Videshi Vinimay Prabandh Adhiniyam 2000 विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम 2000

विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम 2000



Pradeep Chawla on 12-05-2019

देशी मुद्रा का प्रबंध



विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42)



संसद ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 को प्रतिस्‍थापित करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 अधिनियम बनाया है । यह नियम 1 जून , 2000 से लागू हुआ है । उक्‍त अधिनियम के अन्तर्गत मामलों की जांच करने हेतु केन्‍द्र सरकार ने निदेशक और अन्‍य अधिकारियों सहित प्रवर्तन निदेशालय को चिन्‍हित किया है ।

इस अधिनियम का प्रयोजन भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का अनुरक्षण और विधिवत रूप से विकास का उन्‍नयन और विदेशी व्यापार और भुगतान को साध्‍य बनाने के उद्देश्‍य से विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना है ।

यह अधिनियम सम्‍पूर्ण भारत में लागू है और भारतीय निवासी द्वारा नियंत्रित या भारत से बाहर उनके स्‍वामित्‍व में एजेंसियों और सभी शाखाओं , कार्यालयों में भी लागू होगा । जहां यह नियम लागू है किसी भी व्‍यक्‍ति द्वारा भारत से बाहर किए गए उल्‍लंघन पर भी लागू होगा ।



विदेशी मुद्रा प्रबंध व्‍यापक स्‍कीम अधिनियम , 1999



धारा 3- प्राधिकृत व्‍यक्‍ति के माध्‍यम को छोड़कर विदेशी मुद्रा में लेन-देन निषेध है । यह धारा बताती है कि कोई भी व्‍यक्‍ति भारतीय रिजर्व बैंक के साधारण या विशेष अनुमति के बिना नहीं कर सकता है –

(क) प्राधिकृत व्‍यक्‍ति न होने के कारण कोई भी व्‍यक्‍ति विदेशी प्रतिभूतियां या विदेशी मुद्रा अंतरण या लेन –देन

(ख) भारत से बाहर रह रहे कोई भी व्‍यक्‍ति किसी प्रकार से क्रेडिट के लिए या भुगतान के लिए

(ग) किसी प्रकार के भारत से बाहर रह रहे किसी भी व्‍यक्‍ति की ओर से या आदेश द्वारा भुगतान, प्राधिकृत व्‍यक्‍ति के माध्‍यम से अन्‍यथा प्राप्‍त करना,

(घ) किसी भी व्‍यक्‍ति द्वारा भारत के बाहर कोई भी सम्पत्ति, अर्जन करने के लिए अधिकार का अंतरण या सृजन या अर्जन के सहयोजन में विचार के लिए भारत में किसी भी वित्‍तीय लेन-देन में प्रविष्‍टि

धारा -4 इस नियम में विशेष रूप से यथा उपबंधित के अतिरिक्त भारत से बाहर स्थित कोई भी अचल सम्पत्ति या विदेशी मुद्रा हस्तांतरण करने या अर्जन, धारण , स्‍वामित्‍व, कब्‍जा करने से भारत में किसी भी व्‍यक्‍ति को रोकना । “विदेशी मुद्रा ” और “ विदेशी प्रतिभूति ” के निबंधन को इस नियम की धारा 2 (ध) और 2(न) में परिभाषित है । केन्द्रीय सरकार ने विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू लेखा लेन-देन) अधिनियम, 2000 बनाया है ।



धारा-6 पूंजीगत लेखा लेन-देन के बारे में यह धारा पूंजीगत लेखा लेन- देन के लिए एक प्राधिकृत व्‍यक्‍ति को या विदेशी मुद्रा बेचने या निकालने के लिए एक व्यक्ति को अनुमति देती है । केन्द्रीय सरकार के परामर्श से भारतीय रिजर्व बेंक ने धारा 6 की उपधारा (2) और (3) के शर्तों के अनुसार पूंजीगत लेखा लेन- देन पर विभिन्‍न विनियम जारी किए हैं ।

धारा 7- माल एवं लेखा निर्यात के बारे में प्रत्‍येक निर्यातकों को पूर्ण निर्यात मूल्‍य के बारे में घोषणा आदि किसी अन्‍य प्राधिकरण या भारतीय रिजर्व बैंक को प्रस्तुत करना अपेक्षित है ।

धारा-8 भारत में निवास व्यक्तियों पर दायित्‍व डालना जिनके पास कोई विदेशी मुद्रा देय राशि है या भारतीय रिजर्व बैंक,द्वारा विनिर्दिष्‍ट रीति और विनिर्दिष्‍ट अवधि के अन्‍दर भारत में प्रत्‍यावर्तित और उसे वसूली के लिए उनके पक्ष में प्रोदभूत किया गया है ।

धारा 10 और 12 – प्राधिकृत व्यक्तियों के शुल्‍कों और देयताओं के संबंध में । इस नियम की धारा 2(ग) में प्राधिकृत व्‍यक्‍ति को परिभाषित किया गया है जिससे अभिप्राय एक प्राधिकृत व्‍यक्‍ति डीलर, मुद्रा परिवर्तन, विदेश में स्थित आफशोर बैकिंग इकाई या अन्‍य व्‍यक्‍ति को कुछ समय के लिए विदेशी मुद्रा या विदेशी प्रतिभूतियां हैं ।

धारा 13 और 15 – इस नियम के अंतर्गत संयुक्‍त उल्लंघन के अतिरिक्‍त न्याय निर्णयन प्राधिकरण के शास्‍तियां और प्रवर्तन के अधिनियम ।

धारा 36 से 37 – इस नियम के अंतर्गत शक्‍तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए आदेश या अधिनियम, नियम, विनियम, अधिसूचनाएं , निर्देशनों के किसी भी प्रावधानों के उल्लंघन की जांच कराने के लिए शक्तियां और प्रवर्तन निदेशालय के स्थापन के संबंध में है । प्रवर्तन निदेशक और सहायक निदेशक श्रेणी के अन्‍य प्रवर्तन अधिकारी को जांच करने के लिए अधिकार दिए गए हैं ।



प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका



प्रवर्तन निदेशालय मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियमों के प्रावधानों और अधिनियमों के उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए इसके तहत जारी नियम और विनियमों से संबंधित है । निदेशालय के अधिकारी न्यायनिर्णयन कार्य भी निष्‍पादित करते हैं ताकि अधिनियम के उल्लंघन के लिए व्‍यक्‍तियों पर शास्‍ति अधिरोपित की जाए ।

संगठन ढांचा

प्रवर्तन निदेशालय का मुख्‍यालय नई दिल्‍ली में है । इसके दस क्षेत्रीय कार्यालय अहमदाबाद , बंगलौर, चंडीगढ़ , चेन्‍नई , कोचीन, दिल्ली, हैदराबाद , लखनऊ, कोलकाता और मुम्‍बई में है । क्षेत्रीय कार्यालयों के अध्‍यक्ष उप निदेशक हैं निदेशालय के 11 उप क्षेत्रीय कार्यालय भुवनेश्‍वर, कालीकट, गुवाहाटी, इंदौर, जालन्‍धर, जयपुर, मदुरै, नागपुर, पटना, श्रीनगर और वाराणसी में है । । इसके अतिरिक्त‍ तीन विशेष प्रवर्तन निदेशक और दो अतिरिक्त प्रवर्तन निदेशक हैं ।

हाल ही की पहल

धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 49 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्‍तियों के प्रयोग में, धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच शीघ्र करने हेतु प्रवर्तन निदेशालय की सहायता करने के लिए, सरकार ने हाल ही में विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) की धारा 36 की उप-धारा (2) के तहत प्रवर्तन निदेशालय में नियुक्‍त प्रवर्तन अधिकारी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए) 2002 के प्रयोजनों हेतु सहायक निदेशक के रूप में अधिकृत किया है ।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Ramavtar yadav on 18-12-2021

Videshi vinimay prabandh adhiniyam 2000 Hai ismein Pramukh Udyog ka varnan kijiye

VIPIN BARMAN on 14-07-2021

VIDESI VINIMAY PRABANDH ADHINIYAM DO HAJAR KE PRAVDHAN

Simran on 09-07-2021

विदेशी विनिमय प्रबन्ध अधिनियम के उद्देश्यो को बताइऐ


Guru soner on 27-10-2020

Videshi vinimay prabandh ke karya

विकाश कुमार कोरी on 04-12-2018

विनिमय शाध्य बिलेय से आप क्या समझते है





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