Mewat Ka Itihas मेवात का इतिहास

मेवात का इतिहास



Pradeep Chawla on 12-05-2019

मेव वंशियों और मेवात का इतिहास :-


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पश्चिमी यूपी, अहीरवाल( हरियाणा और पूर्वी राजस्थान) और दिल्ली में लगने

वाले मेवात जिसे भारत का इरान भी कहा जाता है यह यहाँ रहने वाले मेव

वंशियों के निवास के कारण मेवात नाम से प्रसिद्ध है।


मेवों ने मुस्लिम आक्रमण के बाद इस्लाम कबूल कर लिया था ।


मेव वंश मूलतः एक संगठन है जिनमें हिंदुओं की चार क्षत्रिय जातियां (अजगर) अहीर, जाट, गुर्जर और राजपूत पाए जाते हैं।


मेव हिंदू या मुस्लिम


दिल्ली की नाक के नीचे बसने वाली मेव जाति 1980-90 तक हमारी तरह

तीज-त्यौहार मनाती थी, हमारी तरह ही पित्तरों की पूजा करते थे। फसल कटाई पर

मनाए जाने वाले त्यौहार जैसे होली दिवाली भी मनाते थे।


जैसे अहीरों और जाटों में खाप पंचायत होती हैं, वैसे ही मेवों में भी खाप होती हैं।




मेवों में कुल 12 खापे और 52 गोत्र हैं जिनमें से आधी, यानि 6 खापो में

अहीरों से 18 गोत्र हैं, बाकि 6 खापों में जाटों से 14 गोत्र , 10 गोत्र

राजपूतों से और 10 गुज्जरों से हैं।


आज मेव एक जाति बन चुकी है।


जिस प्रकार अहीर अपने खाप में चौधरी को भगवान कृष्ण जी की शपथ दिलाया करतें है ठीक इसी प्रकार ये परंपरा मेवों की भी है।


मेवों ने राणा सांगा के साथ मिलकर आक्रमणकारी बाबर के खिलाफ युद्ध लडा़ था।


मेवों ने 14वी सदी में मुस्लिम आक्रमण को विध्वंस किया था एवं मुस्लिम आक्रमणकारियों से युद्ध भूमि में लोहा लिया था।


एक बार दिल्ली के फ़िरोज़शाह तुगलक ने मेवात पर हमला कर दिया।




मेवों ने बड़ी बहादुरी से डटकर मुकाबला किया और हारकर भी हार नहीं मानी।

फ़िरोज़शाह के खिलाफ शमशीर हाथ में ले रण का बिगुल बजा रखा था।


इसके

लगभग 200 साल बाद बैरम खान ने जब दिल्ली पर हमला किया (इतिहास में अकबर

लिखा है लेकिन उस समय अकबर 10-12 साल का था) और हेमूं को हरा कर मार दिया।


तब मेव सरदारों ने बैरम खान से देस पर हमले और हेमू की हत्या का बदला लिया और उसका पीछा करके उसको गुजरात में मार डाला था।


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14वी सदी में मुस्लिम आक्रमणकारियों से संघर्ष के बाद मुस्लिम शासकों के दबाव में वीर मेवों ने इस्लाम कबूल कर लिया।




मेव पूरी दुनिया के मुसलमानों से अलग तरह का है । जो अपने देश के culture

से पूरी तरह जुड़ा हुआ है , जो बाक़ी मुसलमान से मेल नहीं खाता ।
जैसे मेवात में बुर्क़ा नहीं पहना जाता ।


मेव आज भले ही मुस्लिम बना दिए गए हों लेकिन मेव अपनी आर्य संसकृति और अपनी परंपरा को आज भी नहीं भूलें हैं।


॥ कृण्वन्तो विश्वमार्यम् ॥



Comments Sudesh Arya on 04-04-2023

पर अब तो मेव पक्के मुसलमान बन गये हैँ।

Mosim on 06-02-2021

Ab to meo ki apni ho chuki hab meo islam dharm ke liye mar mitne ke liy tyar h abye murti pooja me viswas nahi karte





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