Vanon Ke Vinash Se Hone Wali Haniyan वनों के विनाश से होने वाली हानियाँ

वनों के विनाश से होने वाली हानियाँ



GkExams on 21-03-2022


वनों के विनाश से होने वाली हानियाँ निम्नलिखित है :


जलवायु का असंतुलित होना:




वन जलवायु के नियंत्रक होते हैं अर्थात् वन आर्द्रता में वृद्धि करते हैं, वर्षा में सहायक होते हैं तथा तापमान को नियंत्रित (save trees drawing) रखते हैं। जैसे ही उनका विनाश होता है, वायुमण्डल में नमी की कमी आ जाती है, परिणामस्वरूप वर्षा की मात्रा निरंतर कम होती जाती है, तापमान में वृद्धि होने लगती है, शुष्कता का विस्तार होता है अर्थात् मरुस्थलीकरण प्रारंभ हो जाता है।


वनों के विनाश से होने वाली हानियाँ


मृदा-अपरदन में वृद्धि:




वन मृदा के संरक्षक होते हैं अर्थात् वृक्षों की जड़ें भूमि को जकड़े रहती हैं, जिससे वह संगठित रहती है और अपरदन नियंत्रित रहता है। दूसरी ओर वनों के कट जाने से मृदा-अपरदन (save trees poster) अधिक हो जाता है। हिमालय के निचले ढालों पर वनों के निरंतर कट जाने से यह समस्या अत्यधिक हो गई है। इसी प्रकार वनस्पति के अभाव में मरुस्थलीकरण तीव्रता से विस्तृत होता जाता है।


बाढ़-प्रकोप में वृद्धि:




वन जल को नियंत्रित रखते हैं और पर्याप्त मात्रा में उपयोग भी करते हैं। वनोन्मूलन (save trees slogans) से जल ढालों पर तीव्र गति से प्रवाहित होकर मैदानी भागों में बाढ़ के प्रकोप का कारण बनता है। बिहार की नदियों में बाढ़ का अधिक प्रकोप इसका उदाहरण है।


प्राकृतिक जल स्रोतों का सूखना एवं भूमिगत जल स्तर का गिरना:




वनों के विनाश (save trees essay) से अनेक प्राकृतिक जल स्रोत समास होते जा रहे हैं और इसके फलस्वरूप भूमिगत जल स्तर नीचे जा रहा है। वर्षा की कमी और तापमान में वृद्धि तथा वृक्षों द्वारा वाष्पीकरण रोकने की प्रक्रिया समास होने से इसका दुष्प्रभाव बढ़ रहा है।


वन्य जीवों का विनाश:




वर्तमान विश्व में वनों के समाप्त होने से अनेक वन्य जीव विलुप्त हो गये हैं तथा अनेक प्रजातियों की संख्या में अत्यधिक कमी आ गई है। उपर्युक्त दुष्प्रभावों के अतिरिक्त पशुचारण क्षेत्रों की कमी, प्राकृतिक सुरम्यता में कमी, प्रदूषण की वृद्धि, मरुस्थलीकरण की वृद्धि, बंजर भूमि का विकास, आदिवासी जातियों के आवास की समस्या आदि प्रभाव भी वन-विनाश के हैं। वास्तव में वन पारिस्थितिक-तंत्र को परिचालित करते हैं तथा पर्यावरण को नियंत्रित रखते हैं इनका उन्मूलन उसे असंतुलित कर देता है जो पर्यावरण अवकर्षण का प्रमुख कारण है।


जैसा की आपने वनों के विनाश (10 lines on save trees) से होने वाली हानियों के बारें में पढ़ा इसलिए वनों की क्षति को रोकने तथा वनोन्मूलन के दुष्परिणामों से बचने के लिये उचित वन प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। हालाँकि पिछले कुछ समय से भारत में ये सब सकारात्मक देखने को मिला है, जिसका परिणाम हमें आगे चलकर अच्छा मिलने वाला है।




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