Aary Samaj Vivah PramaanPatra Vaidh Hai Ya Nahi आर्य समाज विवाह प्रमाणपत्र वैध है या नहीं

आर्य समाज विवाह प्रमाणपत्र वैध है या नहीं



GkExams on 17-06-2022


आपका प्रश्न है : आर्य समाज विवाह प्रमाणपत्र वैध है या नहीं?


इसका जवाब प्रसिद्द वकील चिकिशा मोहंती ने दिया है, जो बताती है की यह वैध तब होगा जब आपने आर्य समाज मंदिर के तहत शादी की है तो इस विवाह को जिला / राज्य के विवाह अधिकारी / रजिस्ट्रार द्वारा अधिनियम की धारा 8 के तहत पंजीकृत किया गया है, जहां यह विवाह हुआ था।


चिकिशा मोहंती बताती है की 2006 के बाद, व्यक्तिगत कानूनों में विवाह के पंजीकरण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश सख्त हैं। एक आर्य समाज शादी या तो हिंदू विवाह अधिनियम, 1 9 55 के तहत या विशेष विवाह अधिनियम, 1 9 54 के तहत पंजीकृत की जा सकती है। हिंदू विवाह अधिनियम उन मामलों में लागू होता है जहां पति और पत्नी दोनों हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं या जहां उन्होंने परिवर्तित किया है इनमें से किसी भी धर्म में।


मोहंती के अनुसार जहां पति या पत्नी या दोनों हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख नहीं हैं, विवाह विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकृत है। हिंदू विवाह अधिनियम राज्यों पर विवाह के पंजीकरण के संबंध में कानून बनाने की जिम्मेदारी रखता है लेकिन यह भी एक जोर देता है कि जहां विवाह पंजीकृत नहीं है, उसका गैर पंजीकरण शादी को अमान्य नहीं करेगा।


अक्सर सलाह दी जाती है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार विवाह पंजीकृत करें और शादी के टूटने के संबंध में भविष्य में विवादों से बचने का यह सही तरीका है। हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार आर्य समाज विवाह पंजीकरण करना किसी उप-मंडल मजिस्ट्रेट के साथ पंजीकरण किया जाता है।


दिल्ली जैसे कुछ न्यायक्षेत्रों में उपलब्ध एक और विकल्प ऑनलाइन पंजीकरण है। एक नियुक्ति 15 दिनों के बाद आता है। पंजीकरण फॉर्म की औपचारिकताओं को पूरा करना। कोई भी दस्तावेज जो व्यक्तियों के जन्म की तारीख प्रदान करता है। दोनों पक्षों के 2 पासपोर्ट आकार की तस्वीरों की आवश्यकता है, एक शादी की तस्वीर और विवाह निमंत्रण कार्ड (वैकल्पिक)। राजपत्रित अधिकारी का प्रमाण अनिवार्य है सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद, यह जिला अदालत का कर्तव्य है कि वह जोड़े को शादी का प्रमाण पत्र प्रदान करे। शादी के पंजीकरण के लिए 100- 200 रुपये खर्च होंगे।


आर्य कौन है?




महर्षि दयानन्द सरस्वती के अनुसार – जो श्रेष्ठ स्वभाव, धर्मात्मा, परोपकारी, सत्य-विद्या आदि गुणयुक्त और आर्यावर्त (aryavart) देश में सब दिन से रहने वाले हैं उनको आर्य कहते है।


यहाँ इसमें मनुष्य, पशु, पक्षी, वृक्ष आदि भिन्न-भिन्न जातियाँ है। लेकिन जिन जीवों की उत्पत्ति एक समान होती है वे एक ही जाति के होते है। अत: मनुष्य एक जाति है। जाति रूप से तो मनुष्यों में कोई भेद नहीं होता है। परंतु गुण, कर्म, स्वभाव व व्यवहार आदि में भिन्नता होती है।


आर्य समाज का इतिहास (arya samaj history) :




आर्यसमाज की स्थापना 10 अप्रैल सन 1875 को बम्बई में दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। उन्नीसवीं शताब्दी के तीसरे चरण में भारत में जागृति के जो चतुर्दिक आंदोलन आरंभ हुए, उनमें आर्य समाज का बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है।


आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की बाल्मीकी रामायण में समदृष्टि रखने वाले और सज्जनता से पूर्ण श्री रामचन्द्र जी को व महाभारत श्रीकृष्ण जी को स्थान-स्थान पर आर्य कहा गया है। विदुरनीति में धार्मिक को, चाणक्यनीति में गुणीजन को, महाभारत में श्रेष्ठबुद्धि वाले को तथा गीता में वीर को ‘आर्य’ कहा गया है।


चूँकि ये श्रेष्ठ व्यक्ति किसी एक स्थान अथवा समाज में नहीं होते, अपितु वे सर्वत्र पाये जाते है। सच्चा आर्य वह है जिसके व्यवहार से प्राणिमात्र को सुख मिलता है। जो इस पृथ्वी पर सत्य, अहिंसा, परोपकार, पवित्रता आदि व्रतों का विशेष रूप से धारण करता है।


आर्य समाज और हिन्दू समाज में अंतर :




स्वामी दयानंद सरस्वती ब्राह्मण परिवार से थे लेकिन हिंदू धर्म की कई चीज़ों को उन्होंने सिरे से नकार दिया था। उदाहरण के तौर पर उन्होंने हिंदू धर्म में मूर्ति पूजा का विरोध किया व ईश्वर के अवतारों को मानने से मना कर दिया। ये ही एक बड़ा अंतर इसमें देखने को पाया गया है।


आर्य समाज के कार्य :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको आर्य समाज के कार्यों के बारें में बता रहे है, जो इस प्रकार है…


  • वैदिक विद्यालयों या गुरुकुलों की स्थापना
  • हिंदू धर्म की कुप्रथाओं के विरुद्ध
  • हिंदू धर्म का सही ज्ञान
  • हिंदुओं का धर्मांतरण रोकना
  • घर वापसी/ शुद्धिकरण
  • शाकाहार अपनाना
  • हिंदी भाषा राष्ट्रीय भाषा



  • Comments D evki nandan on 21-09-2021

    Arya samaj mandir m saadhi karne k baad ladki ghar gyi usne apni maa ke kehne jhuta mukkadama court m dal diya hai aur jhuta aarup laga hai ki meri saadhi jabarjasti karyi hai toh h saadhi manya hogi ki nhi





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