चेदि पुराणों के उल्लेखानुसार आर्यों का एक अति प्राचीन वंश है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद की एक दानस्तुति में इस वंश के एक अत्यंत शक्तिशाली नरेश कशु का उल्लेख है। ऋग्वेद काल में चेदि वंश के लोग संभवत: यमुना और विंध्य के बीच बसे हुए थे।
चेदि लोगों के दो स्थानों पर बसने के प्रमाण मिलते हैं- नेपाल और बुंदेलखंड। इनमें से दूसरा इतिहास में अधिक प्रसिद्ध हुआ। मुद्राराक्षस में मलयकेतु की सेना में खश, मगध, यवन, शक, हूण के साथ चेदि लोगों का भी नाम है।
पुराणों में वर्णित परंपरागत इतिहास के अनुसार यादव नरेश विदर्भ के तीन पुत्रों में से द्वितीय कैशिक चेदि का राजा हुआ और उसने चेदि शाखा का स्थापना की।
चेदि राज्य आधुनिक बुंदेलखंड में स्थित रहा होगा और यमुना के दक्षिण में चंबल और केन नदियों के बीच में फैला रहा होगा।
कुरु के सबसे छोटे पुत्र सुधन्वन के चौथे अनुवर्ती शासक वसु ने यादवों से चेदि जीतकर एक नए राजवंश की स्थापना की। उसके पाँच में से चौथे (प्रत्यग्रह) को चेदि का राज्य मिला।
महाभारत के युद्ध में चेदि पांडवों के पक्ष में लड़े थे।
छठी शताब्दी ईसा पूर्व के 16 महाजनपदों की तालिका में चेति अथवा चेदि का भी नाम आता है।
रैपसन के अनुसार कशु या कसु महाभारत में वर्णित चेदिराज वसु है[1] और इन्द्र के कहने से उपरिचर राजा वसु ने रमणीय चेदि देश का राज्य स्वीकार किया था।
महाभारत के समय[2] कृष्ण का प्रतिद्वंद्वी शिशुपाल चेदि का शासक था। इसकी राजधानी शुक्तिमती बताई गई है।
Comments
चेदिवंश का संस्थापक कौन था on 29-06-2019
चेदिवंश का संस्थापक कौन था
Vipin on 12-05-2019
Chedi vansh ke sansthapam
Arya on 24-09-2018
Who was sansthapak of chendi vansh
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