गुरुकुल की परिभाषा : वह स्थान जहां गुरु का कुल यानी परिवार निवास करता है। पहले के ज़माने में शिक्षक को ही गुरु या आचार्य मानते थे (gurukul education in india) और वहां शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उसका परिवार माना जाता था।
गुरुकुल के छात्रों को लिए आठ साल का होना अनिवार्य था और पच्चीस वर्ष की आयु तक लोग यहां रहकर शिक्षा प्राप्त और ब्रह्मचर्य का पालन करते थे।
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के बारें में :
यहाँ हम कुछ बिन्दुओं के जरिये आपको बता रहे है...
गुरुकुल शिक्षा प्रणाली (gurukul system of education in vedic period) से छात्र का पूरी तरह से विकास होता था और जोर शिक्षण के साइकोलॉजिकल या मनोवैज्ञानिक तरीके पर होता था। गुरुकुल में चुने जाने का आधार बच्चों का ऐटिट्यूड यानी रवैया और मॉरल स्ट्रैंथ यानी नैतिक मजबूती थे जो छात्रों के कंडक्ट या आचरण में नजर आते थे प्रोफेशनल, सोशल, धार्मिक (vedic gurukul in india) और अध्यात्मिक शिक्षा पर फोकस करते हुए इसमें समग्र (Holistic) शिक्षा पर जोर दिया जाता था। कला, साहित्य, शास्त्र और दर्शन की जानकारी के साथ छात्रों को व्यावहारिक हुनर भी सिखाए जाते थे और उन्हें अलग-अलग कामों के लिए तैयार किया जाता था। आधुनिक शिक्षा प्रणाली और गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में फर्क :
जैसा की हम सबको दिख रहा है आजकल की शिक्षा प्रणाली, पश्चिमी प्रणाली से प्रभावित है। यह प्रौद्योगिकी में बदलाव और प्रगति से प्रभावित हुई है। इस शिक्षा प्रणाली में ईबुक, वीडियो व्याख्यान, वीडियो चैट, 3-डी इमेजरी आदि तकनीक शामिल हैं।
इसके अलावा प्राचीन काल की गुरुकुल शिक्षा
(advantages of gurukul system of education) व्यवस्था को भुलाया ही नहीं जा सकता है जहाँ संस्कार, संस्कृति और शिष्टाचार और सभ्यता सिखाई जाती हो।
वर्तमान समय में अगर दोनों शिक्षा प्रणालियों का एकीकरण किया जाए तो हमारे लिए बेहतर होगा। क्योंकि इससे बच्चों को अछे संस्कार भी मिलेगे और प्रोद्योगिकी के साथ भी जुड़े रहेंगे।