Jute Ka Saman जूट का सामान

जूट का सामान



GkExams on 20-08-2022


जूट क्या है : यह एक द्विबीजपत्री, बेलनाकार, तंतुमय पौधा होता है जिसका तना पतला होता है। इसकी खेती से लोगों को नकद पैसा हासिल होता है इसलिए इसे "नकदी खेती" भी कहा जाता है।

Jute-Ka-Saman


ध्यान रहे की 'जूट' शब्द संस्कृत के 'जटा' या 'जूट' से निकला समझा जाता है। यूरोप में 18वीं शताब्दी में पहले-पहल इस शब्द का प्रयोग मिलता है, यद्यपि वहाँ इस द्रव्य का आयात 18वीं शताब्दी के पूर्व से "पाट" के नाम से होता आ रहा था।


जूट के रेशे साधारणतया छह से लेकर दस फुट तक लंबे होते हैं, पर विशेष अवस्थाओं में 14 से लेकर 15 फुट तक लंबे पाए गए हैं। तुरंत का निकाला रेशा अधिक मजबूत, अधिक चमकदार, अधिक कोमल और अधिक सफेद होता है। खुला रखने से इन गुणों का ह्रास होता है।


जूट के रेशे का विरंजन कुछ सीमा तक हो सकता है, पर विरंजन से बिल्कुल सफेद रेशा नहीं प्राप्त होता। रेशा आर्द्रताग्राही होता है। 6 से लेकर 23% तक नमी रेशे में रह सकती है।


भारत में जूट उद्योग (jute plant) :




हमारे देश के जूट उद्योग की बात करें तो यहाँ जूट का प्रथम कारखाना सन 1859 में स्कॉटलैंड के एक व्यापारी जार्ज ऑकलैंड ने बंगाल में श्रीरामपुर के निकट स्थापित किया और इन कारखानों की संख्या 1939 तक बढ़कर 105 हो गई। लेकिन देश के विभाजन से यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ। जूट के 112 कारखानों में से 102 कारखाने ही भारत के हिस्से में आये।


जूट के उपयोग :




यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा जूट के उपयोगों (Uses of jute in hindi) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • बोरे बनाने में।
  • तिरपाल बनाने में।
  • टाट बनाने में।
  • दरी बनाने में।
  • तम्बू बनाने में।
  • रस्सियाँ बनाने में।
  • कागज बनाने में।



  • जूट की खेती (Jute Crop) कैसे करें?




    जूट की खेती गर्मी और बरसात दोनों मौसम में की जाती है लेकिन असामान्य बारिश पैदावार को नुक्सान पहुँचा सकता है। इसकी खेती के लिए खेत तैयार करने हेतु सबसे पहले हल से अच्छी गहरी जुताई कर कुछ दिन खुला छोड़ उसमे अच्छे से धूप लगने दे। फिर उसमे खाद डालकर उसे कल्टीवेटर से 2-3 तिरछी जुताई कर पहली सिंचाई कर दे। जब खेत में खरपतवार निकलने लगे तब खेत की रोटावेटर से जुताई कर दें जिससे खरपतवार नष्ट हो जाये और मिट्टी नमी युक्त और भुरभुरी हो जाये।


    खेत की जुताई के वक्त 25 से 30 टन सड़ी हुई पुरानी गोबर मिट्टी में डालकर अच्छे से मिला दें। जैविक खाद के अलावा आखिरी जुताई के वक्त प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 2:1:1 के अनुपात में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की 90 किलो खेत में डाल दें। उसके बाद नाइट्रोजन की आधी मात्रा को 2 बार पौधों की सिंचाई के समय दें। इसके बाद जब तक फसल तैयार नही हो जाती तब तक इसका ख्याल रखें। और सिंचाई समय समय पर करते रहें।


    ध्यान रहे की जूट के पौधों की कटाई सही समय पर करना बहुत जरुरी है। समय से पहले काटने पर सूत्र छोटे बनते हैं और देर से काटने पर मोटे और कमजोर होते हैं। कटाई के बाद जूट के पौधों को उसके लम्बाई के आधार पर अलग अलग बंडल बनाया जाता है। पत्तियों के सूखने तक बंडलों को 2-3 दिन तक खेत में छोड़ देते हैं और सूखने के बाद उन्हें झाड़ देते है। कटाई के 2-3 दिन बाद लगभग 20 से 25 दिनों तक पानी में डुबोकर रखा जाता है जिससे यह सड़ जाते है।


    जिसके बाद सूत्र को निकालकर उन्हें धोकर साफ़ कर लिया जाता हैं और 4-5 दिन तक तेज़ धूप में सूखाते हैं। सूखने के बाद इन्हें बंडल बनाकर रखते है क्योंकि ज्यादा समय तक बिखरे हुए होने से सूत्र कमजोर हो जाते है।




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