Antarrashtriya Kanoon Ki Prakriti अंतरराष्ट्रीय कानून की प्रकृति

अंतरराष्ट्रीय कानून की प्रकृति



GkExams on 15-01-2021



अंतर्राष्ट्रीय कानून की प्रकृति



अन्तरराष्ट्रीय कानून क्या है ? 

ब्रिटिश कॉमन लॉ क्या है ? 

अंतर्राष्ट्रीय कानून एक विशाल खाका है इंसानी आदान प्रदान का जो कि खुद नैसर्गिक नियमों के ऊपर रचा बुना है । यहाँ इंसानी आदान प्रदान का अभिप्राय है व्यवसाय से, विवादों को सुलझाने की पद्धतियों से, जुर्म नियंत्रण की प्रणाली से, एवं न्यायायिक व्यवस्था से । 

अब क्यूंकि अंतर्राष्ट्रीय कानून की ही भांति ब्रिटिश कॉमन ला अथवा यूरोपीय कॉमन लॉ भी नैसर्गिक नियमों पर रचा बुना हुआ है, इसीलिए अक्सर करके अंतर्राष्ट्रीय कानून को यूरोपीय कॉमन लॉ की देन भी बुला दिया जाता है । एवं यूरोपीय मान्यताओं में नैसर्गिक नियमों का रखवाला खुद प्रकृति है, कोई शख्स नहीं , इसलिए अंतर्राष्ट्रीय कानून का रखवाला भी खुद प्रकृति ही है, कोई देश अथवा शख्स नहीं है ।  अब यहाँ एक असमंजस है । वो ये कि, क्या आवश्यक है कि नैसर्गिक नियमों के प्रति यूरोपीय लोगों की जो मान्यताएं हैं, वही सही है, एवं आपकी नहीं ?  असल में प्राकृतिक सिद्धांत के प्रति किसी शख्स की सूचना उसकी धारणा का अंश बन जाती है ।  तब शब्द तो एक ही रहता है - प्राकृतिक सिद्धांत - लेकिन इसके अभिप्राय विभिन्‍न हो जाते हैं इस सवाल पर कि आप अस्तिकवादि हैं, अथवा फिर नास्तिकवादि हैं ।

अस्तिकवादि लोगों एवं नास्तिकवादि लोगों के समझ में प्राकृतिक नियमों में क्या प्रकार है, अंतर है ?  

सवाल का उत्तर जानने के लिए आपको थोडा सा दर्शनशास्त्र में जाना होगा । 

नास्तिकवाद में विश्व का सञ्चालन कतिपय विशाल बल के नियमों से हो रहा है, जिन शक्तियों एवं उनसे सम्बंधित नियमों का ज्ञान कोई भी शख्स उपार्जित कर सकता है - विज्ञानी खोज, अनुसन्धान, अन्वेषण, भ्रमण , आदि के द्वारा । तो आस्तिकवाद में प्राकृतिक सिद्धांत का ज्ञान उपार्जित करने के लिए इंसान का जन्म खाता - जैसे उसका धर्म, उसका वर्ण, उसका संस्कार, उसका जन्म समुदाय का ईश्वर से रिश्ता एवं नज़दीकी आदि अहम नहीं हैं ।  

लेकिन अस्तिकवादि विचारों में प्राकृतिक सिद्धांत के अर्थ में प्रकृति खुद से किसी सर्वशक्तिशाली ईश्वर की मनमर्ज़ी है । क्यूंकि 'ईश्वर कौन है' का खाका इंसान के जन्म खाके के अनुसार बदलता रहता है, क्योकि प्राकृतिक सिद्धांत किसी लिखने वाले की मनमर्ज़ी माने गए है, जिन्हें हम प्राकृतिक सिद्धांत के लिखने वाले को ही परिवर्तित कर के प्राकृतिक नियमों को भी परिवर्तित सकते हैं !!! 

प्राकृतिक नियमों के प्रति आस्तिकवादि एवं नास्तिकवादि विचारों का अंतर समझा क्या आपने ? 

नास्तिकवाद में

प्राकृतिक सिद्धांत का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करना होगा - न्यूटन , आइंस्टाइन , चाडविक आदि को पढ़ना होगा ।

जबकि

आस्तिकवाद में विज्ञान खुद भी धार्मिक संस्कारों का 1 उपभाग है । इसलिए प्राकृतिक नियमों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें धर्म संस्कार को पहले जानना होगा । एवं इसके लिए हमें धर्म जानने वाले शख्स के पास जाना होगा- जो कि धर्म संस्कार को इंसान के जन्मखाते , उसके वर्ण,उसके वर्ग, आदि के अनुसार बताएगा । तो अस्तिकवादि सोच में अगर आप किन्ही प्राकृतिक नियमों का ज्ञान रखने का दावा करता हैं तो फिर हो सकता है का किसी अध्ययन प्रणाली ने आपको किसी राजनैतिक साज़िश के अधीनता आपका ब्रेनवाश करके अपने अनुसार ढालना का षड्यंत्र किया है ।
तो फिर, आस्तिकवाद में प्राकृतिक सिद्धांत के ज्ञान को अध्ययन पद्धति को परिवर्तित के परिवर्तन किया जा सकता है । प्राकृतिक सिद्धांत किसी ईश्वर की मनमर्ज़ी होते है, एवं जैसे ईश्वर इंसान का भूगौलिक स्थिति एवं पैदाइशी संस्कारो के अनुसार बदल जाया करते हैं, तो फिर प्राकृतिक नियम में परिवर्तन किया जा सकते है !!!

तो

अस्तिकवादि विचारों में अंतर्राष्ट्रीय कानून का कोई न कोई रखवाला होता है । अगर कोई बताये कि अंतर्राष्ट्रीय कानून यूरोपीय कॉमन ला या फिर ब्रिटिश कॉमन लॉ पर आधारित किया गया है, तो इसका अर्थ है कि वही लोग इसके रखवाले हैं, क्योकि वही लोग इसको लिखने वाले है ।

जबकि

नास्तिकवादि विचारों में अंतर्राष्ट्रीय कानून को लिखने वाला शख्स भले ही कोई भी हो,इसका रखवाला खुद प्रकृति ही है । अगर अंतर्राष्ट्रीय कानून का निर्वहन नहीं होगा तो फिर व्यवसाय दुर्बल हो जायेगा, यानि आर्थिक दरिद्रता आएगी, आपसी विवाद को पूर्ण संतोष से नहीं सुलझाया जा सकेगा जिनसे कि लड़ाई एवं अशांति आएगी, हिंसा बढेगी, जनजीवन अस्तव्यस्त होने लगेगा ।

आस्तिकवादि विचारों में अंतर्राष्ट्रीय कानून खुद ही वजह है वैश्विक हिंसा, गरिबी , एवं जनजीवन अस्त व्यस्त होने का क्योकि ये कानून लिखा गया है यूरोपीय लोगों की ईश्वरीय धारणा के अनुसार , दूसरे धर्मों की ईश्वर की धारणा के अनुसार नहीं । 

आस्तिकवादि लोग कौन है ?

वो जो किसी भी धर्म को प्रबलता से मानते है । यानि वो जो secular नहीं है, राजनीती एवं प्रशासन नीति को धर्म का अंश मानते । बल्कि धर्म को खुद ही सच्चा एवं उत्कृष्ट राज-नीति एवं शासन नीति समझते है ।

आपका secular होना या नहीं होनाही निर्धारित करेगा का आप अंतर्राष्ट्रीय कानून का कितना निर्वहन करेंगे । एवं अन्तर्राष्ट्रीय कानून का निर्वहन निर्धारित करेगा का आपका समाज कितना हिंसा मुक्त हो पाता है, व्यवसाय में समृद्ध हो पाता है । 

एवं आप secular हैं या नहीं,यह निर्धारित होगा इससे कि आप आस्तिकवादि हैं, या नास्तिकवादि । जाहिर है, आस्तिकवादि न तो secular होंगे, एवं न ही प्राकृतिक नियम को उस संदर्भ में समझते होंगे, जिस संदर्भ में इनको अंतर्राष्ट्रीय विधि का आधार बनाया गया है । एवं फिर अंतर्राष्ट्रीय कानून का निर्वहन नहीं कर सकने पर आप का शत्रु होगा अमेरिका एवं यूरोपीय देश जिनको अधिकांश श्रेय जाता है अंतर्राष्ट्रीय विधि को रचने बुनने का । 





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