Mahilaon Ki Atmnirbharta महिलाओं की आत्मनिर्भरता

महिलाओं की आत्मनिर्भरता



GkExams on 23-08-2022


आत्मनिर्भरता के बारें में : आत्मनिर्भरता तीन शब्दों से मिलकर बना हुआ है आत्म + निर्भर + ता इन सबका मतलब हुआ "स्वयं पर निर्भर होने की स्थिति"। देश के लिए आत्मनिर्भर होने का अर्थ यह है कि देश के लिए आवश्यक किसी भी वस्तु का निर्माण देश के भीतर ही हो एवं उस वस्तु के लिए देश किसी और बाहरी देश पर निर्भर ना हो।


Mahilaon-Ki-Atmnirbharta


आत्मनिर्भर बनने का मतलब हुआ की हर क्षेत्र मे खुद पर ही निर्भर होना होगा। जैसा की हमने कोरोना काल (Covid-19) में देखा केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए एक अभियान चलाया है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य दुसरे देशों से अपनी जरूरत को बिलकुल खत्म (key features of atmanirbhar bharat mission) करना है। और हर चीज जिसकी एक आम आदमी को जरूरत है उसे भारत देश में ही बनाना है। ये एक आत्मनिर्भरता का बेहतर उदाहरण है।


महिलाओं की आत्मनिर्भरता :




वैसे तो राज्य और केंद्र सरकारों ने महिला सशक्तिकरण (paragraph on women empowerment) पर मुख्य फोकस करके अपनी प्राथमिकताओं में जोड़कर नए आयाम देने का भरसक प्रयास किया है, पर सरकारो के इतने प्रायासों के बावजूद वर्तमान समाज में नारी वह स्थान नहीं प्राप्त कर पायी है जहाँ उसे होना चाहिए।


इस प्रकार हम यह समझ सकते है की महिला सशक्तिकरण तभी संभव है जब आत्म निर्भरता और आर्थिक आत्मा निर्भरता भी हो। महिलाओं को जरूरत है अपने अस्तित्व को पहचानने की और इसको बनाये रखने की और एक कदम बढ़ाने की।


और इसके लिए जरूरत है एक कोई भी स्किल सिखने की जो महिलाओं के लिए आगे चलकर बेहद उपयोगी हो। यहाँ हम उदाहरण की बात करें तो इनमे - सिलाई का काम, खाना बनाने का काम, पशुपालन या कोई भी ऐसी अच्छी स्किल सीखनी पड़ेगी जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बना सके।


वर्तमान युग में महिलाओं का योगदान :




वर्तमान समय में महिलाएं पुरुष वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति की ओर अग्रसर हो रही है, वह समाज के लिए एक गर्व और सराहना की बात है। फिर चाहे वह कोई भी वर्ग हो जैसे - राजनीति, टेक्नोलोजी, सुरक्षा समेत हर क्षेत्र में जहां जहां महिलाओं ने हाथ आजमाया उसे कामयाबी ही मिली।


दोस्तों आज के समय अब तो ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां आज की नारी (essay on women empowerment in india) अपनी उपस्थिति दर्ज न करा रही हो। और इतना सब होने के बाद भी वह एक गृहलक्ष्मी के रूप में भी अपना स्थान बनाए हुए है। जो की काबिल ए तारीफ है।


लेकिन फिर भी भारत के संदर्भ में बात करें तो पाएंगे कि अब भी हमारे देश को महिलाओं की स्थिति सुधारने की जरुरत है। शिक्षा को निचले स्तर तक पहुंचा कर हम नारियों को सशक्त करने का प्रयास कर सकते हैं। इसके साथ ही महिलाओं को भी अपने अधिकार के साथ समाज की मर्यादा का भी ध्यान रखना चाहिए। एक सही दिशा में ही चलकर महिलाओं का सही विकास संभव है।


भारत में नारी की स्थिति :




हमारे देश में महिलाओं की स्थिति सदैव एक समान नही रही है। इसमें युगानुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। उनकी स्थिति में वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक अनेक उतार - चढ़ाव आते रहे हैं तथा उनके अधिकारों में तदनरूप बदलाव भी होते रहे हैं। वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति सुदृढ़ थी , परिवार तथा समाज में उन्हे सम्मान प्राप्त था।


पहले के समय में हमारे देश में ऐसी - ऐसी कुप्रथाएं थी जिन्हें आज के समय में सोचने पर भी रूह कांप उठती है। इनमे से एक है सती प्रथा जी हाँ दोस्तों एक समय था जब नारी को अपने पति की मौत के बाद उसे उनके साथ जिंदा जलकर सती हो जाना पड़ता था। इस कुप्रथा से निजात दिलाने हेतु राजा राममोहन राय ने नारी हित में पहली बार ठोस कदम उठाया और सती प्रथा पर रोक लगा दी गयी।


इसके अलावा समाज में कुप्रथाओ के वाहक कुछ विशेष वर्ग के पुरुषों ने नारी को समाजिक सुख सुविधाओं व शिक्षा से दूर रखा और नारी गुलामी की प्रतीक बन गई। नारी को समाजिक गतिविधियों में शामिल होने की छूट नहीं थी। और उसे अपने घर के अंदर भी अपना चेहरा घूघंट में छिपाकर रखना पड़ता था।


इन सब बातों को देखते हुए हमे आज भी ऐसे कई उदाहरण देखने को मिल जाते है जहाँ पर नारी की बिलकुल भी कदर नही होती है। खासकर गाँव के इलाकों में तो आज भी कई प्रकार की कुप्रथाएं मौजूद है। इसलिए इस प्रकार की कुप्रथाओं से आज हमे लड़ने की सख्त जरूरत है।




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Comments Monu on 20-12-2022

Mahila ka aatamnirbhartahona

Monu on 20-12-2022

Mahila ka aatam.nirbharta hona





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