Environment Protection Act 1986 In Hindi PDF एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट १९८६ इन हिंदी पीडीएफ

एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट १९८६ इन हिंदी पीडीएफ



GkExams on 07-02-2019

पर्यावरण के संरक्षण और सुधार का और उनसे सम्बन्धित विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय पर्यावरण सम्मेलन में, जो जून, 1972 में स्टाकहोम में हुआ था और जिसमें भारत ने भाग लिया था, यह विनिश्चय किया गया था कि मानवीय पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये समुचित कदम उठाए जाएँ;

यह आवश्यक समझा गया है कि पूर्वोक्त निर्णयों को, जहाँ तक उनका सम्बन्ध पर्यावरण संरक्षण और सुधार से तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सम्पत्ति को होने वाले परिसंकट के निवारण से है, लागू किया जाये;

भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-

अध्याय 1


प्रारम्भिक

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ


(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबन्धों के लिये और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिये भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।

2. परिभाषाएँ


इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -

(क) “पर्यावरण” के अन्तर्गत जल, वायु और भूमि हैं और वह अन्तरसम्बन्ध है जो जल, वायु और भूमि तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सूक्ष्मजीव और सम्पत्ति के बीच विद्यमान है;
(ख) “पर्यावरण प्रदूषक” से ऐसा ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ अभिप्रेत है जो ऐसी सान्द्रता में विद्यमान है जो पर्यावरण के लिये क्षतिकर हो सकता है या जिसका क्षतिकर होना सम्भाव्य है;
(ग) “पर्यावरण प्रदूषण” से पर्यावरण में पर्यावरण प्रदूषकों का विद्यमान होना अभिप्रेत है;
(घ) किसी पदार्थ के सम्बन्ध में, “हथालना” से ऐसे पदार्थ का विनिर्माण, प्रसंस्करण, अभिक्रियान्वयन, पैकेज, भण्डारकरण, परिवहन, उपयोग, संग्रहण, विनाश, सम्परिवर्तन, विक्रय के लिये प्रस्थापना, अन्तरण या वैसी ही संक्रिया अभिप्रेत है;
(ङ) “परिसंकटमय पदार्थ” से ऐसा पदार्थ या निर्मिति अभिप्रेत है जो अपने रासायनिक या भौतिक-रासायनिक गुणों के या हथालने के कारण मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों, सूक्ष्मजीव, सम्पत्ति या पर्यावरण को अपहानि कारित कर सकती है;
(च) किसी कारखाने या परिसर के सम्बन्ध में , “अधिष्ठाता” से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसका कारखाने या परिसर के कामकाज पर नियंत्रण है और किसी पदार्थ के सम्बन्ध में ऐसा व्यक्ति इसके अन्तर्गत है जिसके कब्जे में वह पदार्थ भी है;
(छ) “विहित” से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है।

अध्याय 2


केन्द्रीय सरकार की साधारण शक्तियाँ

3. केन्द्रीय सरकार की पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये उपाय करने की शक्ति


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार को ऐसे सभी उपाय करने की शक्ति होगी जो वह पर्यावरण के संरक्षण और उसकी क्वालिटी में सुधार करने तथा पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये आवश्यक समझे।

(2) विशिष्टतया और उपधारा (1) के उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अन्तर्गत निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के सम्बन्ध में उपाय हो सकेंगे, अर्थात:-

(i) राज्य सरकारों, अधिकारियों और अन्य प्राधिकरणों की, -

(क) इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन; या
(ख) इस अधिनियम के उद्देश्यों से सम्बन्धित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन, कार्रवाइयों का समन्वय;

(ii) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसको निष्पादित करना;

(iii) पर्यावरण के विभिन्न आयामों के सम्बन्ध में उसकी क्वालिटी के लिये मानक अधिकथित करना;

(iv) विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण के मानक अधिकथित करना:

परन्तु ऐसे स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण की क्वालिटी या सम्मिश्रण को ध्यान में रखते हुए, भिन्न-भिन्न स्रोतों से उत्सर्जन या निस्सारण के लिये इस खण्ड के अधीन भिन्न-भिन्न मानक अधिकथित किये जा सकेंगे;

(अ) उन क्षेत्रों का निर्बन्धन जिनमें कोई उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण या किसी वर्ग के उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण नहीं चलाए जाएँगे या कुछ रक्षोपायों के अधीन रहते हुए चलाए जाएँगे;

(vi) ऐसी दुर्घटनाओं के निवारण के लिये प्रक्रिया और रक्षेपाय अधिकथित करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है और ऐसी दुर्घटनाओं के लिये उपचारी उपाय अधिकथित करना;

(vii) परिसंकटमय पदार्थों को हथालने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय अधिकथित करना;

(viii) ऐसी विनिर्माण प्रक्रियाओं, सामग्री और पदार्थ की परीक्षा करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण होने की सम्भावना है;

(ix) पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं के सम्बन्ध में अन्वेषण और अनुसन्धान करना और प्रायोजित करना;

(x) किसी परिसर, संयंत्र, उपस्कर, मशीनरी, विनिर्माण या अन्य प्रक्रिया सामग्री या पदार्थों का निरीक्षण करना और ऐसे प्राधिकरणों, अधिकारियों या व्यक्तियों को, आदेश द्वारा, ऐसे निदेश देना जो वह पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये कार्रवाई करने के लिये आवश्यक समझे;

(xi) ऐसे कृत्यों को कार्यान्वित करने के लिये पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थाओं की स्थापना करना या उन्हें मान्यता देना, जो इस अधिनियम के अधीन ऐसी पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थाओं को सौंपे जाएँ;

(xii) पर्यावरण प्रदूषण से सम्बन्धित विषयों की बाबत जानकारी एकत्र करना और उसका प्रसार करना;

(xiii) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन से सम्बन्धित निदशिकाएँ, संहिताएँ या पथ प्रदर्शिकाएँ तैयार करना;

(xiv) ऐसे अन्य विषय, जो केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों का प्रभाव पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिये आवश्यक या समीचीन समझे।

(3) यदि केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है तो वह, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार को ऐसी शक्तियों और कृत्यों के (जिनके अन्तर्गत धारा 5 के अधीन निदेश देने की शक्ति भी है) प्रयोग और निर्वहन के प्रयोजनों के लिये और उपधारा (2) में निर्दिष्ट ऐसे विषयों की बाबत उपाय करने के लिये जो आदेश में उल्लिखित किये जाएँ, प्राधिकरण या प्राधिकरणों का ऐसे नाम या नामों से गठन कर सकेगी जो आदेश में विनिर्दिष्ट किये जाएँ और केन्द्रीय सरकार के अधीक्षण और नियंत्रण तथा ऐसे आदेश के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, ऐसा प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण ऐसी शक्तियों का प्रयोग या ऐसे कृत्यों का निर्वहन कर सकेंगे या ऐसे आदेश में इस प्रकार उल्लिखित उपाय ऐसे कर सकेंगे मानो ऐसा प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण उन शक्तियों का प्रयोग या उन कृत्यों का निर्वहन करने या ऐसे उपाय करने के लिये इस अधिनियम द्वारा सशक्त किये गए हों।

4. अधिकारियों की नियुक्ति तथा उनकी शक्तियाँ और कृत्य


(1) धारा 3 की उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये, ऐसे पदाभिधानों सहित ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगी और उन्हें इस अधिनियम के अधीन ऐसी शक्तियाँ और कृत्य सौंप सकेगी जो वह ठीक समझे।

(2) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त अधिकारी, केन्द्रीय सरकार के या यदि उस सरकार द्वारा इस प्रकार निदेश दिया जाये तो, धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन गठित प्राधिकरण या प्राधिकरणों, यदि कोई हों, के अथवा किसी अन्य प्राधिकरण या अधिकारी के भी साधारण नियंत्रण और निदेशन के अधीन होंगे।

5. निदेश देने की शक्ति


केन्द्रीय सरकार, किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों के प्रयोग और अपने कृत्यों के निर्वहन में किसी व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकरण को निदेश दे सकेगी और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकरण ऐसे निदेशों का अनुपालन करने के लिये आबद्ध होगा।

स्पष्टीकरण


शंकाओं को दूर करने के लिये यह घोषित किया जाता है कि इस धारा के अधीन निदेश देने की शक्ति के अन्तर्गत, -

(क) किसी उद्योग, संक्रिया या प्रक्रिया को बन्द करने, उसका प्रतिषेध या विनियमन करने का निदेश देने की शक्ति है; या
(ख) विद्युत या जल या किसी अन्य सेवा के प्रदाय को रोकने या विनियमन करने का निदेश देने की शक्ति है।

1{5क. राष्ट्रीय हरित अधिकरण को अपील


कोई व्यक्ति जो, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 (2010 का 19) के प्रारम्भ होने पर या उसके पश्चात धारा 5 के अधीन जारी किन्हीं निदेशों से व्यथित है, वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 3 के अधीन स्थापित राष्ट्रीय हरित अधिकरण को, उस अधिनियम के उपबन्धों के अनुसार, अपील फाइल कर सकेगा।}

6. पर्यावरण प्रदूषण का विनियमन करने के लिये नियम


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, धारा 3 में निर्दिष्ट सभी या किन्हीं विषयों की बाबत नियम बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात:-

(क) विभिन्न क्षेत्रों और प्रयोजनों के लिये वायु, जल या मृदा की क्वालिटी के मानक;
(ख) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिये विभिन्न पर्यावरण प्रदूषकों की (जिनके अन्तर्गत शोर भी है) सान्द्रता की अधिकतम अनुज्ञेय सीमा;
(ग) परिसंकटमय पदार्थ के हथालने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय;
(घ) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में परिसंकटमय पदार्थों के हथालने पर प्रतिषेध और निर्बन्धन;
(ङ) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में प्रक्रिया और संक्रियाएँ चलाने वाले उद्योगों के अवस्थान पर प्रतिषेध और निर्बन्धन;
(च) ऐसी दुर्घटनाओं के निवारण के लिये जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है और ऐसी दुर्घटनाओं के लिये उपचारी उपायों का उपबन्ध करने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय।

अध्याय 3


पर्यावरण प्रदूषण का निवारण, नियंत्रण और उपशमन


7. उद्योग चलाने, संक्रिया, अादि करने वाले व्यक्तियों द्वारा मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का उत्सर्जन या निस्सारण न होने देना


कोई ऐसा व्यक्ति, जो कोई उद्योग चलाता है, या कोई संक्रिया या प्रक्रिया करता है, ऐसे मानकों से अधिक, जो विहित किये जाएँ, किसी पर्यावरण प्रदूषक का निस्सारण या उत्सर्जन नहीं करेगा अथवा निस्सारण या उत्सर्जन करने की अनुज्ञा नहीं देगा।

8. परिसंकटमय पदार्थों को हथालने वाले व्यक्तियों द्वारा प्रक्रिया सम्बन्धी रक्षोपायों का पालन किया जाना


कोई व्यक्ति किसी परिसंकटमय पदार्थ को ऐसी प्रक्रिया के अनुसार और ऐसे रक्षोपायों का अनुपालन करने के पश्चात ही, जो विहित किये जाएँ, हथालेगा या हथालने देगा, अन्यथा नहीं।

9. कुछ मामलों में प्राधिकरणों और अभिकरणों को जानकारी का दिया जाना


(1) जहाँ किसी दुर्घटना या अन्य अप्रत्याशित कार्य या घटना के कारण किसी पर्यावरण प्रदूषक का निस्सारण विहित मानकों से अधिक होता है या होने की आशंका है वहाँ ऐसे निस्सारण के लिये उत्तरदायी व्यक्ति और उस स्थान का, जहाँ ऐसा निस्सारण होता है या होने की आशंका है, भारसाधक व्यक्ति, ऐसे निस्सारण के परिणामस्वरूप हुए पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आबद्ध होगा, और ऐसे प्राधिकरणों को या अभिकरणों को, जो विहित किये जाएँ, -

(क) ऐसी घटना के तथ्य की या ऐसी घटना होने की आशंका की जानकारी तुरन्त देगा; और
(ख) यदि अपेक्षा की जाये तो, सभी सहायता देने के लिये आबद्ध होगा।

(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रकार की, किसी घटना के तथ्य की या उसकी आशंका के सम्बन्ध में सूचना की प्राप्ति पर, चाहे ऐसी सूचना उस उपधारा के अधीन जानकारी द्वारा मिले या अन्यथा, उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्राधिकरण या अभिकरण, यावत्साध्य शीघ्र, ऐसे उपचारी उपाय कराएँगे जो पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आवश्यक हैं।

(3) उपधारा (2) में निर्दिष्ट उपचारी उपाय करने के सम्बन्ध में किसी प्राधिकरण या अभिकरण द्वारा उपगत व्यय, यदि कोई हों, उस तारीख से जब व्ययों के लिये माँग की जाती है, उस तारीख तक के लिये जब उनका सन्दाय कर दिया जाता है, ब्याज सहित (ऐसी उचित दर पर जो सरकार, आदेश द्वारा, नियत करे) ऐसे प्राधिकरण या अभिकरण द्वारा सम्बन्धित व्यक्ति से भू-राजस्व की बकाया या लोक माँग के रूप में वसूल किये जा सकेंगे।

10. प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियाँ


(1) इस धारा के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह सभी युक्तियुक्त समयों पर ऐसी सहायता के साथ जो वह आवश्यक समझे किसी स्थान में निम्नलिखित प्रयोजन के लिये प्रवेश करे, अर्थात:-

(क) उसे सौंपे गए केन्द्रीय सरकार के कृत्यों में से किसी का पालन करना;

(ख) यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिये कि क्या ऐसे किन्हीं कृत्यों का पालन किया जाना है और यदि हाँ तो किस रीति से किया जाना है या क्या इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं उपबन्धों का या इस अधिनियम के अधीन तामील की गई सूचना, निकाले गए आदेश, दिये गए निर्देश या अनुदत्त प्राधिकार का पालन किया जा रहा है या किया गया है;

(ग) किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या किसी अन्य सारवान पदार्थ की जाँच या परीक्षा करने के प्रयोजन के लिये अथवा किसी ऐसे भवन की तलाशी लेने के लिये, जिसके सम्बन्ध में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उसके भीतर इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन कोई अपराध किया गया है या किया जा रहा है या किया जाने वाला है और ऐसे किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या अन्य सारवान पदार्थ का उस दशा में अभिग्रहण करने के लिये, जब उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उससे इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के किये जाने का साक्ष्य दिया जा सकेगा अथवा ऐसा अभिग्रहण पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आवश्यक है।

(2) प्रत्येक व्यक्ति जो कोई उद्योग चलाता है, कोई संक्रिया या प्रक्रिया करता है या कोई परिसंकटमय पदार्थ हथालता है, ऐसे व्यक्ति को सभी सहायता देने के लिये आबद्ध होगा, जिसे उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार ने उस उपधारा के अधीन कृत्यों को करने के लिये सशक्त किया है और यदि वह किसी युक्तियुक्त कारण या प्रति हेतु के बिना ऐसा करने में असफल रहेगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।

(3) यदि कोई व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा सशक्त किसी व्यक्ति को, उसके कृत्यों के निर्वहन में जान-बूझकर विलम्ब करेगा या बाधा पहुँचाएगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।

(4) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबन्ध या जम्मू-कश्मीर राज्य या किसी ऐसे क्षेत्र में जिसमें वह संहिता प्रवृत्त नहीं है, उस राज्य या क्षेत्र में प्रवृत्त किसी तत्स्थानी विधि के उपबन्ध, जहाँ तक हो सके, इस धारा के अधीन किसी तलाशी या अभिग्रहण को वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, यथास्थिति, उक्त संहिता की धारा 94 के अधीन या उक्त विधि के तत्स्थानी उपबन्ध के अधीन जारी किये गए वारंट के प्राधिकार के अधीन की गई किसी तलाशी या अभिग्रहण को लागू होते हैं।

11. नमूने लेने की शक्ति और उसके सम्बन्ध में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया


(1) केन्द्रीय सरकार या उसके द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी अधिकारी को विश्लेषण के प्रयोजन के लिये किसी कारखाने, परिसर या अन्य स्थान से वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने ऐसी रीति से लेने की शक्ति होगी, जो विहित की जाये।

(2) उपधारा (1) के अधीन लिये गए किसी नमूने के किसी विश्लेषण का परिणाम किसी विधिक कार्यवाही में साक्ष्य में तब तक ग्राह्य नहीं होगा जब तक उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबन्धों का अनुपालन नहीं किया जाता है।

(3) उपधारा (4) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के अधीन नमूना लेने वाला व्यक्ति -

(क) इस प्रकार विश्लेषण कराने के अपने आशय की सूचना की ऐसे प्रारूप में जो विहित किया जाये, अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या उस स्थान के भारसाधक व्यक्ति पर तुरन्त तामील करेगा;
(ख) अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति की उपस्थिति में विश्लेषण के लिये नमूना लेगा;
(ग) नमूने को आधान या आधानों में रखवाएगा जिसे चिन्हित और सील बन्द किया जाएगा और उस पर नमूना लेने वाला व्यक्ति और अभिष्ठाता या उसका अभिकर्ता या व्यक्ति दोनों हस्ताक्षर करेंगे;
(घ) आधान या आधानों को धारा 12 के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला को अविलम्ब भेजेगा।

(4) जब उपधारा (1) के अधीन विश्लेषण के लिये कोई नमूना लिया जाता है और नमूना लेने वाला व्यक्ति अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति पर उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन सूचना की तामील करता है तब -

(क) ऐसे मामले में जहाँ अधिष्ठाता, उसका अभिकर्ता या व्यक्ति जान-बूझकर अनुपस्थित रहता है वहाँ नमूना लेने वाला व्यक्ति विश्लेषण के लिये नमूना आधान या आधानों में रखवाने के लिये लेगा, जिसे चिन्हित और सीलबन्द किया जाएगा और नमूना लेने वाला व्यक्ति भी उस पर हस्ताक्षर करेगा; और
(ख) ऐसे मामले में जहाँ नमूना लिये जाने के समय अधिष्ठाता या उसका अभिकर्ता या व्यक्ति उपस्थित रहता है, किन्तु उपधारा (3) के खण्ड (ग) के अधीन अपेक्षित रूप में नमूने के चिन्हित और सीलबन्द आधान या आधानों पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है वहाँ चिन्हित और सीलबन्द आधान या आधानों पर नमूना लेने वाला व्यक्ति हस्ताक्षर करेगा,और नमूना लेने वाला व्यक्ति आधान और आधानों को धारा 12 के अधीन स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला को विश्लेषण के लिये अविलम्ब भेजेगा और ऐसा व्यक्ति धारा 13 के अधीन नियुक्त या मान्यता प्राप्त सरकारी विश्लेषक को अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति के, यथास्थिति, जान-बूझकर अनुपिस्थत रहने अथवा आधान या आधानों पर हस्ताक्षर करने से उसके इनकार करने के बारे में लिखित जानकारी देगा।

12. पर्यावरण प्रयोगशालाएँ


(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, -

(क) एक या अधिक पर्यावरण प्रयोगशालाएँ स्थापित कर सकेगी;
(ख) इस अधिनियम के अधीन किसी पर्यावरण प्रयोगशाला को सौंपे गए कृत्य करने के लिये एक या अधिक प्रयोगशालाओं या संस्थानों को पर्यावरण प्रयोगशालाओं के रूप में मान्यता दे सकेगी।
(2) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, निम्नलिखित को विनिर्दिष्ट करने के लिये नियम बना सकेगी, अर्थात:-

(क) पर्यावरण प्रयोगशाला के कृत्य;
(ख) विश्लेषण या परीक्षण के लिये वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने उक्त प्रयोगशाला को भेजने के लिये प्रक्रिया, उस पर प्रयोगशाला की रिपोर्ट का प्रारूप और ऐसी रिपोर्ट के लिये सन्देय फीस;
(ग) ऐसे अन्य विषय जो उस प्रयोगशाला को अपने कृत्य करने के लिये समर्थ बनाने के लिये आवश्यक या समीचीन हैं।

13. सरकारी विश्लेषक


केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे व्यक्तियों को, जिन्हें वह ठीक समझे और जिनके पास विहित अर्हताएँ हैं, धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित या मान्यताप्राप्त किसी पर्यावरण प्रयोगशाला को विशेलषण के लिये भेजे गए वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूनों के विश्लेषण के प्रयोजन के लिये सरकारी विश्लेषक नियुक्त कर सकेगी या मान्यता दे सकेगी।

14. सरकारी विश्लेषकों की रिपोर्ट


किसी ऐसी दस्तावेज का, जिसका किसी सरकारी विश्लेषक द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट होना तात्पर्यित है, इस अधिनियम के अधीन किसी कायर्वाही में उसमें कथित तथ्यों के साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकेगा।

15. अधिनियमों तथा नियमों, आदेशों और निदेशों के उपबन्धों के उल्लंघन के लिये शास्ति


(1) जो कोई इस अधिनियम के उपबन्धों या इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों या दिये गए निदेशों में से किसी का पालन करने में असफल रहेगा या उल्लंघन करेगा, वह ऐसी प्रत्येक असफलता या उल्लंघन के सम्बन्ध में कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से और यदि ऐसे असफलता या उल्लंघन चालू रहता है तो अतिरिक्त जुर्मानेे से, जो ऐसी प्रथम असफलता या उल्लंघन के लिये दोषसिद्धि के पश्चात ऐसे प्रत्येक दिन के लिये जिसके दौरान असफलता या उल्लंघन चालू रहता है, पाँच हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।

(2) यदि उपधारा (1) में निर्दिष्ट असफलता या उल्लंघन दोषसिद्धि की तारीख के पश्चात, एक वर्ष की अवधि से आगे भी चालू रहता है तो अपराधी, कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा।

16. कम्पनियों द्वारा अपराध


(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है वहाँ प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किये जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिये उस कम्पनी का सीधे भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कम्पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएँगे और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने के भागी होंगे:

परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम के अधीन उपबन्धित किसी दण्ड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने का निवारण करने के लिये सब सम्यक तत्परता बरती थी।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दंडित किये जाने का भागी होगा।

स्पष्टीकरण


इस धारा के प्रयोजनों के लिये, -

(क) “कम्पनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम है; तथा
(ख) फर्म के सम्बन्ध में, “निदेशक” से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है।

17. सरकारी विभागों द्वारा अपराध


(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है वहाँ विभागाध्यक्ष उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने का भागी होगा:

परन्तु इस धारा की कोई बात किसी विभागाध्यक्ष को दण्ड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने का निवारण करने के लिये सब सम्यक तत्परता बरती थी।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी विभागाध्यक्ष द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध विभागाध्यक्ष से भिन्न किसी अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने का भागी होगा।

अध्याय 4


प्रकीर्ण


18. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिये संरक्षण


इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों या दिये गए निदेशों के अनुसरण में सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिये आशयित किसी बात के लिये कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही, सरकार या सरकार के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी अथवा इस अधिनियम के अधीन गठित किसी प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण के किसी सदस्य, अधिकारी या अन्य कर्मचारी के विरुद्ध नहीं होगी।

19. अपराधों का संज्ञान


कोई न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान निम्नलिखित द्वारा किये गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं, अर्थात:-

(क) केन्द्रीय सरकार या उस सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई प्राधिकरण या अधिकारी; या
(ख) कोई ऐसा व्यक्ति, जिसने अभिकथित अपराध की और परिवाद करने के अपने आशय की, विहित रीति से, कम-से-कम साठ दिन की सूचना, केन्द्रीय सरकार या पूर्वोक्त रूप में प्राधिकृत प्राधिकरण या अधिकारी को दे दी है।

20. जानकारी, रिपोर्टें या विवरणियाँ


केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के सम्बन्ध में, समय-समय पर, किसी व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण से अपने को या किसी विहित प्राधिकरण या अधिकारी से रिपोर्टें, विवरणियाँ, आँकड़े, लेखे और अन्य जानकारी देने की अपेक्षा कर सकेगी और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण ऐसा करने के लिये आबद्ध होगा।

21. धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों का लोकसेवक होना


धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के, यदि कोई हो, सभी सदस्य और ऐसे प्राधिकरण के सभी अधिकारी और अन्य कर्मचारी जब वे इस अधिनियम के किसी उपबन्ध या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या निकाले गए किसी आदेश या दिये गए निदेश के अनुसरण में कार्य कर रहे हों या जब उसका ऐसा कार्य करना तात्पर्यित हो, भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में लोकसेवक समझे जाएँगे।

22. अधिकारिता का वर्जन


किसी सिविल न्यायालय को, केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य प्राधिकरण या अधिकारी द्वारा, इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में या इसके अधीन कृत्यों के सम्बन्ध में की गई किसी बात, कार्रवाई या निकाले गए आदेश या दिये गए निदेश के सम्बन्ध में कोई वाद या कार्यवाही ग्रहण करने की अधिकारिता नहीं होगी।

23. प्रत्यायोजन करने की शक्ति


धारा 3 की उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसी शर्तों और निर्बन्धनों के अधीन रहते हुए, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किये जाएँ, इस अधिनियम के अधीन अपनी ऐसी शक्तियों और कृत्यों को {उस शक्ति को छोड़कर जो धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन किसी प्राधिकरण का गठन करने और धारा 25 के अधीन नियम बनाने के लिये है}, जो वह आवश्यक या समीचीन समझे, किसी अधिकारी, राज्य सरकार या प्राधिकरण को प्रत्यायोजित कर सकेगी।

24. अन्य विधियों का प्रभाव


(1) उपधारा (2) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम और इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों के उपबन्ध, इस अधिनियम से भिन्न किसी अधिनियमित में उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे।

(2) जहाँ किसी कार्य या लोप से कोई ऐसा अपराध गठित होता है जो इस अधिनियम के अधीन और किसी अन्य अधिनियम के अधीन भी दण्डनीय है वहाँ ऐसे अपराध का दोषी पाया गया अपराधी अन्य अधिनियम के अधीन, न कि इस अधिनियम के अधीन, दण्डित किये जाने का भागी होगा।

25. नियम बनाने की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात:-

(क) वे मानक जिनसे अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का धारा 7 के अधीन निस्सारण या उत्सर्जन नहीं किया जाएगा;
(ख) वह प्रक्रिया जिसके अनुसार और वे रक्षोपाय जिनके अनुपालन में परिसंकटमय पदार्थों को धारा 8 के अधीन हथाला जाएगा या हथलवाया जाएगा;
(ग) वे प्राधिकरण या अभिकरण जिनको विहित मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों के निस्सारण होने की या उसके होने की आशंका के तथ्य की सूचना दी जाएगी और जिनको धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन सभी सहायता दिया जाना आबद्धकर होगा;
(घ) वह रीति जिससे विश्लेषण के प्रयोजनों के लिये वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थों के नमूने धारा 11 की उपधारा (1) के अधीन लिये जाएँगे;
(ङ) वह प्रारूप जिसमें किसी नमूने का विश्लेषण कराने के आशय की सूचना धारा 11 की उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन दी जाएगी;
(च) पर्यावरण प्रयोगशालाओं के कृत्य; विश्लेषण या परीक्षण के लिये वायु, जल, मृदा और अन्य पदार्थों के नमूने ऐसी प्रयोगशालाओं को भेजने के लिये प्रक्रिया; प्रयोगशाला रिपोर्ट का प्रारूप; ऐसी रिपोर्ट के लिये सन्देय फीस और धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन अपने कृत्य करने के लिये प्रयोगशालाओं को समर्थ बनाने के लिये अन्य विषय;
(छ) धारा 13 के अधीन वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थों के नमूनों के विश्लेषण के प्रयोजन के लिये नियुक्त या मान्यता प्राप्त सरकारी विश्लेषक की अर्हताएँ;
(ज) वह रीति जिससे अपराध की और केन्द्रीय सरकार को परिवाद करने के आशय की सूचना धारा 19 के खण्ड (ख) के अधीन दी जाएगी;
(झ) वह प्राधिकरण या अधिकारी जिसको रिपोर्टें, विवरणियाँ, आँकड़े, लेखे और अन्य जानकारी धारा 20 के अधीन दी जाएँगी;
(ञ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या किया जाये।

26. इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों का संसद के समक्ष रखा जाना


इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिये रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिये सहमत हो जाएँ तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएँ कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।


GkExams on 07-02-2019

पर्यावरण के संरक्षण और सुधार का और उनसे सम्बन्धित विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय पर्यावरण सम्मेलन में, जो जून, 1972 में स्टाकहोम में हुआ था और जिसमें भारत ने भाग लिया था, यह विनिश्चय किया गया था कि मानवीय पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये समुचित कदम उठाए जाएँ;

यह आवश्यक समझा गया है कि पूर्वोक्त निर्णयों को, जहाँ तक उनका सम्बन्ध पर्यावरण संरक्षण और सुधार से तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सम्पत्ति को होने वाले परिसंकट के निवारण से है, लागू किया जाये;

भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-

अध्याय 1


प्रारम्भिक

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ


(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबन्धों के लिये और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिये भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।

2. परिभाषाएँ


इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -

(क) “पर्यावरण” के अन्तर्गत जल, वायु और भूमि हैं और वह अन्तरसम्बन्ध है जो जल, वायु और भूमि तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सूक्ष्मजीव और सम्पत्ति के बीच विद्यमान है;
(ख) “पर्यावरण प्रदूषक” से ऐसा ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ अभिप्रेत है जो ऐसी सान्द्रता में विद्यमान है जो पर्यावरण के लिये क्षतिकर हो सकता है या जिसका क्षतिकर होना सम्भाव्य है;
(ग) “पर्यावरण प्रदूषण” से पर्यावरण में पर्यावरण प्रदूषकों का विद्यमान होना अभिप्रेत है;
(घ) किसी पदार्थ के सम्बन्ध में, “हथालना” से ऐसे पदार्थ का विनिर्माण, प्रसंस्करण, अभिक्रियान्वयन, पैकेज, भण्डारकरण, परिवहन, उपयोग, संग्रहण, विनाश, सम्परिवर्तन, विक्रय के लिये प्रस्थापना, अन्तरण या वैसी ही संक्रिया अभिप्रेत है;
(ङ) “परिसंकटमय पदार्थ” से ऐसा पदार्थ या निर्मिति अभिप्रेत है जो अपने रासायनिक या भौतिक-रासायनिक गुणों के या हथालने के कारण मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों, सूक्ष्मजीव, सम्पत्ति या पर्यावरण को अपहानि कारित कर सकती है;
(च) किसी कारखाने या परिसर के सम्बन्ध में , “अधिष्ठाता” से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसका कारखाने या परिसर के कामकाज पर नियंत्रण है और किसी पदार्थ के सम्बन्ध में ऐसा व्यक्ति इसके अन्तर्गत है जिसके कब्जे में वह पदार्थ भी है;
(छ) “विहित” से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है।

अध्याय 2


केन्द्रीय सरकार की साधारण शक्तियाँ

3. केन्द्रीय सरकार की पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये उपाय करने की शक्ति


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार को ऐसे सभी उपाय करने की शक्ति होगी जो वह पर्यावरण के संरक्षण और उसकी क्वालिटी में सुधार करने तथा पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये आवश्यक समझे।

(2) विशिष्टतया और उपधारा (1) के उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अन्तर्गत निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के सम्बन्ध में उपाय हो सकेंगे, अर्थात:-

(i) राज्य सरकारों, अधिकारियों और अन्य प्राधिकरणों की, -

(क) इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन; या
(ख) इस अधिनियम के उद्देश्यों से सम्बन्धित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन, कार्रवाइयों का समन्वय;

(ii) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसको निष्पादित करना;

(iii) पर्यावरण के विभिन्न आयामों के सम्बन्ध में उसकी क्वालिटी के लिये मानक अधिकथित करना;

(iv) विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण के मानक अधिकथित करना:

परन्तु ऐसे स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण की क्वालिटी या सम्मिश्रण को ध्यान में रखते हुए, भिन्न-भिन्न स्रोतों से उत्सर्जन या निस्सारण के लिये इस खण्ड के अधीन भिन्न-भिन्न मानक अधिकथित किये जा सकेंगे;

(अ) उन क्षेत्रों का निर्बन्धन जिनमें कोई उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण या किसी वर्ग के उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण नहीं चलाए जाएँगे या कुछ रक्षोपायों के अधीन रहते हुए चलाए जाएँगे;

(vi) ऐसी दुर्घटनाओं के निवारण के लिये प्रक्रिया और रक्षेपाय अधिकथित करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है और ऐसी दुर्घटनाओं के लिये उपचारी उपाय अधिकथित करना;

(vii) परिसंकटमय पदार्थों को हथालने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय अधिकथित करना;

(viii) ऐसी विनिर्माण प्रक्रियाओं, सामग्री और पदार्थ की परीक्षा करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण होने की सम्भावना है;

(ix) पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं के सम्बन्ध में अन्वेषण और अनुसन्धान करना और प्रायोजित करना;

(x) किसी परिसर, संयंत्र, उपस्कर, मशीनरी, विनिर्माण या अन्य प्रक्रिया सामग्री या पदार्थों का निरीक्षण करना और ऐसे प्राधिकरणों, अधिकारियों या व्यक्तियों को, आदेश द्वारा, ऐसे निदेश देना जो वह पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये कार्रवाई करने के लिये आवश्यक समझे;

(xi) ऐसे कृत्यों को कार्यान्वित करने के लिये पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थाओं की स्थापना करना या उन्हें मान्यता देना, जो इस अधिनियम के अधीन ऐसी पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थाओं को सौंपे जाएँ;

(xii) पर्यावरण प्रदूषण से सम्बन्धित विषयों की बाबत जानकारी एकत्र करना और उसका प्रसार करना;

(xiii) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन से सम्बन्धित निदशिकाएँ, संहिताएँ या पथ प्रदर्शिकाएँ तैयार करना;

(xiv) ऐसे अन्य विषय, जो केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों का प्रभाव पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिये आवश्यक या समीचीन समझे।

(3) यदि केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है तो वह, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार को ऐसी शक्तियों और कृत्यों के (जिनके अन्तर्गत धारा 5 के अधीन निदेश देने की शक्ति भी है) प्रयोग और निर्वहन के प्रयोजनों के लिये और उपधारा (2) में निर्दिष्ट ऐसे विषयों की बाबत उपाय करने के लिये जो आदेश में उल्लिखित किये जाएँ, प्राधिकरण या प्राधिकरणों का ऐसे नाम या नामों से गठन कर सकेगी जो आदेश में विनिर्दिष्ट किये जाएँ और केन्द्रीय सरकार के अधीक्षण और नियंत्रण तथा ऐसे आदेश के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, ऐसा प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण ऐसी शक्तियों का प्रयोग या ऐसे कृत्यों का निर्वहन कर सकेंगे या ऐसे आदेश में इस प्रकार उल्लिखित उपाय ऐसे कर सकेंगे मानो ऐसा प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण उन शक्तियों का प्रयोग या उन कृत्यों का निर्वहन करने या ऐसे उपाय करने के लिये इस अधिनियम द्वारा सशक्त किये गए हों।

4. अधिकारियों की नियुक्ति तथा उनकी शक्तियाँ और कृत्य


(1) धारा 3 की उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये, ऐसे पदाभिधानों सहित ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगी और उन्हें इस अधिनियम के अधीन ऐसी शक्तियाँ और कृत्य सौंप सकेगी जो वह ठीक समझे।

(2) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त अधिकारी, केन्द्रीय सरकार के या यदि उस सरकार द्वारा इस प्रकार निदेश दिया जाये तो, धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन गठित प्राधिकरण या प्राधिकरणों, यदि कोई हों, के अथवा किसी अन्य प्राधिकरण या अधिकारी के भी साधारण नियंत्रण और निदेशन के अधीन होंगे।

5. निदेश देने की शक्ति


केन्द्रीय सरकार, किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों के प्रयोग और अपने कृत्यों के निर्वहन में किसी व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकरण को निदेश दे सकेगी और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकरण ऐसे निदेशों का अनुपालन करने के लिये आबद्ध होगा।

स्पष्टीकरण


शंकाओं को दूर करने के लिये यह घोषित किया जाता है कि इस धारा के अधीन निदेश देने की शक्ति के अन्तर्गत, -

(क) किसी उद्योग, संक्रिया या प्रक्रिया को बन्द करने, उसका प्रतिषेध या विनियमन करने का निदेश देने की शक्ति है; या
(ख) विद्युत या जल या किसी अन्य सेवा के प्रदाय को रोकने या विनियमन करने का निदेश देने की शक्ति है।

1{5क. राष्ट्रीय हरित अधिकरण को अपील


कोई व्यक्ति जो, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 (2010 का 19) के प्रारम्भ होने पर या उसके पश्चात धारा 5 के अधीन जारी किन्हीं निदेशों से व्यथित है, वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 3 के अधीन स्थापित राष्ट्रीय हरित अधिकरण को, उस अधिनियम के उपबन्धों के अनुसार, अपील फाइल कर सकेगा।}

6. पर्यावरण प्रदूषण का विनियमन करने के लिये नियम


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, धारा 3 में निर्दिष्ट सभी या किन्हीं विषयों की बाबत नियम बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात:-

(क) विभिन्न क्षेत्रों और प्रयोजनों के लिये वायु, जल या मृदा की क्वालिटी के मानक;
(ख) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिये विभिन्न पर्यावरण प्रदूषकों की (जिनके अन्तर्गत शोर भी है) सान्द्रता की अधिकतम अनुज्ञेय सीमा;
(ग) परिसंकटमय पदार्थ के हथालने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय;
(घ) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में परिसंकटमय पदार्थों के हथालने पर प्रतिषेध और निर्बन्धन;
(ङ) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में प्रक्रिया और संक्रियाएँ चलाने वाले उद्योगों के अवस्थान पर प्रतिषेध और निर्बन्धन;
(च) ऐसी दुर्घटनाओं के निवारण के लिये जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है और ऐसी दुर्घटनाओं के लिये उपचारी उपायों का उपबन्ध करने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय।

अध्याय 3


पर्यावरण प्रदूषण का निवारण, नियंत्रण और उपशमन


7. उद्योग चलाने, संक्रिया, अादि करने वाले व्यक्तियों द्वारा मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का उत्सर्जन या निस्सारण न होने देना


कोई ऐसा व्यक्ति, जो कोई उद्योग चलाता है, या कोई संक्रिया या प्रक्रिया करता है, ऐसे मानकों से अधिक, जो विहित किये जाएँ, किसी पर्यावरण प्रदूषक का निस्सारण या उत्सर्जन नहीं करेगा अथवा निस्सारण या उत्सर्जन करने की अनुज्ञा नहीं देगा।

8. परिसंकटमय पदार्थों को हथालने वाले व्यक्तियों द्वारा प्रक्रिया सम्बन्धी रक्षोपायों का पालन किया जाना


कोई व्यक्ति किसी परिसंकटमय पदार्थ को ऐसी प्रक्रिया के अनुसार और ऐसे रक्षोपायों का अनुपालन करने के पश्चात ही, जो विहित किये जाएँ, हथालेगा या हथालने देगा, अन्यथा नहीं।

9. कुछ मामलों में प्राधिकरणों और अभिकरणों को जानकारी का दिया जाना


(1) जहाँ किसी दुर्घटना या अन्य अप्रत्याशित कार्य या घटना के कारण किसी पर्यावरण प्रदूषक का निस्सारण विहित मानकों से अधिक होता है या होने की आशंका है वहाँ ऐसे निस्सारण के लिये उत्तरदायी व्यक्ति और उस स्थान का, जहाँ ऐसा निस्सारण होता है या होने की आशंका है, भारसाधक व्यक्ति, ऐसे निस्सारण के परिणामस्वरूप हुए पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आबद्ध होगा, और ऐसे प्राधिकरणों को या अभिकरणों को, जो विहित किये जाएँ, -

(क) ऐसी घटना के तथ्य की या ऐसी घटना होने की आशंका की जानकारी तुरन्त देगा; और
(ख) यदि अपेक्षा की जाये तो, सभी सहायता देने के लिये आबद्ध होगा।

(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रकार की, किसी घटना के तथ्य की या उसकी आशंका के सम्बन्ध में सूचना की प्राप्ति पर, चाहे ऐसी सूचना उस उपधारा के अधीन जानकारी द्वारा मिले या अन्यथा, उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्राधिकरण या अभिकरण, यावत्साध्य शीघ्र, ऐसे उपचारी उपाय कराएँगे जो पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आवश्यक हैं।

(3) उपधारा (2) में निर्दिष्ट उपचारी उपाय करने के सम्बन्ध में किसी प्राधिकरण या अभिकरण द्वारा उपगत व्यय, यदि कोई हों, उस तारीख से जब व्ययों के लिये माँग की जाती है, उस तारीख तक के लिये जब उनका सन्दाय कर दिया जाता है, ब्याज सहित (ऐसी उचित दर पर जो सरकार, आदेश द्वारा, नियत करे) ऐसे प्राधिकरण या अभिकरण द्वारा सम्बन्धित व्यक्ति से भू-राजस्व की बकाया या लोक माँग के रूप में वसूल किये जा सकेंगे।

10. प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियाँ


(1) इस धारा के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह सभी युक्तियुक्त समयों पर ऐसी सहायता के साथ जो वह आवश्यक समझे किसी स्थान में निम्नलिखित प्रयोजन के लिये प्रवेश करे, अर्थात:-

(क) उसे सौंपे गए केन्द्रीय सरकार के कृत्यों में से किसी का पालन करना;

(ख) यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिये कि क्या ऐसे किन्हीं कृत्यों का पालन किया जाना है और यदि हाँ तो किस रीति से किया जाना है या क्या इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं उपबन्धों का या इस अधिनियम के अधीन तामील की गई सूचना, निकाले गए आदेश, दिये गए निर्देश या अनुदत्त प्राधिकार का पालन किया जा रहा है या किया गया है;

(ग) किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या किसी अन्य सारवान पदार्थ की जाँच या परीक्षा करने के प्रयोजन के लिये अथवा किसी ऐसे भवन की तलाशी लेने के लिये, जिसके सम्बन्ध में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उसके भीतर इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन कोई अपराध किया गया है या किया जा रहा है या किया जाने वाला है और ऐसे किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या अन्य सारवान पदार्थ का उस दशा में अभिग्रहण करने के लिये, जब उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उससे इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के किये जाने का साक्ष्य दिया जा सकेगा अथवा ऐसा अभिग्रहण पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आवश्यक है।

(2) प्रत्येक व्यक्ति जो कोई उद्योग चलाता है, कोई संक्रिया या प्रक्रिया करता है या कोई परिसंकटमय पदार्थ हथालता है, ऐसे व्यक्ति को सभी सहायता देने के लिये आबद्ध होगा, जिसे उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार ने उस उपधारा के अधीन कृत्यों को करने के लिये सशक्त किया है और यदि वह किसी युक्तियुक्त कारण या प्रति हेतु के बिना ऐसा करने में असफल रहेगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।

(3) यदि कोई व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा सशक्त किसी व्यक्ति को, उसके कृत्यों के निर्वहन में जान-बूझकर विलम्ब करेगा या बाधा पहुँचाएगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।

(4) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबन्ध या जम्मू-कश्मीर राज्य या किसी ऐसे क्षेत्र में जिसमें वह संहिता प्रवृत्त नहीं है, उस राज्य या क्षेत्र में प्रवृत्त किसी तत्स्थानी विधि के उपबन्ध, जहाँ तक हो सके, इस धारा के अधीन किसी तलाशी या अभिग्रहण को वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, यथास्थिति, उक्त संहिता की धारा 94 के अधीन या उक्त विधि के तत्स्थानी उपबन्ध के अधीन जारी किये गए वारंट के प्राधिकार के अधीन की गई किसी तलाशी या अभिग्रहण को लागू होते हैं।

11. नमूने लेने की शक्ति और उसके सम्बन्ध में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया


(1) केन्द्रीय सरकार या उसके द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी अधिकारी को विश्लेषण के प्रयोजन के लिये किसी कारखाने, परिसर या अन्य स्थान से वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने ऐसी रीति से लेने की शक्ति होगी, जो विहित की जाये।

(2) उपधारा (1) के अधीन लिये गए किसी नमूने के किसी विश्लेषण का परिणाम किसी विधिक कार्यवाही में साक्ष्य में तब तक ग्राह्य नहीं होगा जब तक उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबन्धों का अनुपालन नहीं किया जाता है।

(3) उपधारा (4) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के अधीन नमूना लेने वाला व्यक्ति -

(क) इस प्रकार विश्लेषण कराने के अपने आशय की सूचना की ऐसे प्रारूप में जो विहित किया जाये, अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या उस स्थान के भारसाधक व्यक्ति पर तुरन्त तामील करेगा;
(ख) अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति की उपस्थिति में विश्लेषण के लिये नमूना लेगा;
(ग) नमूने को आधान या आधानों में रखवाएगा जिसे चिन्हित और सील बन्द किया जाएगा और उस पर नमूना लेने वाला व्यक्ति और अभिष्ठाता या उसका अभिकर्ता या व्यक्ति दोनों हस्ताक्षर करेंगे;
(घ) आधान या आधानों को धारा 12 के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला को अविलम्ब भेजेगा।

(4) जब उपधारा (1) के अधीन विश्लेषण के लिये कोई नमूना लिया जाता है और नमूना लेने वाला व्यक्ति अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति पर उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन सूचना की तामील करता है तब -

(क) ऐसे मामले में जहाँ अधिष्ठाता, उसका अभिकर्ता या व्यक्ति जान-बूझकर अनुपस्थित रहता है वहाँ नमूना लेने वाला व्यक्ति विश्लेषण के लिये नमूना आधान या आधानों में रखवाने के लिये लेगा, जिसे चिन्हित और सीलबन्द किया जाएगा और नमूना लेने वाला व्यक्ति भी उस पर हस्ताक्षर करेगा; और
(ख) ऐसे मामले में जहाँ नमूना लिये जाने के समय अधिष्ठाता या उसका अभिकर्ता या व्यक्ति उपस्थित रहता है, किन्तु उपधारा (3) के खण्ड (ग) के अधीन अपेक्षित रूप में नमूने के चिन्हित और सीलबन्द आधान या आधानों पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है वहाँ चिन्हित और सीलबन्द आधान या आधानों पर नमूना लेने वाला व्यक्ति हस्ताक्षर करेगा,और नमूना लेने वाला व्यक्ति आधान और आधानों को धारा 12 के अधीन स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला को विश्लेषण के लिये अविलम्ब भेजेगा और ऐसा व्यक्ति धारा 13 के अधीन नियुक्त या मान्यता प्राप्त सरकारी विश्लेषक को अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति के, यथास्थिति, जान-बूझकर अनुपिस्थत रहने अथवा आधान या आधानों पर हस्ताक्षर करने से उसके इनकार करने के बारे में लिखित जानकारी देगा।

12. पर्यावरण प्रयोगशालाएँ


(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, -

(क) एक या अधिक पर्यावरण प्रयोगशालाएँ स्थापित कर सकेगी;
(ख) इस अधिनियम के अधीन किसी पर्यावरण प्रयोगशाला को सौंपे गए कृत्य करने के लिये एक या अधिक प्रयोगशालाओं या संस्थानों को पर्यावरण प्रयोगशालाओं के रूप में मान्यता दे सकेगी।
(2) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, निम्नलिखित को विनिर्दिष्ट करने के लिये नियम बना सकेगी, अर्थात:-

(क) पर्यावरण प्रयोगशाला के कृत्य;
(ख) विश्लेषण या परीक्षण के लिये वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने उक्त प्रयोगशाला को भेजने के लिये प्रक्रिया, उस पर प्रयोगशाला की रिपोर्ट का प्रारूप और ऐसी रिपोर्ट के लिये सन्देय फीस;
(ग) ऐसे अन्य विषय जो उस प्रयोगशाला को अपने कृत्य करने के लिये समर्थ बनाने के लिये आवश्यक या समीचीन हैं।

13. सरकारी विश्लेषक


केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे व्यक्तियों को, जिन्हें वह ठीक समझे और जिनके पास विहित अर्हताएँ हैं, धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित या मान्यताप्राप्त किसी पर्यावरण प्रयोगशाला को विशेलषण के लिये भेजे गए वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूनों के विश्लेषण के प्रयोजन के लिये सरकारी विश्लेषक नियुक्त कर सकेगी या मान्यता दे सकेगी।

14. सरकारी विश्लेषकों की रिपोर्ट


किसी ऐसी दस्तावेज का, जिसका किसी सरकारी विश्लेषक द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट होना तात्पर्यित है, इस अधिनियम के अधीन किसी कायर्वाही में उसमें कथित तथ्यों के साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकेगा।

15. अधिनियमों तथा नियमों, आदेशों और निदेशों के उपबन्धों के उल्लंघन के लिये शास्ति


(1) जो कोई इस अधिनियम के उपबन्धों या इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों या दिये गए निदेशों में से किसी का पालन करने में असफल रहेगा या उल्लंघन करेगा, वह ऐसी प्रत्येक असफलता या उल्लंघन के सम्बन्ध में कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से और यदि ऐसे असफलता या उल्लंघन चालू रहता है तो अतिरिक्त जुर्मानेे से, जो ऐसी प्रथम असफलता या उल्लंघन के लिये दोषसिद्धि के पश्चात ऐसे प्रत्येक दिन के लिये जिसके दौरान असफलता या उल्लंघन चालू रहता है, पाँच हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।

(2) यदि उपधारा (1) में निर्दिष्ट असफलता या उल्लंघन दोषसिद्धि की तारीख के पश्चात, एक वर्ष की अवधि से आगे भी चालू रहता है तो अपराधी, कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा।

16. कम्पनियों द्वारा अपराध


(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है वहाँ प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किये जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिये उस कम्पनी का सीधे भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कम्पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएँगे और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने के भागी होंगे:

परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम के अधीन उपबन्धित किसी दण्ड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने का निवारण करने के लिये सब सम्यक तत्परता बरती थी।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दंडित किये जाने का भागी होगा।

स्पष्टीकरण


इस धारा के प्रयोजनों के लिये, -

(क) “कम्पनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम है; तथा
(ख) फर्म के सम्बन्ध में, “निदेशक” से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है।

17. सरकारी विभागों द्वारा अपराध


(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है वहाँ विभागाध्यक्ष उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने का भागी होगा:

परन्तु इस धारा की कोई बात किसी विभागाध्यक्ष को दण्ड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने का निवारण करने के लिये सब सम्यक तत्परता बरती थी।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी विभागाध्यक्ष द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध विभागाध्यक्ष से भिन्न किसी अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने का भागी होगा।

अध्याय 4


प्रकीर्ण


18. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिये संरक्षण


इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों या दिये गए निदेशों के अनुसरण में सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिये आशयित किसी बात के लिये कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही, सरकार या सरकार के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी अथवा इस अधिनियम के अधीन गठित किसी प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण के किसी सदस्य, अधिकारी या अन्य कर्मचारी के विरुद्ध नहीं होगी।

19. अपराधों का संज्ञान


कोई न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान निम्नलिखित द्वारा किये गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं, अर्थात:-

(क) केन्द्रीय सरकार या उस सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई प्राधिकरण या अधिकारी; या
(ख) कोई ऐसा व्यक्ति, जिसने अभिकथित अपराध की और परिवाद करने के अपने आशय की, विहित रीति से, कम-से-कम साठ दिन की सूचना, केन्द्रीय सरकार या पूर्वोक्त रूप में प्राधिकृत प्राधिकरण या अधिकारी को दे दी है।

20. जानकारी, रिपोर्टें या विवरणियाँ


केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के सम्बन्ध में, समय-समय पर, किसी व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण से अपने को या किसी विहित प्राधिकरण या अधिकारी से रिपोर्टें, विवरणियाँ, आँकड़े, लेखे और अन्य जानकारी देने की अपेक्षा कर सकेगी और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण ऐसा करने के लिये आबद्ध होगा।

21. धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों का लोकसेवक होना


धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के, यदि कोई हो, सभी सदस्य और ऐसे प्राधिकरण के सभी अधिकारी और अन्य कर्मचारी जब वे इस अधिनियम के किसी उपबन्ध या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या निकाले गए किसी आदेश या दिये गए निदेश के अनुसरण में कार्य कर रहे हों या जब उसका ऐसा कार्य करना तात्पर्यित हो, भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में लोकसेवक समझे जाएँगे।

22. अधिकारिता का वर्जन


किसी सिविल न्यायालय को, केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य प्राधिकरण या अधिकारी द्वारा, इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में या इसके अधीन कृत्यों के सम्बन्ध में की गई किसी बात, कार्रवाई या निकाले गए आदेश या दिये गए निदेश के सम्बन्ध में कोई वाद या कार्यवाही ग्रहण करने की अधिकारिता नहीं होगी।

23. प्रत्यायोजन करने की शक्ति


धारा 3 की उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसी शर्तों और निर्बन्धनों के अधीन रहते हुए, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किये जाएँ, इस अधिनियम के अधीन अपनी ऐसी शक्तियों और कृत्यों को {उस शक्ति को छोड़कर जो धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन किसी प्राधिकरण का गठन करने और धारा 25 के अधीन नियम बनाने के लिये है}, जो वह आवश्यक या समीचीन समझे, किसी अधिकारी, राज्य सरकार या प्राधिकरण को प्रत्यायोजित कर सकेगी।

24. अन्य विधियों का प्रभाव


(1) उपधारा (2) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम और इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों के उपबन्ध, इस अधिनियम से भिन्न किसी अधिनियमित में उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे।

(2) जहाँ किसी कार्य या लोप से कोई ऐसा अपराध गठित होता है जो इस अधिनियम के अधीन और किसी अन्य अधिनियम के अधीन भी दण्डनीय है वहाँ ऐसे अपराध का दोषी पाया गया अपराधी अन्य अधिनियम के अधीन, न कि इस अधिनियम के अधीन, दण्डित किये जाने का भागी होगा।

25. नियम बनाने की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात:-

(क) वे मानक जिनसे अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का धारा 7 के अधीन निस्सारण या उत्सर्जन नहीं किया जाएगा;
(ख) वह प्रक्रिया जिसके अनुसार और वे रक्षोपाय जिनके अनुपालन में परिसंकटमय पदार्थों को धारा 8 के अधीन हथाला जाएगा या हथलवाया जाएगा;
(ग) वे प्राधिकरण या अभिकरण जिनको विहित मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों के निस्सारण होने की या उसके होने की आशंका के तथ्य की सूचना दी जाएगी और जिनको धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन सभी सहायता दिया जाना आबद्धकर होगा;
(घ) वह रीति जिससे विश्लेषण के प्रयोजनों के लिये वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थों के नमूने धारा 11 की उपधारा (1) के अधीन लिये जाएँगे;
(ङ) वह प्रारूप जिसमें किसी नमूने का विश्लेषण कराने के आशय की सूचना धारा 11 की उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन दी जाएगी;
(च) पर्यावरण प्रयोगशालाओं के कृत्य; विश्लेषण या परीक्षण के लिये वायु, जल, मृदा और अन्य पदार्थों के नमूने ऐसी प्रयोगशालाओं को भेजने के लिये प्रक्रिया; प्रयोगशाला रिपोर्ट का प्रारूप; ऐसी रिपोर्ट के लिये सन्देय फीस और धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन अपने कृत्य करने के लिये प्रयोगशालाओं को समर्थ बनाने के लिये अन्य विषय;
(छ) धारा 13 के अधीन वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थों के नमूनों के विश्लेषण के प्रयोजन के लिये नियुक्त या मान्यता प्राप्त सरकारी विश्लेषक की अर्हताएँ;
(ज) वह रीति जिससे अपराध की और केन्द्रीय सरकार को परिवाद करने के आशय की सूचना धारा 19 के खण्ड (ख) के अधीन दी जाएगी;
(झ) वह प्राधिकरण या अधिकारी जिसको रिपोर्टें, विवरणियाँ, आँकड़े, लेखे और अन्य जानकारी धारा 20 के अधीन दी जाएँगी;
(ञ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या किया जाये।

26. इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों का संसद के समक्ष रखा जाना


इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिये रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिये सहमत हो जाएँ तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएँ कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।


GkExams on 07-02-2019

पर्यावरण के संरक्षण और सुधार का और उनसे सम्बन्धित विषयों का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय पर्यावरण सम्मेलन में, जो जून, 1972 में स्टाकहोम में हुआ था और जिसमें भारत ने भाग लिया था, यह विनिश्चय किया गया था कि मानवीय पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये समुचित कदम उठाए जाएँ;

यह आवश्यक समझा गया है कि पूर्वोक्त निर्णयों को, जहाँ तक उनका सम्बन्ध पर्यावरण संरक्षण और सुधार से तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सम्पत्ति को होने वाले परिसंकट के निवारण से है, लागू किया जाये;

भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-

अध्याय 1


प्रारम्भिक

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ


(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के भिन्न-भिन्न उपबन्धों के लिये और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिये भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।

2. परिभाषाएँ


इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -

(क) “पर्यावरण” के अन्तर्गत जल, वायु और भूमि हैं और वह अन्तरसम्बन्ध है जो जल, वायु और भूमि तथा मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों और सूक्ष्मजीव और सम्पत्ति के बीच विद्यमान है;
(ख) “पर्यावरण प्रदूषक” से ऐसा ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ अभिप्रेत है जो ऐसी सान्द्रता में विद्यमान है जो पर्यावरण के लिये क्षतिकर हो सकता है या जिसका क्षतिकर होना सम्भाव्य है;
(ग) “पर्यावरण प्रदूषण” से पर्यावरण में पर्यावरण प्रदूषकों का विद्यमान होना अभिप्रेत है;
(घ) किसी पदार्थ के सम्बन्ध में, “हथालना” से ऐसे पदार्थ का विनिर्माण, प्रसंस्करण, अभिक्रियान्वयन, पैकेज, भण्डारकरण, परिवहन, उपयोग, संग्रहण, विनाश, सम्परिवर्तन, विक्रय के लिये प्रस्थापना, अन्तरण या वैसी ही संक्रिया अभिप्रेत है;
(ङ) “परिसंकटमय पदार्थ” से ऐसा पदार्थ या निर्मिति अभिप्रेत है जो अपने रासायनिक या भौतिक-रासायनिक गुणों के या हथालने के कारण मानवों, अन्य जीवित प्राणियों, पादपों, सूक्ष्मजीव, सम्पत्ति या पर्यावरण को अपहानि कारित कर सकती है;
(च) किसी कारखाने या परिसर के सम्बन्ध में , “अधिष्ठाता” से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसका कारखाने या परिसर के कामकाज पर नियंत्रण है और किसी पदार्थ के सम्बन्ध में ऐसा व्यक्ति इसके अन्तर्गत है जिसके कब्जे में वह पदार्थ भी है;
(छ) “विहित” से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है।

अध्याय 2


केन्द्रीय सरकार की साधारण शक्तियाँ

3. केन्द्रीय सरकार की पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिये उपाय करने की शक्ति


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार को ऐसे सभी उपाय करने की शक्ति होगी जो वह पर्यावरण के संरक्षण और उसकी क्वालिटी में सुधार करने तथा पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये आवश्यक समझे।

(2) विशिष्टतया और उपधारा (1) के उपबन्धों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों के अन्तर्गत निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के सम्बन्ध में उपाय हो सकेंगे, अर्थात:-

(i) राज्य सरकारों, अधिकारियों और अन्य प्राधिकरणों की, -

(क) इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन; या
(ख) इस अधिनियम के उद्देश्यों से सम्बन्धित तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन, कार्रवाइयों का समन्वय;

(ii) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसको निष्पादित करना;

(iii) पर्यावरण के विभिन्न आयामों के सम्बन्ध में उसकी क्वालिटी के लिये मानक अधिकथित करना;

(iv) विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण के मानक अधिकथित करना:

परन्तु ऐसे स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निस्सारण की क्वालिटी या सम्मिश्रण को ध्यान में रखते हुए, भिन्न-भिन्न स्रोतों से उत्सर्जन या निस्सारण के लिये इस खण्ड के अधीन भिन्न-भिन्न मानक अधिकथित किये जा सकेंगे;

(अ) उन क्षेत्रों का निर्बन्धन जिनमें कोई उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण या किसी वर्ग के उद्योग, संक्रियाएँ या प्रसंस्करण नहीं चलाए जाएँगे या कुछ रक्षोपायों के अधीन रहते हुए चलाए जाएँगे;

(vi) ऐसी दुर्घटनाओं के निवारण के लिये प्रक्रिया और रक्षेपाय अधिकथित करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है और ऐसी दुर्घटनाओं के लिये उपचारी उपाय अधिकथित करना;

(vii) परिसंकटमय पदार्थों को हथालने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय अधिकथित करना;

(viii) ऐसी विनिर्माण प्रक्रियाओं, सामग्री और पदार्थ की परीक्षा करना जिनसे पर्यावरण प्रदूषण होने की सम्भावना है;

(ix) पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं के सम्बन्ध में अन्वेषण और अनुसन्धान करना और प्रायोजित करना;

(x) किसी परिसर, संयंत्र, उपस्कर, मशीनरी, विनिर्माण या अन्य प्रक्रिया सामग्री या पदार्थों का निरीक्षण करना और ऐसे प्राधिकरणों, अधिकारियों या व्यक्तियों को, आदेश द्वारा, ऐसे निदेश देना जो वह पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के लिये कार्रवाई करने के लिये आवश्यक समझे;

(xi) ऐसे कृत्यों को कार्यान्वित करने के लिये पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थाओं की स्थापना करना या उन्हें मान्यता देना, जो इस अधिनियम के अधीन ऐसी पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थाओं को सौंपे जाएँ;

(xii) पर्यावरण प्रदूषण से सम्बन्धित विषयों की बाबत जानकारी एकत्र करना और उसका प्रसार करना;

(xiii) पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन से सम्बन्धित निदशिकाएँ, संहिताएँ या पथ प्रदर्शिकाएँ तैयार करना;

(xiv) ऐसे अन्य विषय, जो केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबन्धों का प्रभाव पूर्ण कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिये आवश्यक या समीचीन समझे।

(3) यदि केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है तो वह, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार को ऐसी शक्तियों और कृत्यों के (जिनके अन्तर्गत धारा 5 के अधीन निदेश देने की शक्ति भी है) प्रयोग और निर्वहन के प्रयोजनों के लिये और उपधारा (2) में निर्दिष्ट ऐसे विषयों की बाबत उपाय करने के लिये जो आदेश में उल्लिखित किये जाएँ, प्राधिकरण या प्राधिकरणों का ऐसे नाम या नामों से गठन कर सकेगी जो आदेश में विनिर्दिष्ट किये जाएँ और केन्द्रीय सरकार के अधीक्षण और नियंत्रण तथा ऐसे आदेश के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, ऐसा प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण ऐसी शक्तियों का प्रयोग या ऐसे कृत्यों का निर्वहन कर सकेंगे या ऐसे आदेश में इस प्रकार उल्लिखित उपाय ऐसे कर सकेंगे मानो ऐसा प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण उन शक्तियों का प्रयोग या उन कृत्यों का निर्वहन करने या ऐसे उपाय करने के लिये इस अधिनियम द्वारा सशक्त किये गए हों।

4. अधिकारियों की नियुक्ति तथा उनकी शक्तियाँ और कृत्य


(1) धारा 3 की उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये, ऐसे पदाभिधानों सहित ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति कर सकेगी और उन्हें इस अधिनियम के अधीन ऐसी शक्तियाँ और कृत्य सौंप सकेगी जो वह ठीक समझे।

(2) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त अधिकारी, केन्द्रीय सरकार के या यदि उस सरकार द्वारा इस प्रकार निदेश दिया जाये तो, धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन गठित प्राधिकरण या प्राधिकरणों, यदि कोई हों, के अथवा किसी अन्य प्राधिकरण या अधिकारी के भी साधारण नियंत्रण और निदेशन के अधीन होंगे।

5. निदेश देने की शक्ति


केन्द्रीय सरकार, किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के अधीन अपनी शक्तियों के प्रयोग और अपने कृत्यों के निर्वहन में किसी व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकरण को निदेश दे सकेगी और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकरण ऐसे निदेशों का अनुपालन करने के लिये आबद्ध होगा।

स्पष्टीकरण


शंकाओं को दूर करने के लिये यह घोषित किया जाता है कि इस धारा के अधीन निदेश देने की शक्ति के अन्तर्गत, -

(क) किसी उद्योग, संक्रिया या प्रक्रिया को बन्द करने, उसका प्रतिषेध या विनियमन करने का निदेश देने की शक्ति है; या
(ख) विद्युत या जल या किसी अन्य सेवा के प्रदाय को रोकने या विनियमन करने का निदेश देने की शक्ति है।

1{5क. राष्ट्रीय हरित अधिकरण को अपील


कोई व्यक्ति जो, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 (2010 का 19) के प्रारम्भ होने पर या उसके पश्चात धारा 5 के अधीन जारी किन्हीं निदेशों से व्यथित है, वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 3 के अधीन स्थापित राष्ट्रीय हरित अधिकरण को, उस अधिनियम के उपबन्धों के अनुसार, अपील फाइल कर सकेगा।}

6. पर्यावरण प्रदूषण का विनियमन करने के लिये नियम


(1) इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, धारा 3 में निर्दिष्ट सभी या किन्हीं विषयों की बाबत नियम बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात:-

(क) विभिन्न क्षेत्रों और प्रयोजनों के लिये वायु, जल या मृदा की क्वालिटी के मानक;
(ख) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिये विभिन्न पर्यावरण प्रदूषकों की (जिनके अन्तर्गत शोर भी है) सान्द्रता की अधिकतम अनुज्ञेय सीमा;
(ग) परिसंकटमय पदार्थ के हथालने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय;
(घ) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में परिसंकटमय पदार्थों के हथालने पर प्रतिषेध और निर्बन्धन;
(ङ) भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में प्रक्रिया और संक्रियाएँ चलाने वाले उद्योगों के अवस्थान पर प्रतिषेध और निर्बन्धन;
(च) ऐसी दुर्घटनाओं के निवारण के लिये जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है और ऐसी दुर्घटनाओं के लिये उपचारी उपायों का उपबन्ध करने के लिये प्रक्रिया और रक्षोपाय।

अध्याय 3


पर्यावरण प्रदूषण का निवारण, नियंत्रण और उपशमन


7. उद्योग चलाने, संक्रिया, अादि करने वाले व्यक्तियों द्वारा मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का उत्सर्जन या निस्सारण न होने देना


कोई ऐसा व्यक्ति, जो कोई उद्योग चलाता है, या कोई संक्रिया या प्रक्रिया करता है, ऐसे मानकों से अधिक, जो विहित किये जाएँ, किसी पर्यावरण प्रदूषक का निस्सारण या उत्सर्जन नहीं करेगा अथवा निस्सारण या उत्सर्जन करने की अनुज्ञा नहीं देगा।

8. परिसंकटमय पदार्थों को हथालने वाले व्यक्तियों द्वारा प्रक्रिया सम्बन्धी रक्षोपायों का पालन किया जाना


कोई व्यक्ति किसी परिसंकटमय पदार्थ को ऐसी प्रक्रिया के अनुसार और ऐसे रक्षोपायों का अनुपालन करने के पश्चात ही, जो विहित किये जाएँ, हथालेगा या हथालने देगा, अन्यथा नहीं।

9. कुछ मामलों में प्राधिकरणों और अभिकरणों को जानकारी का दिया जाना


(1) जहाँ किसी दुर्घटना या अन्य अप्रत्याशित कार्य या घटना के कारण किसी पर्यावरण प्रदूषक का निस्सारण विहित मानकों से अधिक होता है या होने की आशंका है वहाँ ऐसे निस्सारण के लिये उत्तरदायी व्यक्ति और उस स्थान का, जहाँ ऐसा निस्सारण होता है या होने की आशंका है, भारसाधक व्यक्ति, ऐसे निस्सारण के परिणामस्वरूप हुए पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आबद्ध होगा, और ऐसे प्राधिकरणों को या अभिकरणों को, जो विहित किये जाएँ, -

(क) ऐसी घटना के तथ्य की या ऐसी घटना होने की आशंका की जानकारी तुरन्त देगा; और
(ख) यदि अपेक्षा की जाये तो, सभी सहायता देने के लिये आबद्ध होगा।

(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रकार की, किसी घटना के तथ्य की या उसकी आशंका के सम्बन्ध में सूचना की प्राप्ति पर, चाहे ऐसी सूचना उस उपधारा के अधीन जानकारी द्वारा मिले या अन्यथा, उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्राधिकरण या अभिकरण, यावत्साध्य शीघ्र, ऐसे उपचारी उपाय कराएँगे जो पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आवश्यक हैं।

(3) उपधारा (2) में निर्दिष्ट उपचारी उपाय करने के सम्बन्ध में किसी प्राधिकरण या अभिकरण द्वारा उपगत व्यय, यदि कोई हों, उस तारीख से जब व्ययों के लिये माँग की जाती है, उस तारीख तक के लिये जब उनका सन्दाय कर दिया जाता है, ब्याज सहित (ऐसी उचित दर पर जो सरकार, आदेश द्वारा, नियत करे) ऐसे प्राधिकरण या अभिकरण द्वारा सम्बन्धित व्यक्ति से भू-राजस्व की बकाया या लोक माँग के रूप में वसूल किये जा सकेंगे।

10. प्रवेश और निरीक्षण की शक्तियाँ


(1) इस धारा के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह सभी युक्तियुक्त समयों पर ऐसी सहायता के साथ जो वह आवश्यक समझे किसी स्थान में निम्नलिखित प्रयोजन के लिये प्रवेश करे, अर्थात:-

(क) उसे सौंपे गए केन्द्रीय सरकार के कृत्यों में से किसी का पालन करना;

(ख) यह अवधारित करने के प्रयोजन के लिये कि क्या ऐसे किन्हीं कृत्यों का पालन किया जाना है और यदि हाँ तो किस रीति से किया जाना है या क्या इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के किन्हीं उपबन्धों का या इस अधिनियम के अधीन तामील की गई सूचना, निकाले गए आदेश, दिये गए निर्देश या अनुदत्त प्राधिकार का पालन किया जा रहा है या किया गया है;

(ग) किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या किसी अन्य सारवान पदार्थ की जाँच या परीक्षा करने के प्रयोजन के लिये अथवा किसी ऐसे भवन की तलाशी लेने के लिये, जिसके सम्बन्ध में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उसके भीतर इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन कोई अपराध किया गया है या किया जा रहा है या किया जाने वाला है और ऐसे किसी उपस्कर, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या अन्य सारवान पदार्थ का उस दशा में अभिग्रहण करने के लिये, जब उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उससे इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन दण्डनीय किसी अपराध के किये जाने का साक्ष्य दिया जा सकेगा अथवा ऐसा अभिग्रहण पर्यावरण प्रदूषण का निवारण करने या उसे कम करने के लिये आवश्यक है।

(2) प्रत्येक व्यक्ति जो कोई उद्योग चलाता है, कोई संक्रिया या प्रक्रिया करता है या कोई परिसंकटमय पदार्थ हथालता है, ऐसे व्यक्ति को सभी सहायता देने के लिये आबद्ध होगा, जिसे उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार ने उस उपधारा के अधीन कृत्यों को करने के लिये सशक्त किया है और यदि वह किसी युक्तियुक्त कारण या प्रति हेतु के बिना ऐसा करने में असफल रहेगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।

(3) यदि कोई व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा सशक्त किसी व्यक्ति को, उसके कृत्यों के निर्वहन में जान-बूझकर विलम्ब करेगा या बाधा पहुँचाएगा तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।

(4) दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबन्ध या जम्मू-कश्मीर राज्य या किसी ऐसे क्षेत्र में जिसमें वह संहिता प्रवृत्त नहीं है, उस राज्य या क्षेत्र में प्रवृत्त किसी तत्स्थानी विधि के उपबन्ध, जहाँ तक हो सके, इस धारा के अधीन किसी तलाशी या अभिग्रहण को वैसे ही लागू होंगे जैसे वे, यथास्थिति, उक्त संहिता की धारा 94 के अधीन या उक्त विधि के तत्स्थानी उपबन्ध के अधीन जारी किये गए वारंट के प्राधिकार के अधीन की गई किसी तलाशी या अभिग्रहण को लागू होते हैं।

11. नमूने लेने की शक्ति और उसके सम्बन्ध में अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया


(1) केन्द्रीय सरकार या उसके द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी अधिकारी को विश्लेषण के प्रयोजन के लिये किसी कारखाने, परिसर या अन्य स्थान से वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने ऐसी रीति से लेने की शक्ति होगी, जो विहित की जाये।

(2) उपधारा (1) के अधीन लिये गए किसी नमूने के किसी विश्लेषण का परिणाम किसी विधिक कार्यवाही में साक्ष्य में तब तक ग्राह्य नहीं होगा जब तक उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबन्धों का अनुपालन नहीं किया जाता है।

(3) उपधारा (4) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के अधीन नमूना लेने वाला व्यक्ति -

(क) इस प्रकार विश्लेषण कराने के अपने आशय की सूचना की ऐसे प्रारूप में जो विहित किया जाये, अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या उस स्थान के भारसाधक व्यक्ति पर तुरन्त तामील करेगा;
(ख) अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति की उपस्थिति में विश्लेषण के लिये नमूना लेगा;
(ग) नमूने को आधान या आधानों में रखवाएगा जिसे चिन्हित और सील बन्द किया जाएगा और उस पर नमूना लेने वाला व्यक्ति और अभिष्ठाता या उसका अभिकर्ता या व्यक्ति दोनों हस्ताक्षर करेंगे;
(घ) आधान या आधानों को धारा 12 के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला को अविलम्ब भेजेगा।

(4) जब उपधारा (1) के अधीन विश्लेषण के लिये कोई नमूना लिया जाता है और नमूना लेने वाला व्यक्ति अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति पर उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन सूचना की तामील करता है तब -

(क) ऐसे मामले में जहाँ अधिष्ठाता, उसका अभिकर्ता या व्यक्ति जान-बूझकर अनुपस्थित रहता है वहाँ नमूना लेने वाला व्यक्ति विश्लेषण के लिये नमूना आधान या आधानों में रखवाने के लिये लेगा, जिसे चिन्हित और सीलबन्द किया जाएगा और नमूना लेने वाला व्यक्ति भी उस पर हस्ताक्षर करेगा; और
(ख) ऐसे मामले में जहाँ नमूना लिये जाने के समय अधिष्ठाता या उसका अभिकर्ता या व्यक्ति उपस्थित रहता है, किन्तु उपधारा (3) के खण्ड (ग) के अधीन अपेक्षित रूप में नमूने के चिन्हित और सीलबन्द आधान या आधानों पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है वहाँ चिन्हित और सीलबन्द आधान या आधानों पर नमूना लेने वाला व्यक्ति हस्ताक्षर करेगा,और नमूना लेने वाला व्यक्ति आधान और आधानों को धारा 12 के अधीन स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला को विश्लेषण के लिये अविलम्ब भेजेगा और ऐसा व्यक्ति धारा 13 के अधीन नियुक्त या मान्यता प्राप्त सरकारी विश्लेषक को अधिष्ठाता या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति के, यथास्थिति, जान-बूझकर अनुपिस्थत रहने अथवा आधान या आधानों पर हस्ताक्षर करने से उसके इनकार करने के बारे में लिखित जानकारी देगा।

12. पर्यावरण प्रयोगशालाएँ


(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, -

(क) एक या अधिक पर्यावरण प्रयोगशालाएँ स्थापित कर सकेगी;
(ख) इस अधिनियम के अधीन किसी पर्यावरण प्रयोगशाला को सौंपे गए कृत्य करने के लिये एक या अधिक प्रयोगशालाओं या संस्थानों को पर्यावरण प्रयोगशालाओं के रूप में मान्यता दे सकेगी।
(2) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, निम्नलिखित को विनिर्दिष्ट करने के लिये नियम बना सकेगी, अर्थात:-

(क) पर्यावरण प्रयोगशाला के कृत्य;
(ख) विश्लेषण या परीक्षण के लिये वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने उक्त प्रयोगशाला को भेजने के लिये प्रक्रिया, उस पर प्रयोगशाला की रिपोर्ट का प्रारूप और ऐसी रिपोर्ट के लिये सन्देय फीस;
(ग) ऐसे अन्य विषय जो उस प्रयोगशाला को अपने कृत्य करने के लिये समर्थ बनाने के लिये आवश्यक या समीचीन हैं।

13. सरकारी विश्लेषक


केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसे व्यक्तियों को, जिन्हें वह ठीक समझे और जिनके पास विहित अर्हताएँ हैं, धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित या मान्यताप्राप्त किसी पर्यावरण प्रयोगशाला को विशेलषण के लिये भेजे गए वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूनों के विश्लेषण के प्रयोजन के लिये सरकारी विश्लेषक नियुक्त कर सकेगी या मान्यता दे सकेगी।

14. सरकारी विश्लेषकों की रिपोर्ट


किसी ऐसी दस्तावेज का, जिसका किसी सरकारी विश्लेषक द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट होना तात्पर्यित है, इस अधिनियम के अधीन किसी कायर्वाही में उसमें कथित तथ्यों के साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकेगा।

15. अधिनियमों तथा नियमों, आदेशों और निदेशों के उपबन्धों के उल्लंघन के लिये शास्ति


(1) जो कोई इस अधिनियम के उपबन्धों या इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों या दिये गए निदेशों में से किसी का पालन करने में असफल रहेगा या उल्लंघन करेगा, वह ऐसी प्रत्येक असफलता या उल्लंघन के सम्बन्ध में कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक लाख रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से और यदि ऐसे असफलता या उल्लंघन चालू रहता है तो अतिरिक्त जुर्मानेे से, जो ऐसी प्रथम असफलता या उल्लंघन के लिये दोषसिद्धि के पश्चात ऐसे प्रत्येक दिन के लिये जिसके दौरान असफलता या उल्लंघन चालू रहता है, पाँच हजार रुपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।

(2) यदि उपधारा (1) में निर्दिष्ट असफलता या उल्लंघन दोषसिद्धि की तारीख के पश्चात, एक वर्ष की अवधि से आगे भी चालू रहता है तो अपराधी, कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा।

16. कम्पनियों द्वारा अपराध


(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है वहाँ प्रत्येक व्यक्ति जो उस अपराध के किये जाने के समय उस कम्पनी के कारबार के संचालन के लिये उस कम्पनी का सीधे भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कम्पनी भी, ऐसे अपराध के दोषी समझे जाएँगे और तदनुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने के भागी होंगे:

परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम के अधीन उपबन्धित किसी दण्ड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने का निवारण करने के लिये सब सम्यक तत्परता बरती थी।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कम्पनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कम्पनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दंडित किये जाने का भागी होगा।

स्पष्टीकरण


इस धारा के प्रयोजनों के लिये, -

(क) “कम्पनी” से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम है; तथा
(ख) फर्म के सम्बन्ध में, “निदेशक” से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है।

17. सरकारी विभागों द्वारा अपराध


(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है वहाँ विभागाध्यक्ष उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने का भागी होगा:

परन्तु इस धारा की कोई बात किसी विभागाध्यक्ष को दण्ड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किये जाने का निवारण करने के लिये सब सम्यक तत्परता बरती थी।

(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी विभागाध्यक्ष द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध विभागाध्यक्ष से भिन्न किसी अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उस अपराध का किया जाना उसकी किसी उपेक्षा के कारण माना जा सकता है वहाँ ऐसा अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्रवाई किये जाने और दण्डित किये जाने का भागी होगा।

अध्याय 4


प्रकीर्ण


18. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिये संरक्षण


इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों या दिये गए निदेशों के अनुसरण में सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिये आशयित किसी बात के लिये कोई वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही, सरकार या सरकार के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी अथवा इस अधिनियम के अधीन गठित किसी प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण के किसी सदस्य, अधिकारी या अन्य कर्मचारी के विरुद्ध नहीं होगी।

19. अपराधों का संज्ञान


कोई न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान निम्नलिखित द्वारा किये गए परिवाद पर ही करेगा, अन्यथा नहीं, अर्थात:-

(क) केन्द्रीय सरकार या उस सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई प्राधिकरण या अधिकारी; या
(ख) कोई ऐसा व्यक्ति, जिसने अभिकथित अपराध की और परिवाद करने के अपने आशय की, विहित रीति से, कम-से-कम साठ दिन की सूचना, केन्द्रीय सरकार या पूर्वोक्त रूप में प्राधिकृत प्राधिकरण या अधिकारी को दे दी है।

20. जानकारी, रिपोर्टें या विवरणियाँ


केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के सम्बन्ध में, समय-समय पर, किसी व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण से अपने को या किसी विहित प्राधिकरण या अधिकारी से रिपोर्टें, विवरणियाँ, आँकड़े, लेखे और अन्य जानकारी देने की अपेक्षा कर सकेगी और ऐसा व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण ऐसा करने के लिये आबद्ध होगा।

21. धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों का लोकसेवक होना


धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के, यदि कोई हो, सभी सदस्य और ऐसे प्राधिकरण के सभी अधिकारी और अन्य कर्मचारी जब वे इस अधिनियम के किसी उपबन्ध या इसके अधीन बनाए गए किसी नियम या निकाले गए किसी आदेश या दिये गए निदेश के अनुसरण में कार्य कर रहे हों या जब उसका ऐसा कार्य करना तात्पर्यित हो, भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में लोकसेवक समझे जाएँगे।

22. अधिकारिता का वर्जन


किसी सिविल न्यायालय को, केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य प्राधिकरण या अधिकारी द्वारा, इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में या इसके अधीन कृत्यों के सम्बन्ध में की गई किसी बात, कार्रवाई या निकाले गए आदेश या दिये गए निदेश के सम्बन्ध में कोई वाद या कार्यवाही ग्रहण करने की अधिकारिता नहीं होगी।

23. प्रत्यायोजन करने की शक्ति


धारा 3 की उपधारा (3) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, ऐसी शर्तों और निर्बन्धनों के अधीन रहते हुए, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किये जाएँ, इस अधिनियम के अधीन अपनी ऐसी शक्तियों और कृत्यों को {उस शक्ति को छोड़कर जो धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन किसी प्राधिकरण का गठन करने और धारा 25 के अधीन नियम बनाने के लिये है}, जो वह आवश्यक या समीचीन समझे, किसी अधिकारी, राज्य सरकार या प्राधिकरण को प्रत्यायोजित कर सकेगी।

24. अन्य विधियों का प्रभाव


(1) उपधारा (2) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम और इसके अधीन बनाए गए नियमों या निकाले गए आदेशों के उपबन्ध, इस अधिनियम से भिन्न किसी अधिनियमित में उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी, प्रभावी होंगे।

(2) जहाँ किसी कार्य या लोप से कोई ऐसा अपराध गठित होता है जो इस अधिनियम के अधीन और किसी अन्य अधिनियम के अधीन भी दण्डनीय है वहाँ ऐसे अपराध का दोषी पाया गया अपराधी अन्य अधिनियम के अधीन, न कि इस अधिनियम के अधीन, दण्डित किये जाने का भागी होगा।

25. नियम बनाने की शक्ति


(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिये उपबन्ध किया जा सकेगा, अर्थात:-

(क) वे मानक जिनसे अधिक पर्यावरण प्रदूषकों का धारा 7 के अधीन निस्सारण या उत्सर्जन नहीं किया जाएगा;
(ख) वह प्रक्रिया जिसके अनुसार और वे रक्षोपाय जिनके अनुपालन में परिसंकटमय पदार्थों को धारा 8 के अधीन हथाला जाएगा या हथलवाया जाएगा;
(ग) वे प्राधिकरण या अभिकरण जिनको विहित मानकों से अधिक पर्यावरण प्रदूषकों के निस्सारण होने की या उसके होने की आशंका के तथ्य की सूचना दी जाएगी और जिनको धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन सभी सहायता दिया जाना आबद्धकर होगा;
(घ) वह रीति जिससे विश्लेषण के प्रयोजनों के लिये वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थों के नमूने धारा 11 की उपधारा (1) के अधीन लिये जाएँगे;
(ङ) वह प्रारूप जिसमें किसी नमूने का विश्लेषण कराने के आशय की सूचना धारा 11 की उपधारा (3) के खण्ड (क) के अधीन दी जाएगी;
(च) पर्यावरण प्रयोगशालाओं के कृत्य; विश्लेषण या परीक्षण के लिये वायु, जल, मृदा और अन्य पदार्थों के नमूने ऐसी प्रयोगशालाओं को भेजने के लिये प्रक्रिया; प्रयोगशाला रिपोर्ट का प्रारूप; ऐसी रिपोर्ट के लिये सन्देय फीस और धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन अपने कृत्य करने के लिये प्रयोगशालाओं को समर्थ बनाने के लिये अन्य विषय;
(छ) धारा 13 के अधीन वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थों के नमूनों के विश्लेषण के प्रयोजन के लिये नियुक्त या मान्यता प्राप्त सरकारी विश्लेषक की अर्हताएँ;
(ज) वह रीति जिससे अपराध की और केन्द्रीय सरकार को परिवाद करने के आशय की सूचना धारा 19 के खण्ड (ख) के अधीन दी जाएगी;
(झ) वह प्राधिकरण या अधिकारी जिसको रिपोर्टें, विवरणियाँ, आँकड़े, लेखे और अन्य जानकारी धारा 20 के अधीन दी जाएँगी;
(ञ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना अपेक्षित है या किया जाये।

26. इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों का संसद के समक्ष रखा जाना


इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिये रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिये सहमत हो जाएँ तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएँ कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।



Comments



नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment