Rajasthan Ki Kuldevi राजस्थान की कुलदेवी

राजस्थान की कुलदेवी



GkExams on 13-11-2018

करणी माता ( Karni Mata )

देशनोक(बीकानेर)


बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुलदेवी करणी जी “चूहों वाली देवी” के नाम से विख्यात है । इनके आशीर्वाद से ही राव बीका ने बीकानेर राज्य की स्थापना की थी । इनका जन्म सूआप गांव में चारण जाति के श्री मेंहा जी के घर हुआ था ।


देशनोक स्थित इनके मंदिर में बड़ी संख्या में चूहे हैं जो “करणी जी की काबे” कहलाते हैं । यहां के सफेद चूहे के दर्शन करणी जी के दर्शन माने जाते हैं । करणी जी का मंदिर “मठ” कहलाता है । करणजी देवी का एक रुप से ‘सफेद चील’ भी है ।


करणी जी की इष्ट देवी “तेमड़ा” है । करणी जी के मंदिर के पास तेमड़ा राय देवि मंदिर भी है । करणी माता के मंदिर से कुछ दूर नेहड़ी नामक दर्शनीय स्थल है ,जंहा करनी जी देवी सर्प्रथम रही है ।

शीतला माता ( Shitala Mata )


चाकसू ( जयपुर )


चेतक की देवी के रुप में प्रसिद्ध शीतला माता के अन्य नाम सेढ़ल माता या महामाई है । चाकसू स्थित माता के इस मंदिर का निर्माण जयपुर के महाराजा श्री माधोसिंह जी ने करवाया था ।


होली की पश्चात चैत्र कृष्ण अष्टमी को इनकी वार्षिक पूजा होती है । एंव चाकसू के मंदिर पर विशाल मेला भरता है । इस दिन लोग बास्योड़ा मनाते हैं अर्थात रात का बनाया ठंडा भोजन खाते हैं । शीतला माता की सवारी गधा है ।


बच्चों की संरक्षिका देवी है तथा बांध स्त्रियां संतान प्राप्ति हेतु भी इसकी पूजा करती है । प्रायः जांटी (खेजड़ी ) को शीतला मानकर पूजा की जाती है । शीतला देवी की पूजा खंडित प्रतिमा के रूप में की जाती है तथा इसके पुजारी कुम्हार जाति के लोग होते हैं ।

जीण माता ( Jeen Mata Sikar )


जीण माता का मंदिर सीकर जिले से 15 किलोमीटर दक्षिण में रेवासा नामक गांव के पास तीन छोटी पहाड़ीयों के मध्य स्थित है । यह चौहान वंश की कुलदेवी है इस मंदिर में जीण माता की अष्टभुजी प्रतिमा है ।


कहां जाता है कि जीण(धंध राय की पुत्री ) तथा हर्ष दोनों भाई बहिन थे । जीण आजीवन ब्रम्हचारिणी रही और तपस्या के बल पर देवी बन गयी यहां चैत्र व आसोज के महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी को मेले भरते हैं ।


राजस्थानी लोक साहित्य में इस देवी का गीत सबसे लंबा है इस गीत को कनपटी जोगी केसरिया कपड़े पहन कर ,माथे पर सिंदूर लगाकर ,डमरु एंव सारंगी पर गाते हैं । यह करुण रस से ओत प्रोत हैं । जीणमाता के मंदिर का निर्माण पृथ्वीराज चौहान प्रथम के शासनकाल में राजा हट्टड़ द्वारा करवाया गया ।

केला देवी करोली ( Kaila Devi Karauli )

यह करोली के यादव वंश की कुल देवी है । केला देवी का मंदिर करोली के पास त्रिकुट पर्वत में त्रिकुट की घाटी में स्थित है । इनके भगत इनकी आराधना में प्रसिद्ध “लांगुरिया गीत” गाते हैं ।


नवरात्रा में इनका विशाल लक्खी मेला भरता है । देवी के मंदिर के सामने बोहरा की छतरी है । मान्यता है कि कंस वासुदेव और देवकी की जिस कन्या संतान को शीला पर पटक कर मारना चाहा था वही नवजात कन्या योगमाया से त्रिकुट पर्वत पर केला देवी बनकर प्रकट हुई ।


इनका मेला प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्ला अष्टमी को भरता है ।

राणी सती / नारायणी माता ( Narayani Mata )


अग्रवाल जाति की राणी सती का वास्तविक नाम नारायणी था । अपने पति की चिता पर प्राणोंत्सर्ग कर देने वाली सतियो की भी देवियों की तरह पूजा होती है झुंझुनूं की राणी सती पूरे प्रदेश में पूजी जाती है इनका विवाह तनधन दास से हुआ था।


झुंझुनूं में प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्णा अमावस्या को राणी सती का मेला भरता है अब प्रदेश में सती पूजन एवं महिमा मंडन पर रोक लगा दी गयी है इन्हें “दादी जी” भी कहा जाता है। यह चण्डिका के रूप में पूजी जाती है राणी सती के परिवार में 13 स्त्रियां सती हुई है

आई माता ( Aai mata )

बिलाड़ा (जोधपुर)


सिरवी जाति के लोगो की कुल देवी ।

Other Important Rajasthan Kuldevi –

  • आवड़ माता/हिंगलाज माता, जैसलमेर:-जैसलमेर में भाटी राजवंश की कुल देवी
  • आशापुरी माता/मोदरां माता, जालौर:-जालौर के सोनगरा चौहान शासकों की कुल देवी
  • सकराय माता,सीकर:-खण्डेलवालो कि कुल देवी
  • सच्चिया माता, जोधपुर:-ओसवालों की कुल देवी
  • राणासण देवी,मेवाड़:-राष्ट्रश्येना देवी को अपभ्रंश में राणासण देवी कहा जाता है ।
  • सुंधामाता ,जालोर
  • सुराणा देवी ,नागौर
  • स्वांगियाजी आईनाथ जी माता, जैसलमेर
  • सुगाली माता ,आउवा (पाली):- आउवा के ठाकुरों( चंपावतो) की कुलदेवी सुगाली माता का मंदिर आउवा(पाली ) सन 1857 की क्रांति का मुख्य केंद्र रहा । इसके 54 भुजाएं तथा 10 सिर है ।
  • ब्राह्मणी माता, बारां:-विश्व मे एकमात्र देवी जंहा देवी की पीठ की ही पूजा होती है ।यंहा माघ शुक्ला सप्तमी को गधो का मेला भी लगता है ।
  • जिलाणी माता ,अलवर
  • नारायणी माता, राजगढ़ (अलवर)
  • शिला देवी(अन्नपूर्णा),आमेर:-कछवाहा राजवंश की कुल देवी ।
  • अम्बिका माता, जगत(उदयपुर):-“मेवाड़ का खजुराहो” कहलाता है ।
  • घेवर माता, राजसमंद ।





सम्बन्धित प्रश्न



Comments Harshad Meena on 29-02-2024

Meena Bohara parivar ki kuldevi kon se H

Alok motani on 14-08-2023

Taranagar Rajasthan me motani pariwar ki kuldewi kon hai

AshokBorwal on 31-03-2022

Meri gotra BORWAL HE OR MERI KULDEVI KAHA PAR HE HAME PATTA BHI NAHI HE KARPYA JEENGER BORWAL KI KULDEVI KA HAME BATAVE


Rajendra Sharma on 20-01-2021

जारोलिया उपाध्याय गुर्जर गौड़ ब्राह्मण की सुकमा माता कुलदेवी कहां पर है

Prakash on 12-02-2020

भृगुवंसी भार्गव समाज की कुलदेवी





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