Vaidik Kaleen Shiksha Ka Arth वैदिक कालीन शिक्षा का अर्थ

वैदिक कालीन शिक्षा का अर्थ



GkExams on 25-04-2022


वैदिक कालीन शिक्षा का अर्थ : इस प्रकार की शिक्षा का तात्पर्य उस ज्ञान से है जो वेदो में सुरक्षित है तथा जो उस काल में प्रयोग किया जाता था। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की भारत की आधारभूत संस्कृति का ज्ञान इन्हीं प्राचीन धर्म–ग्रन्थों में सुरक्षित है।


वैदिक कालीन शिक्षा के उद्देश्य :


यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको वैदिक कालीन शिक्षा के उद्देश्यों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • नैतिक चरित्र का निर्माण करना।
  • पवित्रता तथा धार्मिकता का विकास।
  • व्यक्तित्व का विकास।
  • संस्कृति का संरक्षण तथा प्रसार करना।



  • वैदिक काल शिक्षण विधि :




    प्रातिशाख्य (वेदांग ‘शिक्षा’ से सम्बंधित ग्रन्थ ) ग्रंथों में वैदिक शिक्षा पद्धति का विवरण मिलता है। इसमें प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत रूप से पढ़ाया जाता था। अर्थात गुरु एक बार में एक छात्र को पढाता था। छात्र को एक दिन में में दो या तीन वैदिक ऋचाएं याद करनी होती थीं। छात्र को गुरु के निर्देश के अनुसार शब्दों का सही उच्चारण करना होता था और ऋचाओं को ठीक उसी ढंग से बोलना या गाना होता था जो परम्परा से चला आता था।


    यहाँ लिपि का विकास होने के बाद भी वैदिक मन्त्रों का मौखिक अध्यापन जारी रहा क्योंकि उच्चारण और गायन की मूल परम्परा को मौखिक रूप में ही पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सकता था। याद करके सीखने का तरीका केवल वैदिक संहिताओं के लिए प्रयोग होता था। अन्य विषयों को पढ़ाने के लिए व्याख्यान, प्रश्नोत्तर, शास्त्रार्थ इत्यादि का सहारा लिया जाता था। छात्रों की संख्या कम होती थी ताकि गुरु प्रत्येक छात्र पर पर्याप्त ध्यान दे सके।


    वैदिक काल शिखा में अनुशासन :




    व्यक्तिगत नैतिकता और अच्छे आचरण पर जोर उपनयन से ही आरम्भ हो जाता था। विद्यार्थियों से आत्म - अनुशासन की उम्मीद की जाती थी। आत्मानुशासन शिक्षा का अभिन्न अंग था। शिक्षक के परिवार में रहने के कारण छात्रों को पुत्रवत आचरण करना होता था। गुरु अपने चरित्र और आचरण द्वारा उचित आदर्श छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करता था।


    इन सभी कारणों से दण्ड अनुशासन के लिए आवश्यक नहीं था। फिर भी मानव प्रकृति के अनुसार छात्र कभी कभी अनुशासन भंग करते थे। इस दशा में मनु ने गुरु को सलाह दी है की वह छात्र को समझा बुझाकर सही रास्ते पर लाये। आपस्तम्ब ने कहा है कि गुरु दोषी छात्र को कुछ समय के लिए अपने सामने आने से मना कर सकता है [कक्षा से निष्कासन की तरह]।


    गौतम ने शारीरिक दण्ड की अनुमति दी है पर यह भी कहा है की अत्यधिक शारीरिक दण्ड देने पर गुरु को राजा द्वारा दण्डित किया जा सकता है।





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    Comments Vadik kalun Shiksha ka Arth on 09-04-2021

    Vadik kalin Shiksha ka Arth

    Vedik kalin siksha ka arth on 29-10-2020

    Vedik kalin siksha ka arth

    Jitendra malviya on 20-08-2020

    Vedik kalin shiksha me udhesh


    Ujala on 09-09-2019

    Vaidik shijha ka arth

    Praphool Chand on 12-05-2019

    Vaidik kaleen shiksha ka arth bataea





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