Rihand Bandh Pariyojana
यह भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना हैं।
रिहन्द जलाशय-रिहन्द बांध (गोविंद वल्लभ पंत सागर) सोनभद्र के पीपरी के पहाडो के बीच रिहन्द नदी को बांधकर बनाया गया है।यह जलाशय 30 किमी लम्बा व 15 किमी चौडा है।
अनुक्रम
1 परियोजना का प्रारम्भ
2 नदी
3 स्थान
4 उद्देश्य
5 लाभान्वित होने वाले राज्य
परियोजना का प्रारम्भ
13 जुलाई 1954 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने इसकी आधारशिला रखी और 9 वर्ष बाद 6 जनवरी 1963 को इसका उद्घाटन कीया, इसका नाम उ. प्र. के पहले मुख्यमंत्री के नाम पं. गोविंद वल्लभ पंत के नाम पर रखा।
नदी
रिहन्द नदी का उदगम सरगुजा स्थल मतिरिंगा पहाड़ी के पास अम्बिकापुर तहसील पूर्वी सरगुजा से हुआ है। यह सरगुजा ज़िले में दक्षिण से उत्तर से की ओर प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले के चोपन(गोठानी) के समीप सोन नदी में मिल जाती है। छत्तीसगढ़ में इसकी लम्बाई 145 किलोमीटर है। प्रदेश की सीमा पर रिहन्द बाँध बनाया गया है, जिसका आधा हिस्सा उत्तर प्रदेश की सीमा पर (गोविन्द वल्लभ पन्त सागर) पड़ता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ गोवरी, मोरना, मोहन आदि हैं। इसके प्रवाह क्षेत्र में पूर्वी सरगुजा ज़िले हैं।
जल संग्रहण क्षमता- जल संग्रहण क्षेत्र 5148 वर्ग प्रति किमी और जल भण्डारण क्षमता 10608 लाख घन मीटर है, इसकी ऊंचाई 91 मीटर लम्बाई 934 मीटर है।
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