Aajadi Ke Baad Ka Bharat Par Nibandh आजादी के बाद का भारत पर निबंध

आजादी के बाद का भारत पर निबंध



Pradeep Chawla on 14-10-2018


लगभग 200 वर्ष के कठोर संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत माता के क्षितिज पर स्वतंत्रता रूपी सूर्य का उदय हुआ था और हमारी अपनी सरकार सत्ता में आई ।


युगों की चिर निंद्रा के बाद भारत में नए जीवन का संचार हुआ, परंतु स्वतंत्रता पंजाब, सिन्ध और बंगाल के लोगों के लिए असीम दु:ख और पीड़ा अपने साथ लाई थी । बहुत से पुरुष, महिलाएं और बच्चे उस साम्प्रदायिक उन्माद का शिकार हो गए जो उस समय सारे देश में फैल गया था ।


स्वतंत्रता के शैशव काल में ही हमारे देश को बड़ी कठिन और जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ा । देश का विभाजन हो गया और लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा था । हमारी सरकार को उनका पुनर्वास करना पड़ा । उसी समय पाकिस्तान ने कबायली लोगों से कश्मीर पर हमला करवा दिया जबकि कश्मीर भारत में मिल गया था और भारत का एक अंग बन गया था ।


हैद्‌राबाद के रजवाड़ों ने हमारी सरकार के विरूद्ध विद्रोह कर दिया । दूसरे राजा-महाराजाओं ने भी स्वतंत्र राज्य बनाने के प्रयास किए । परन्तु ईश्वर का शुक्र है कि हमारे महान् नेताओं की सहायता से ये सभी कठिनाइयाँ दूर हो गई ।


स्वतंत्र भारत की प्रथम उपलब्धि देश की विभिन्न इकाइयों को इकट्‌ठा करना और लगभग 6 सौ राजाओं की रियासतों को देश में मिलाना था । उसने देश और उसके लोगों को एक कर दिया । 26 जनवरी 1950 को एक नए संविधान के अपनाए जाने के बाद भारत को एक ‘गणतंत्र देश’ घोषित कर दिया गया था ।


इसमें इसके सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारे का आश्वासन दिया गया । इसमें हिन्दी को राष्ट्रभाषा और अन्य 18 भाषाओं को प्रादेशिक भाषा घोषित किया गया । इसमें यह घोषणा भी की गई कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और यहाँ पर धर्म, वंश, जाति अथवा मत के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नही किया जाएगा ।


पिछले चार दशकों में, सामान्य वयस्क मताधिकार के आधार पर दस बार आम चुनाव हो चुके है । 1989 में हुए चुनाव के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय मोर्चे की सरकारें केन्द्र तथा कई राज्यों में बनी । केन्द्र और राज्यों में सत्ता का स्थानान्तरण शांतिपूर्ण ढंग से होना, भारत में राजनीति का स्वरूप पूरी तरह से प्रजातांत्रिक होने का सूचक है।

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पिछले पाँच दशकों में हमने आठ पंचवर्षीय योजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है । इससे हमारी अर्थव्यवस्था को शक्ति और स्थायित्व मिला है । भारत की प्रति व्यक्ति आय 1950-51 में 466 रूपए से बढ़कर 1996-97 में 9,377 रुपए हो गई है । कृषि और औद्योगिक उत्पादन दोनों क्षेत्रों में पर्याप्त उन्नति हुई है ।


अनाज का उत्पादन 1951-52 में 52 मिलियन टन से बढ़कर 1996-97 में 199.32 मिलियन टन से अधिक हो गया है। पंचवर्षीय योजनाओं की सफलताओं से प्रोत्साहित होकर भारत ने अब दंसवीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) शुरु की है । योजना में विकास की व्यापक दर 6 प्रतिशत रखी गई है ।


योजना की समाप्ति पर अनाज का उत्पादन 21 करोड़ टन हो जाएगा । ऊर्जा क्षमता के बढ़ कर 448 अरब किलोवाट हो जाने की सम्भावना है । योजना के अन्य लक्ष्य इस प्रकार है : बिक्री योग्य इस्पात की मात्रा को 142.6 लाख टन से बढ़ाकर 232.2 लाख टन करना; कच्चे पैट्रोलियम के उत्पादन को 310 लाख टन से बढ़ाकर 500 लाख टन करना, और हर वर्ष एक करोड़ नई नौकरियों का प्रबन्ध करना है ।


भारत ने आधुनिक समय की एक बहुत बड़ी चुनौती को स्वीकार किया है, अर्थात् शान्तिपूर्ण और अहिंसक उपायों से समाजवाद की स्थापना करना । भूख और बेरोजगारी को दूर करने के लिए योजनाओं में रखे गए लक्ष्यों की सर्वसत्तात्मक अथवा जबर्दस्ती के उपायों को अपना कर नहीं, बल्कि राजनैतिक तथा आर्थिक शक्तियों को निर्भीकतापूर्वक विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया द्वारा पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है । भारत में प्रजातन्त्र की सफलता इन विकास योजनाओं के सफल संचालन पर ही निर्भर करती है ।




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Comments Guddu rawat on 20-12-2022

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