Vaidik Kaleen Shiksha Ke Dosh वैदिक कालीन शिक्षा के दोष

वैदिक कालीन शिक्षा के दोष



GkExams on 23-09-2022


वैदिक कालीन शिक्षा का अर्थ : इस प्रकार की शिक्षा का तात्पर्य उस ज्ञान से है जो वेदो में सुरक्षित है तथा जो उस काल में प्रयोग किया जाता था। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की भारत की आधारभूत संस्कृति का ज्ञान इन्हीं प्राचीन धर्म–ग्रन्थों में सुरक्षित है।

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वैदिक कालीन शिक्षा के उद्देश्य :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको वैदिक कालीन शिक्षा के उद्देश्यों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • नैतिक चरित्र का निर्माण करना।
  • पवित्रता तथा धार्मिकता का विकास।
  • व्यक्तित्व का विकास।
  • संस्कृति का संरक्षण तथा प्रसार करना।



  • वैदिक काल शिक्षण विधि :




    प्रातिशाख्य (वेदांग ‘शिक्षा’ से सम्बंधित ग्रन्थ ) ग्रंथों में वैदिक शिक्षा पद्धति का विवरण मिलता है। इसमें प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत रूप से पढ़ाया जाता था। अर्थात गुरु एक बार में एक छात्र को पढाता था। छात्र को एक दिन में में दो या तीन वैदिक ऋचाएं याद करनी होती थीं। छात्र को गुरु के निर्देश के अनुसार शब्दों का सही उच्चारण करना होता था और ऋचाओं को ठीक उसी ढंग से बोलना या गाना होता था जो परम्परा से चला आता था।


    यहाँ लिपि का विकास होने के बाद भी वैदिक मन्त्रों का मौखिक अध्यापन जारी रहा क्योंकि उच्चारण और गायन की मूल परम्परा को मौखिक रूप में ही पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सकता था। याद करके सीखने का तरीका केवल वैदिक संहिताओं के लिए प्रयोग होता था। अन्य विषयों को पढ़ाने के लिए व्याख्यान, प्रश्नोत्तर, शास्त्रार्थ इत्यादि का सहारा लिया जाता था। छात्रों की संख्या कम होती थी ताकि गुरु प्रत्येक छात्र पर पर्याप्त ध्यान दे सके।


    वैदिक काल शिक्षा में अनुशासन :




    व्यक्तिगत नैतिकता और अच्छे आचरण पर जोर उपनयन से ही आरम्भ हो जाता था। विद्यार्थियों से आत्म - अनुशासन की उम्मीद की जाती थी। आत्मानुशासन शिक्षा का अभिन्न अंग था। शिक्षक के परिवार में रहने के कारण छात्रों को पुत्रवत आचरण करना होता था। गुरु अपने चरित्र और आचरण द्वारा उचित आदर्श छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करता था।


    इन सभी कारणों से दण्ड अनुशासन के लिए आवश्यक नहीं था। फिर भी मानव प्रकृति के अनुसार छात्र कभी कभी अनुशासन भंग करते थे। इस दशा में मनु ने गुरु को सलाह दी है की वह छात्र को समझा बुझाकर सही रास्ते पर लाये। आपस्तम्ब ने कहा है कि गुरु दोषी छात्र को कुछ समय के लिए अपने सामने आने से मना कर सकता है [कक्षा से निष्कासन की तरह]।



    वैदिक कालीन शिक्षा के दोष :




    यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा वैदिक कालीन शिक्षा के दोषों के बारें में अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...


  • इस प्रकार की शिक्षा में राज्य का नियंत्रण या उत्तरदायित्व नहीं था।
  • इस शिक्षा में रटने पर विशेष बल दिया जाता था।
  • इस प्रकार की शिक्षा में धार्मिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था।
  • आय की सुनिश्चित एवं विधिवत् व्यवस्था नहीं थी।
  • पाठ्यचर्या अव्यवस्थित तथा अलग-अलग थी।




  • Pradeep Chawla on 14-10-2018


    Check link below -

    http://uou.ac.in/sites/default/files/slm/BAED-301.pdf



    सम्बन्धित प्रश्न



    Comments Srashti on 13-02-2021

    Vaidik kalin shiksha ke Pramukh dosh

    Shivam on 08-02-2021

    Vidik kalin dose

    Neha on 20-12-2020

    वैदिक कालीन शिक्ष का प्रमुख दोष था


    Ruksar on 10-10-2020

    Vaidik kalin shiksha ke dosh

    Vaidik kalin siksha ke dosh on 10-09-2020

    Vaidik kalin siksha ke dosh

    Akshay pratap singh on 09-02-2020

    वैदिक कालीन शिक्षा के प्रमुख गुण

    Good teach on 07-02-2020

    Boodh kalin siksha ke dosh




    Anjana on 23-08-2018

    Vidik kal ke dosh

    Nitin shukla on 28-03-2019

    वैदिक कालीन शिक्षा का प्रमुख दोष था

    Vaidic kalin sicksha ke dosh on 31-07-2019

    Vaidickalin sicksha ke dosh kya the

    Deepa on 02-08-2019

    Vaidik Karen Shoshana me dosh

    Reetika chandel on 03-08-2019

    Vadik kalin siksha ka dish


    Vedic kal me shiksha k dosh on 16-11-2019

    Vedic kal me shiksha ke dosh

    sk on 24-11-2019

    waidik kalin sikchha ke dosh



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