शुरूआती पढ़ना लिखना (Primary education in hindi) : इसको हम सरल भाषा में घरेलु शिक्षा भी बोल सकते है क्यूंकि जब बच्चे को स्कूल में भेजा जाता है तो उसकी समझने बोलने की शिक्षा भी घर से ही प्रदान की जाती है। अगर ऐसा नही होगा तो बच्चा विद्यालय जाकर उस माहौल में समय पर नही ढल पाएगा जिसकी हमे उम्मीद होती है।
इसलिए शुरूआती पढाई में प्रचलित विधियों द्वारा पढ़ने-लिखने की प्रक्रिया को वर्ण माला से शुरु किया जाता है, और फिर पूर्व निर्धारित क्रमबद्ध शब्दों और लेख के माध्यम से, बच्चों को लिखित भाषा की संरचना से परिचित करवाया जाता है।
इसे हम ऐसे भी समझ सकते है की किसी भी कौशल के विकास के लिए सबसे अधिक आवश्यकता अभ्यास की होती है। हम बच्चों को लिखने के जितने अधिक अवसर देंगे वे लेखन कौशल में उतने ही अधिक निपुण तथा दक्ष होंगे। लेखन कौशल का विकास एक सत्त क्रिया है। और आगे शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर भिन्न भिन्न कार्य करने होते है।
बच्चों का स्कूल न जाना :
आजकल के ज़माने में वैसे तो पढाई हमारे जीवन का एक अहम् हिस्सा हो गया है। जैसा की वर्ष 2022 के आंकड़ों के मुताबिक हम समझे तो हमारे देश की लिट्रेसी रेट 78 प्रतिशत
(highest literacy rate in india) के लगभग है। जो की हमारे लिए काफी अच्छी बात है की हमारा देश लगातार शिक्षा के मामले में आगे ही बढ़ रहा है।
लेकिन दोस्तों आज के समय में भी कई युवा ऐसे है जो स्कूल जाने से डरते है जबकि सरकारें उनके लिए हर एक जरूरत की सुविधा मुहैया
(10 reasons not to go to school) करवा रही है। लेकिन उनका कहना है की उनका मन नही लगता स्कूल में और उन्हें डर लगता है।
इसलिए यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा बच्चों के विद्यालय से बाहर रहने के कारणों से अवगत करा रहे है, जिनको समझकर आप अपने बच्चे को आसानी से स्कूल भेज सकते है और वो भी ख़ुशी-ख़ुशी चला जाएगा....
बच्चों के साथ मारपीट करना और उन्हें डराना व धमकाना। शिक्षकों द्वारा खेल सुविधा उपलब्ध ना करवाना। होमवर्क न करने पर मिलने वाली सजा का डर। युवाओं के मन को प्रज्वलित न करना। स्कूल फोबिया हो जाना। स्कूल में दुसरे बच्चों के व्यवहार से डरना। दूसरों बच्चों से बार-बार उनकी तुलना करने का डर।
शिक्षा का उद्देश्य (Education in hindi) :
हमारे देश के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा था की शिक्षा ही आपको हमेशा इज्जत की जिंदगी जीने को दे सकती है। आपको लोग किस नजर से देखते है जब आप शिक्षित हो जाओगे तो लोग उस नजर से नही देखेंगे जैसे आप सोचते हो। इसलिए आपका शिक्षित होना अतिआवश्यक है।
शिक्षा ही वहीँ हथियार है जिससे आज हम तकनीक के ज़माने में काफी आगे बढ़ चुके है। इसलिए इसमें कोई दो राय नही है की किसी भी राष्ट्र के विकास की गति उसके नागरिको के बीच शिक्षा (education development essay) के प्रसार से होती है। इसके अलावा शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिसका व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की जरूरत :
वर्तमान समय में स्कूली शिक्षा (vision teaching) में गिरावट रही है वह चिंताजनक है। सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों को मिले इस पर सोचने की जरूरत है। हमने सरकारी स्कूलों को खराब कर प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा दिया है। आज स्थिति यह है कि सुविधा संपन्न वर्ग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते, इससे दो तरह की शिक्षा दी जा रही है। हमें तुरंत देश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने की जरूरत है।
आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की कोई भी देश सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर अग्रणी तभी दिख सकता है, जब वहां शिक्षा प्रणाली सभी वर्गों के लिए समान और सुलभकारी हो। समान शिक्षा (uniform education) में मोटे तौर पर निम्नलिखित चीजें आतीं हैं…
1. समान पाठ्यक्रम
2. समान शिक्षण व्यवस्था (विद्यालय, अध्यापक, शिक्षण सुविधाएँ, शुल्क, शिक्षण विधि, आदि)
क्यों नही लागू होती समान शिक्षा प्रणाली ?
दोस्तों इसके कई सारे कारण है जिनमे - स्कूल माफिया एक राष्ट्र-एक शिक्षा बोर्ड नहीं चाहते हैं, कोचिंग माफिया एक राष्ट्र-एक पाठ्यक्रम नहीं चाहते हैं और पुस्तक माफिया सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें नहीं चाहते हैं। इसलिए 12वीं तक की एक समान शिक्षा प्रणाली अभी तक लागू नहीं की गई है।
GKEXAMS का सहयोग :
आपको बता दे की www.gkexams.com पुरे देश के गरीब हो या कोई अमीर वर्ग का छात्र सभी को मुफ्त में शिक्षा से सम्बन्धित बेहतर मेटेरियल देता है। ताकि हमारे देश में समान शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सकें। इसलिए दोस्तों आप हमेशा GKEXAMS के साथ जुड़ें रहे हमारी वेबसाइट और मोबाइल एप्प को भी डाउनलोड करें, ताकि हम आपके लिए भविष्य में कुछ बेहतर कर पाएं।
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