Chattishgadh Ki Sanskriti pdf छत्तीसगढ़ की संस्कृति pdf

छत्तीसगढ़ की संस्कृति pdf



Pradeep Chawla on 29-09-2018

ाजिम व सिहावा में ऋषि-मुनियों के सानिध्य में लंबे समय तक रहे और यहीं उन्होंने रावण वध की योजना बनाई थी। उनकी कृपा से ही आज त्रिवेणी संगम पर राजिम कुंभ को देश के पांचवें कुंभ के रूप में मान्यता मिली है।

सिरपुर की ऐतिहासिकता बौद्ध आश्रम, रामगिरी पर्वत, चित्रकूट, भोरमदेव मंदिर, सीताबेंगरा गुफा स्थित जैसी अद्वितीय कलात्मक विरासतें छत्तीसगढ़ को आज अंतरराष्ट्रीय पहचान प्रदान कर रही है। संस्कृति एवं पुरातत्व धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का मुख्य दायित्व संभालने के बाद संस्कृति मंत्री ने विगत आठ वर्षों के दौरान यहां की कला व संस्कृति की उत्कृष्टता को देश व दुनिया के सामने रख कर छत्तीसगढ़ के मस्तक को गर्व से ऊंचा उठा दिया है।

विरासत पा लेना तो फिर भी आसान होता है, लेकिन उसे सहेज कर रख पाना चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। संस्कृति व धर्मस्व मंत्री के मार्गदर्शन में संस्कृति व पुरातत्व विभाग के अमले ने तो छत्तीसगढ़ की अद्वितीय पुरातात्विक विरासत को सहजने के साथ ही संवारने का भी काम किया है। जिसकी बदौलत छत्तीसगढ़ में पर्यटन की संभावना असीम हुई है।

छत्तीसगढ़ के गौरवशाली अतीत के परिचालक कुलेश्वर मंदिर राजिम, शिव मंदिर चन्दखुरी, सिद्धेश्वर मंदिर पलारी, आनंद प्रभु कुरी विहार और स्वहितक बिहार सिरपुर, जगन्नाथ मंदिर खल्लारी, भोरमदेव मंदिर कवर्धा,बत्तीस मंदिर बारसूर और महामाया मंदिर रतनपुर सहित पुरातत्वीय दृष्टि से महत्वपूर्ण 58 स्मारक घोषित किए गए हैं।

ND बीते ग्यारह वर्षों के दौरान पिछले आठ वर्षों में संस्कृति व पुरातत्व विभाग ने छत्तीसगढ़ भी संस्कृति, कला, साहित्य व पुरा संपदा के संरक्षण और संवर्धन के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। अनेक स्वर्णिम उपलब्धियां हासिल की हैं। कहते है न कि किसी भी देश या प्रदेश का विकास उसकी भाषा के विकास के बिना अपूर्ण होता है। छत्तीसगढ़ के विकास के साथ ही छत्तीसगढ़ भाषा के विकास का मार्ग भी प्रशस्त किया गया है। छत्तीसगढ़ को राजभाषा का दर्जा दिया गया और छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन किया गया ताकि छत्तीसगढ़ में सरकारी कामकाज हो। विधानसभा में गुरतुर छत्तीसगढ़ी की अनगूंज सुनाई देने लगी है।

संस्कृति मंत्री के प्रयासों से छत्तीसगढ़ विधानसभा कुंभ मेला विधेयक 2005 पारित होने के बाद से छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम में आयोजित विशाल मेला पांचवे कुंभ के रूप में अपनी राष्ट्रीय ही न हीं,बल्कि अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका है। सिरपुर में 1956 के बाद 2006 में पुनः पुरातात्विक उत्खनन प्रारंभ कराया गया जिससे 32 प्राचीन टीलों पर अत्यंत प्राचीन संरचनाएं प्रकाश में आईं।

उत्खनन के दौरान पहली बार मौर्य कालीन बौद्ध स्तूप प्राप्त हुए। 79 कांस्य प्रतिमाएं और सोमवंशी शासक तीवरदेव का एक तथा महाशिव गुप्त बालार्जुन के तीन ताम्रपत्र सेट मिले। सिरपुर आज अपनी पुरातात्विक वैभव के कारण दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पचराही, मदकूद्वीप, महेशपुर और तुरतुरिया में भी उत्खनन कार्य जारी है। छत्तीसगढ़ के 8 जिलों में पुरातत्व संग्रालयों का निर्माण व विकास कराया गया है।

राजधानी रायपुर में भव्य पुरखौती मुक्तांगन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम से उसका लोकार्पण कराया गया है। इसके अलावा दक्षिण मध्य सांस्कृतिक केन्द्र की सदस्यता प्राप्त की गई है। जिससे छत्तीसगढ़ के कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर मिल रहा है। कलाकारों की पहचान व सम्मान के लिए चिन्हारी कार्यक्रम शुरू किया गया है। कलाकारों व साहित्यकारों के लिए पेंशन राशि को 700 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए किया गया है।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Leeja jain on 09-03-2023

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए

Aliya on 30-10-2022

CG ki lok kalaye par upsanhaar

Nano on 19-10-2022

Chhattisgadh ki kla sanskriti par nibandh heading ke sath


Kaynat on 05-03-2022

Chattishgadh ki Sanskriti

VEER SINGH on 31-10-2021

Cg si se sambandhit prashn

Sunil Yadav on 17-09-2021

chulmati संस्कृति की शुरुआत कब हुई

Hema on 15-01-2021

Chhattisgarh ke lok geeto ki upyogita


Shakti on 09-01-2021

Chhattisgarh ki Lok Sanskriti aur Lok kalakaar create file



Khilesh vaishnav on 09-08-2018

Chhattisgarh ki sanskruti

Mohit bharti on 20-05-2020

Chhattisgardh k sabse Aamir aadmi ka name



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