते, जिन या अर्हत् को ही ईश्वर मानते हैं । उन्हीं की प्रार्थना करते हैं और उन्हीं के निमित्त मंदिर आदि बनवाते हैं । जिन 24 हुए हैं, जिनकी नाम ये हैं—ऋषभदेव, अजितनाथ, संभवनाथ, अभिनंदन, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपार्श्व, चंद्रप्रभ, सुविधिनाथ, शीतलनाथ, श्रेयांस- नाथ, वासुपूज्य स्वामी, विमलनाथ, अनंतनाथ, धर्मनाथ, शांतिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रत स्वामी, नमिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर स्वामी । इनमें से केवल महावीर स्वामी ऐतिहासिक पुरुष है जिनका ईसा से 527 वर्ष पहले होना ग्रंथों से पाया जाया है । शेष के विषय में अनेक प्रकार की अलौकीक और प्रकृतिविरुद्ध कथाएँ हैं । ऋषभदेव की कथा भागवत आदि कई पुराणों
जैन meaning in english