Bharateey Arthvyavastha Ki Vartman प्रवृत्तियाँ भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान प्रवृत्तियाँ

भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान प्रवृत्तियाँ



Pradeep Chawla on 18-09-2018

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की वर्तमान स्थिति




भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का वर्तमान परिदृश्‍य आशावादी वृद्धि और सशक्‍त बृहत अर्थव्‍यवस्‍था मूलभूत तथ्‍यों द्वारा लाक्षणीकृत किया गया है, विशेष रूप से राजकोषीय समेकन और भुगतान स्थिति के सशक्‍त संतुलन की ओर टेंजिबल प्रगति सहित। वर्ष 2006-07 के लिए कारक लागत पर सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) के अग्रिम आकलन (एई) 9.2 प्रतिशत पर रखे गए हैं।


वर्तमान वर्ष के दौरान औद्योगिक क्षेत्र में प्रभावशाली वृद्धि हुई है। वर्ष 1995-96 से अब तक वर्ष 2006-07 के आरंभिक 9 माहों के दौरान 10.6 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष औद्योगिक वृद्धि दर्ज की गई थी। इस ठोस वृद्धि का प्रमुख कारण विनिर्माण क्षेत्र में हुई वृद्धि है। वर्ष के आठ में से सात माहों में विनिर्माण क्षेत्र की वर्ष दर वर्ष वृद्धि दोहरे अंकों में हुई थी।


भारत का दूर संचार क्षेत्र बाज़ार उन्‍मुख सुधारों की सबसे बड़ी सफलता कथाओं में से एक है और भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते दूर संचार बाज़ारों में से एक है। मार्च 2006 में दूर - घनत्‍व 12.7 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2006 में 16.8 प्रतिशत हो गया है। 31 मार्च, 2003 में टेलीफोनों की कुल संख्‍या 54.63 मिलियन से बढ़कर 31 मार्च 2006 को 142.09 मिलियन और 31 दिसम्‍बर 2006 को 189.92 मिलियन हो गई है। इस वृद्धि के साथ वर्ष 2007 के अंत तक टेलीफोनों की कुल संख्‍या 250 मिलियन तक पहुँच जाने की आशा है।


मूल संरचना क्षेत्र बृहत स्‍तर पर विस्‍तारित हो रहा है। मूल संरचना पर एक प्रत्‍यक्ष प्रभाव डालने वाले छ: प्रमुख उद्योगों के समग्र सूचकांक में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि वर्तमान वर्ष में दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष के 5.5 प्रतिशत वृद्धि के आंकड़े से अधिक है। वर्ष 2006-07 के आरंभिक 9 माहों में कच्‍चे पेट्रोलियम, रिफाइनरी उत्‍पादों और विद्युत उत्‍पादन में वृद्धि दरें दर्ज की गईं, किन्‍तु कोयला, सीमेंट और तैयार इस्‍पात की वृद्धि दरों में एक गिरावट हुई। देश में मूल संरचना में कमी के अंतराल को भरने के लिए सरकार सार्वजनिक निजी भागीदारी पर भी सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। विद्युत, पत्‍तन, राजमार्ग, हवाई अड्डों, पर्यटन और शहरी मूल संरचना जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्‍साहन देने के लिए अनेक पहलें की गई हैं।


थोक मूल्‍य सूचकांक के संदर्भ में 20 जनवरी 2007 को वार्षिक बिन्‍दु से बिन्‍दु स्‍फीति दर 6.11 प्रतिशत थी, जो पिछले वर्ष के संगत सप्‍ताह में 4.24 प्रतिशत थी। इसी प्रकार, प्राथमिक वस्‍तुओं में 20 जनवरी 2007 को स्‍फीति दर 9.76 प्रतिशत थी, जो पिछले वर्ष 5.87 प्रतिशत थी और पिछले वर्ष की तुलना में 29.73 प्रतिशत के बजाय समग्र स्‍फीति में 34.87 प्रतिशत का योगदान दिया गया।


आर्थिक वृद्धि के संवेग और निहित स्‍फीति की सुविधा प्रदान करने के दोहरे उद्देश्‍य के पुनर्विनियोजन के लिए वर्ष 2006-07 के दौरान एक स्‍थायी दर पर मौद्रिक क्षेत्र की वृद्धि भी जारी है। वर्तमान वर्ष के दौरान 19 जनवरी 2007 को एम 3 में वर्ष दर वर्ष वृद्धि और वाणिज्यिक क्षेत्र की ऋण स्थिति क्रमश: 21.1 प्रतिशत और 29.9 प्रतिशत थी।


द्वितीयक बाज़ार में 3 जनवरी 2007 को पहली बार बीएसई सूचकांक और एनएसई सूचकांक निफ्टी सूचकांक क्रमश: 14,000 (14,015) और 4,000 अंक (4,024) से ऊपर बंद होने के साथ वर्ष 2006-07 में ऊपर जाने का रुझान जारी रहा। स्‍टॉक मार्केट सूचकांकों में इस प्रभावशाली वृद्धि का श्रेय भारतीय कॉर्पोरेटों में अर्जित लाभ, अर्थव्‍यवस्‍था में समग्र उच्‍चतर वृद्धि और अन्‍य वैश्विक कारक जैसे अपेक्षाकृत आसान ऋण दरों का जारी रहना एवं अंतरराष्‍ट्रीय बाज़ार में कच्‍चे तेल की कीमतों में गिरावट को दिया जा सकता है।


राजकोषीय सुधारों के पश्‍चात और बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम अधिनियम) अवधि में राजकोषीय समेकन की प्रगति संतोषजनक रही है। केंद्र की राजकोषीय कमी, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में वर्ष 2001-02 के दौरान 6.2 प्रतिशत (बजट अनुमान) हो गई है। इसी प्रकार इस अवधि में राजस्‍व कमी 4.4 प्रतिशत से घटकर 2.1 प्रतिशत (बजट अनुमान) हो गई।


भारत के बाह्य आर्थिक परिवेश में वर्तमान लेखा कमी के मध्‍यम स्‍तर को निरन्‍तर निधिकृत करते हुए अदृश्‍य लेखा सशक्‍त और टिकाऊ पूंजी प्रवाह जारी है। वर्ष 2005-06 तक निष्क्रिय रहने के बाद विदेशी संस्‍थान निवेश (एफआईआई) प्रवाह वर्ष 2006-07 के प्रथमार्ध में निवल बहि:प्रवाह में बदल गए। एफआईआई प्रवाह एक बार फिर वर्तमान वर्ष के द्वितीय अर्ध भाग में सकारात्‍मक हो गए हैं। अप्रैल- सितम्‍ब्‍र 2006 में उपलब्‍ध अनंतिम आंकड़ों के अनुसार निवल एफडीआई 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर अप्रैल-सितम्बर में इसके स्‍तरों का दुगना था।


अर्थव्‍यवस्‍था की वर्तमान स्थिति दर्शाने वाले विभिन्‍न आर्थिक सूचकांक हैं।






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Comments Anjali on 06-01-2020

Bhartiya arthvyavastha ki mool pravritiyaan

Rahul on 12-05-2019

Bhartiya artvyastha ki vertmaan pravattiya





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