Paravartan Ke Niyam Ka Satyapan Karna परावर्तन के नियम का सत्यापन करना

परावर्तन के नियम का सत्यापन करना



Pradeep Chawla on 09-10-2018


प्रकाश का परावर्तन

आप एक दर्पण के सामने खडे़ हो जाइये। अपको दर्पण में अपना प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है। यह प्रकाश के परावर्तन के कारण होता है।

प्रकाश जब किसी अपारदर्शी वस्तु से टकराता है तो उस वस्तु के पार नहीं जा सकता इसलिये उस वस्तु से टकरा कर वापस लौटता है। यदि वस्तु की सतह खुरदुरी हो तो प्रकाश उससे टकराकर चारों ओर फैल जाता है। यदि वस्तु की सतह चिकनी और चमकदार हो तो प्रकाश की किरणें एक विशि‍ष्ट तरह से लौटती हैं। इसे ही प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

ऐसी सतह जो अपरादर्शी, चिकनी और चमकीली हो, दपर्ण कहलाती है। दर्पण साधारणतय: कांच पर चांदी की परत चढ़ाकर बनाये जाते हैं। दर्पण अनेक प्रकार के हो सकते हैं। कुछ दर्पण समतल होते हैं और कुछ गोल। गोल दर्पण की चमकीली सतह यदि अंदर की ओर गोलाई लिये हो तो उसे अवतल दर्पण कहा जाता है और यदि बाहर की ओर गोलाई लिये हो तो उसे उत्तल दर्पण कहा जाता है। इसे समझने के लिये स्टील की एक चमकीली चम्मच लेकर उसमें अपना चेहरा देखो। चम्मच का अंदर का भाग अवतल दर्पण है और उसमें चेहरा बड़ा दिखाई पड़ता है। चम्मच का बाहर का भाग उत्तल दर्पण है और उसमें चेहरा छोटा दिखता है।


परावर्तन के नियम परावर्तन के नियमों को नीचे दिये चित्र से समझा जा सकता है। चित्र में देखो, दपर्ण पर गिरने वाली प्रकाश की किरण को आपतित किरण कहते हैं और दर्पण से टकरा कर लौटने वाली किरण को परावर्तित किरण कहते हैं। किसी सतह पर 90 अंश के कोण पर यदि कोई रेखा खींची जाये तो उसे लंब कहा जाता है। आपतित किरण दर्पण पर लंब के साथ जो कोण बनाती है उसे आपतन कोण कहते हैं और परावर्तित किरण लंब के साथ जो कोण बनाती है उसे परावर्तन कोण कहते हैं। परावर्तन का नियम है कि आपतन कोण और परावर्तन कोण एक दूसरे के बराबर होते हैं।

प्रतिबिंब जब किसी वस्तु से चलने वाली प्रकाश की किरणें किसी अन्य बिन्दु पर एकत्रित हो जाती हैं अथवा किसी अन्य बिन्दु‍ से आती हुई प्रतीत होती हैं, तो वह वस्तुु हमारी आंखों को उस स्थान पर दिखाई पड़ने लगती है। क्योंकि वस्तु वास्तव में उस स्थान पर नहीं है, परंतु वहां पर दिखाई पड़ रही है, इसलिये इसे उस वस्तु का प्रतिबिंब कहा जाता है। यदि प्रकाश की किरणें वास्तव में उस बिन्दु पर एकत्रित हो रही हैं तो ऐसे प्रतिबिंद को पर्दे पर देखा जा सकता है, जैसा हम सिनेमा में देखते हैं। इसे वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं। यदि प्रकाश की किरणें वास्तव में एक बिन्दु पर एकत्रित नहीं होतीं, परंतु किसी बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं, तो उससे बने प्रतिबिंब को पर्दे पर नहीं देखा जा सकतेे क्योंकि वहां पर प्रकाश नहीं पड़ रहा होता है। ऐसे प्रतिबिंब को आभासी प्रतिबिंब कहते हें क्योंकि हमें उस वस्तु के वहां पर होने का आभास मात्र होता है।


समतल दर्पण से बना प्रतिबिंब समतल दर्पण से प्रकाश के परावर्तन को नीचे चित्र में दिखाया गया है –

इस चित्र से यह स्पष्ट है कि आपतित किरण जब परावर्तित होती है तो परावर्तित किरण दर्पण के पीछे से आती हुई प्रतीत होती है। इससे जो प्रतिबिंब बनता है वह आभासी प्रतिबिंब होता है जो दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर दि‍खता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने होती है। आभासी होने के कारण इस प्रतिबिंब को पर्दे पर नहीं देखा जा सकता।

समतल दर्पण से बना प्रतिबिंब यद्यपि सीधा होता है परंतु वस्तु का दांया हिस्सा बांई ओर, और बांया हिस्सा दांई ओर दिखता है। ऐसा इसीलिये होता है कि परावर्तित किरण की दिशा बदल जाती है। इसे हम दर्पण के सामने खड़े होकर देख सकते हैं। जब हम अपना दायां हाथ हिलाते हैं तो प्रतिबिंब का बायां हाथ हिलता प्रतीत होता है। इसे पार्श्व परिवर्तन कहा जाता है। एक कागज़ पर वर्णमाला के अक्षर लिखकर उसे दर्पण के सामने रखने पर भी सह बात स्पष्ट हो जाती है।

समतल दर्पण के गुणों का उपयोग करके पैरिस्‍कोप बनाया जाता है जिससे पनडुब्बी में पानी के अंदर बैठकर पानी की सतह की वस्तुओं को देखा जा सकता है। आओ इस चित्र की सहायता से पैरिस्कोप बनाना सीखें –

गोलीय दर्पण यह दर्पण किसी गोल सतह को चमकदार और चिकना करके बनाये जाते हैं। गोल सतह के मध्य बिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते हैं। ध्रुव पर यदि कोई लंब बनाया जाये तो उसे दर्पण का मुख्य अक्ष कहा जाता है। दर्पण को यदि किसी गोले का भाग मान लिया जाये तो उस गोले का केंद्र जिस बिन्दु पर होगा उसे दर्पण का वक्रता केंद्र और वक्रता केंद्र की ध्रुव से दूरी को दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहा जाता है। अवतल दर्पण पर यदि समानान्तर प्रकाश किरणें डाली जायें तो वे एक बिंदु पर एकत्रित हो जाती हैं। इसी प्रकार उत्तल दर्पण पर समानान्तर प्रकाश किरणे डालने से वे एक दूसरे से दूर जाती हैं, और दर्पण के पीछे एक बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं। इस बिन्दु को दर्पण का फोकस कहते हैं। ध्रुव से फोकस की दूरी को फोकल लंबाई कहते हैं। फोकल लंबाई हमेशा वक्रता त्रिज्या की आधी होती है।


क्योंकि अवतल दर्पण में समानांतर किरणें फोकस पर एकत्रित हो जाती हैं इसलिये यदि किसी अवलल दर्पण को धूप मे रखा जाये और उसके फोकस के स्थान पर कागज़ रख दिया जाये तो कुछ देर में गरमी एकत्रित हो जाने के कारण कागज़ जल उठेगा।

अवतल दर्पण के फोकस पर किसी प्रकाश स्रोत को रखने से ठीक इसका उल्टा होगा और इस प्रकाश स्रोत से निकलने वाली किरणें दर्पण से परावर्तित होकर समानांतर हो जायेंगी।

अवतल दर्पण में प्रतिबिंब क्योंकि हम यह देख चुके हें कि आपतन कोण और परावर्तन कोण एक दूसरे के बराबर होते हैं, और क्योंकि किसी गोल वस्तु में लंब बराबर बदलता रहता है इसलिये अवतल दर्पण में अलग-अलग कोण से गिरने वाली किरणें अलग-अलग कोण पर परावर्तित होंगी। प्रतिबिंब किस प्रकार का बनेगा यह बात पर निर्भर करेगा कि वस्तु दर्पण से कितनी दूरी पर है। इसे देखने के लिये एक लकड़ी के गुटके में दर्पण को फंसाकर रखने के लिये जगह बना लें। प्लास्टिसिन या मोल्डिंग क्ले से भी दर्पण को गुटके पर चिपका कर रखा जा सकता है। अब लकड़ी के एक दूसरे गुटके पर एक सफेद कागज़ चिपकाकर पर्दा बना लें। इसके बाद एक तीसरे गुटके पर एक मोमबत्ती को जलाकर रखें । अब कमरे को अंधेरा करके मोमबत्ती और पर्दे को आगे-पीछे खिसकाकर पर्दे पर बनने वाले प्रतिबिंब पर क्या प्रभाव पड़ता है इसका अध्ययन किया जा सकता है। इसे नीचे के चित्रों में समझाया गया है –

  1. वस्तु वक्रता केंद्र पर – प्रतिबिंब वक्रता केंद्र पर बनेगा और वस्तु के आकार के बराबर, उल्टा और वास्तविक होगा, अर्थात् इसे पर्दे पर देखा जा सकता है –


  2. वस्तु दर्पण के वक्रता केंद्र से बाहर – प्रतिबिंब वक्रता केंद्र और फोकस के बीच बनेगा, तथा उल्टा, वस्तु के आकार से छोटा तथा वास्तविक होगा, अर्थात् इसे पर्दे पर देखा जा सकता है -


  3. वस्तु वक्रता केंद्र और फोकस के बीच – प्रतिबिंब वक्रता केंद्र के बाहर बनेगा और आकार में वस्तु से बड़ा तथा उल्टा एवं वास्तविक होगा, अर्थात् इसे पर्दे पर देखा जा सकता है –


  4. वस्तु फोकस और ध्रुव के बीच - प्रतिविंब दर्पण के पीछे बनेगा, और सीधा तथा वस्तु के आकार से बड़ा होगा। यह प्रतिबिंब आभासी होगा, अर्थात् इसे पर्दे पर नहीं देखा जा सकता –


  5. वस्तु फोकस पर – यदि किसी वस्तु् को अवतल दर्पण के फोकस पर रखा जाये तो उससे निकलने वाली प्रकाश किरणें दर्पण से टकराकर समानांतर हो जायेंगी, अर्थात् कभी आपस में नहीं मिलेंगी या फिर दूसरे शब्दों में अनंत पर जाकर मिलेंगी। अत: फोकस पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब अनंत पर बनेगा।

उत्तल दर्पण में प्रतिबिंबउत्तल दर्पण के सामने किसी वस्तु को कहीं पर भी रखा जाये उसका प्रतिबिंब बड़ा, सीधा तथा आभासी ही बनता है –




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Comments Ansh tiwari on 01-11-2023

Dhvani ke paravrtitniyam ko styapan karo

Shabana Shaikh on 17-01-2023

Gk fan oh ch kg ch li xv li g kg xx Jo jag HC c

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उत्तम वर्मा on 21-01-2020

प्रकाश के परावर्तन का सत्यापन कर

s.k. on 19-09-2020

समतल दर्पण की सहायता से प्रकाश के प Prakash ke paraavartan ke Niyam ka satyapan kijiye

Rohit kumar on 26-09-2020

Prak
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