Chhoti Elaichi Ki Kheti Kaise Kare
खाने की खुशबू व औषधीय गुणों से भरपूर छोटी इलायची अब अवध की माटी में भी उगाई जा सकेगी। वन विभाग के प्रयास रंग लाए तो अवध में घर-घर में तुलसी के बाद इलायची के पौधों को दस्तक दिलाने की तैयारी है। देश के दक्षिणी राज्य कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु में होने वाली इलायची अवध की माटी में करने के प्रयास आरंभ हो गए हैं। वन विभाग इसके लिए सीमैप से तैयार पौधों को यहां के किसानों को बिक्री के लिए उपलब्ध कराएगा।
गौरतलब है कि इलायची की बागवानी पहले प्रदेश में दूर की कौड़ी रही। मूलस्त्रोत दक्षिण भारत के राज्यों को माना जाता है, हालांकि अब इसके पौधों को यहां भी तैयार किया जा रहा है। फैजाबाद जिले की बसौढ़ी पौधशाला में किसानों को इलायची के पौधों की बिक्री की जाएगी। इलायची का पौधा 25 से 30 रुपए की कीमत में किसानों को मिल सकेगा। इसके लिए डीएफओ डॉ. रवि कुमार ¨सह ने सीमैप के वैज्ञानिकों से संपर्क स्थापित कर यहां की जलवायु के अनुकूल पौधों को तैयार कराया है। इन पौधों की ऊंचाई करीब चार से पांच फिट होगी, हालांकि फल के लिए चार वर्ष का इंतजार करना पड़ेगा। रुदौली स्थित बसौढ़ी पौधशाला में इसके पौधे मंगाकर सुरक्षित कर लिए गए हैं। वन विभाग की योजना किसानों को यह पौधे को रियायती दरों पर उपलब्ध कराने की है। खास बात यह है कि इन पौधों को बड़े गमलों में कहीं बेहतर ढंग से उगाया जा सकता है, जो खुशबू, स्वाद और स्वास्थ्य तीनों के लिए मुफीद होगा। उन्होंने बताया कि इलायची के अतिरिक्त अश्वगंधा, आमा हल्दी समेत दूसरी आयुर्वेदिक महत्व के पौधों को भी उगाने की तैयारी है, जिससे आयुर्वेदिक उत्पादन के लिहाज से जिले को समृद्ध बनाया जा सके
महोदय,
हम उत्तर प्रदेश के रहने वाले है जानना चाहते है कि क्या हमारे यहाँ इलाइची की खेती की जा सकती है या नहीं.
अगर की जा सकती है तो इसके पेड़ कहा से मिलेंगे कृपया हमें उचित जानकारी दे. आपकी महान कृपा होंगी
धन्यवाद
इलाइची का पौधा कहां से प्राप्त करें
जानकारी
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