Muhammad Sahab And Fatima Relation In Hindi मुहम्मद साहब एंड फातिमा रिलेशन इन हिंदी

मुहम्मद साहब एंड फातिमा रिलेशन इन हिंदी



GkExams on 12-01-2019


हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा के पिता पैगम्बर हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा व आपकी माता हज़रत ख़दीजातुल कुबरा पुत्री श्री ख़ोलद थीं। हज़रत ख़दीजा इस्लाम को स्वीकार करने वाली पहली स्त्री थीं। खदीजा अरब की एक धनी महिला थीं जिनका व्यापार पूरे अरब में फैला हुआ था। उन्होंने विवाह उपरान्त अपनी सारी सम्पत्ति इस्लाम प्रचार के लिए पैगम्बर को दे दी थी। और स्वंय साधारण जीवन जीती थीं।अधिकाँश इतिहासकारों ने उल्लेख किया है कि उनकी पुत्री हज़रत फातिमा ज़हरा का जन्म मक्का नामक शहर में जमादियुस्सानी (अरबी वर्ष का छटा मास) मास की 20 वी तारीख को बेसत के पांचवे वर्ष हुआ। कुछ इतिहास कारों ने इनके जन्म को बेसत के दूसरे व तीसरे वर्ष में भी लिखा है। एक सुन्नी इतिहासकार ने आपके जन्म को बेसत के पहले वर्ष में लिखा है।हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा का पालन पोषन स्वंय पैगम्बर की देख रेख में घर में ही हुआ। आप का पालन पोषन उस गरिमा मय घर में हुआ जहाँ पर अल्लाह का संदेश आता था। जहाँ पर कुरऑन उतरा जहाँ पर सर्वप्रथम एक समुदाय ने एकईश्वरवाद में अपना विश्वास प्रकट किया तथा मरते समय तक अपनी आस्था में दृढ रहे। जहाँ से अल्लाहो अकबर (अर्थात अल्लाह महान है) की आवाज़ उठ कर पूरे संसार में फैल गई। केवल हज़रत फ़ातिमा सलामुल्लाह अलैहा वह बालिका थीं जिन्होंने एकईश्वरवाद के उद्दघोष के उत्साह को इतने समीप से देखा था। पैगम्बर ने फ़ातिमा को इस प्रकार प्रशिक्षित किया कि उनके अन्दर मानवता के समस्त गुण विकसित हो गये। तथा आगे चलकर वह एक आदर्श नारी बनीं।


फ़ातिमा का विवाह 19 वर्ष की आयु में हज़रत अली अलैहिस्सलाम के साथ हुआ। वे विवाह उपरान्त 9 वर्षों तक जीवित रहीं। उन्होने चार बच्चों को जन्म दिया जिनमे दो लड़के तथा दो लड़कियां थीं। जिन के नाम क्रमशः इस प्रकार हैं। पुत्रगण (1) हज़रत इमाम हसन (अ0) (2) हज़रत इमाम हुसैन (अ0)। पुत्रीयां (3) हज़रत ज़ैनब (4) हज़रत उम्मे कुलसूम। आपकी पाँचवी सन्तान गर्भावस्था में ही स्वर्गवासी हो गयी थी। वह एक पुत्र थे तथा उनका नाम मुहसिन रखा गया था।पिता के निधन के बाद फातिमा केवल 90 दिन जीवित रहीं। हज़रत पैगम्बर के स्वर्गवास के बाद जो अत्याचार आप पर हुए आप उनको सहन न कर सकीं तथा स्वर्गवासी हो गईं। इतिहासकारों ने उल्लेख किया है कि जब आप के घर को आग लगायी गई, उस समय आप द्वार के पीछे खड़ी हुई थीं। जब किवाड़ों को धक्का देकर शत्रुओं ने घर में प्रवेश किया तो उस समय आप दर व दीवार के मध्य भिच गयीं। जिस कारण आपके सीने की पसलियां टूट गयीं, व आपका वह बेटा भी स्वर्गवासी हो गया जो अभी जन्म भी नहीं ले पाया था। जिनका नाम गर्भावस्था में ही मोहसिन रख दिया गया था।




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Comments Abdul on 07-08-2022

Kya Mohammed Saheb ne 6saal umra ki ladki Ayesha se Shaadi ki thhi?

Zaheer uddin on 30-09-2020

Hajrat muhammad mustafa sallallahu hua liye wasallam ki jivani bataye





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