Vartman Shiksha Pranali Ke Gunn Aur Dosh वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष

वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष



Pradeep Chawla on 06-09-2018


भूमिका : भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को परतंत्र काल की शिक्षा प्रणाली माना जाता है। यह ब्रिटिश शासन की देन मानी जाती है। इस प्रणाली को लॉर्ड मैकाले ने जन्म दिया था। इस प्रणाली की वजह से आज भी सफेद कॉलरों वाले लिपिक और बाबु ही पैदा हो रहे हैं। इसी शिक्षा प्रणाली की वजह से विद्यार्थियों का शारीरिक और आत्मिक विकास नहीं हो पाता है।


प्राचीन भारत में शिक्षा का महत्व : प्राचीन काल में शिक्षा का बहुत महत्व था। सभ्यता , संस्कृति और शिक्षा का उदय सबसे पहले भारत में हुआ था। प्राचीनकाल में शिक्षा का स्थान नगरों और शोरगुल से बहुत दूर वनों के गुरुकुल में होता था। इन गुरुकुलों का संचालन ऋषि -मुनि करते थे। प्राचीन काल में विद्यार्थी ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और अपने गुरु के चरणों में बैठकर ही पूरी शिक्षा प्राप्त करते थे।


नवीन शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता : हमारा भारत 15 अगस्त , 1947 को आजाद हुआ था। हमारे कर्णधारों का ध्यान नई शिक्षा प्रणाली की तरफ गया क्योंकि ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली हमारी शिक्षा प्रणाली के अनुकूल नहीं थी। गाँधी जी ने शिक्षा के विषय में कहा था कि शिक्षा का अर्थ बच्चों में सारी शारीरिक ,मानसिक और नैतिक शक्तियों का विकास करना होता है। शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए अनेक समितियां बनाई गयीं।


कोठारी आयोग की स्थापना : शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन लाने के लिए कोठारी आयोग की स्थापना की गई। इस आयोग ने राष्ट्रीय स्तर पर नई योजना लागु करने की सिफारिश की। इस योजना की चर्चा-परिचर्चा लम्बे समय तक चली थी। देश के बहुत से राज्यों में इस प्रणाली को लागु किया गया था। इस प्रणाली से दस साल तक दसवीं कक्षा में सामान्य शिक्षा होगी।


अध्ययन करेंगे। इस पाठ्यक्रम में दो भाषाएँ , गणित , विज्ञान और सामाजिक पांच विषयों पर अध्ययन किया जायेगा। लेकिन विद्यार्थियों को शारीरिक शिक्षा से भी परिचित होना चाहिए। सातवीं की परीक्षा के बाद विद्यार्थी अलग-अलग विषयों पर अध्ययन करेंगे। अगर वो चाहे तो विज्ञान ले सकता है, कॉमर्स ले सकते हैं , और औद्योगिक कार्यों के लिए क्राफ्ट भी ले सकता है।


नवीन शिक्षा नीति के लाभ : नवीन शिक्षा प्रणाली को रोजगार को सामने रखकर बनाया गया है। हम लोग अक्सर देखते हैं कि लोग विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में भाग तो लेते हैं लेकिन पढने में उनकी रूचि नहीं होती है। ऐसे लोग समाज में अनुशासनहीनता और अराजकता पैदा करते हैं। नई शिक्षा नीति से हमें यह लाभ होगा कि ऐसे विद्यार्थी दसवीं तक ही रह जायेगे और वे महाविद्यालय में प्रवेश नहीं ले पाएंगे।


उपसंहार : इससे शिक्षित लोगों की बेरोजगारी में कमी आएगी और शिक्षित लोगों का समाज में मान-सम्मान होगा। इस शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थियों का सर्वंगीण विकास होगा और यह भविष्य के निर्माण के लिए भी सहायक होगी। इस प्रणाली को पूरी तरह से सफल बनाने का भार हमारे शिक्षकों पर है।

सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि योग्य विद्यार्थी ही शिक्षक बने क्योंकि वो ही उत्तम शिक्षा दे पाएंगे। नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है योग्य शिक्षक ही शिक्षा जगत में प्रवेश कर सकते हैं। इसके साथ इस बात पर भी बल दिया गया है कि विद्यार्थियों को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिलें




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Comments Raj on 16-06-2023

Abe bc kya kya likh diya hai sarkar ne pdh liya to teri me danda kr degi . Sbko pdhna hoga agar desh me tarrakki chahte ho to . To ye tum faaltu ka bkwas mat likho smjha

Modi on 16-06-2023

Abe kya kya likha hai

Abhishek kr Mahato on 03-04-2023

Vartman Shiksha vyavastha Mein dose


Vijay. Kumar on 26-12-2022

Amedment

Nikki on 01-02-2021

Vartman shiksha pradali ke gud aur dish

Hari on 22-01-2021

Education kyu jaruri h

RAM KUMAR on 07-01-2021

wartmaan mulayankan k dosh and laaf


Shiksha pranali me dosh on 23-06-2020

Shiksha pranali me dish



Nikales patidar on 21-08-2018

Vartaman pariksha pranali kitni safal hai

Malti tekam on 04-05-2019

Shiksha ke chetra me rojgar ke gud and dosh

Shubham on 19-05-2019

Aadgt

Doh on 16-10-2019

Bhatho


Aditya Kumar on 06-11-2019

Vartman Shikha Pradali me Gud av Dosh

Rajesh on 22-03-2020

Vartaman shiksha ke gun



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