जहाँगीर ने गुरु जी को सन्देश भेजा| बादशाह का सन्देश पड़कर गुरु जी ने अपना अन्तिम समय नजदीक समझकर अपने दस-ग्यारह सपुत्र श्री हरिगोबिंद जी को गुरुत्व दे दिया| उन्होंने भाई बुड्डा जी, भाई गुरदास जी आदि बुद्धिमान सिखों को घर बाहर का काम सौंप दिया| इस प्रकार सारी संगत को धैर्य देकर गुरु जी अपने साथ पांच सिखों-
1भाई जेठा जी
2भाई पैड़ा जी3भाई बिधीआ जी4लंगाहा जी5पिराना जीको साथ लेकर लाहौर पहुँचे|
दूसरे दिन जब आप अपने पांच सिखों सहित जहाँगीर के दरबार में गए| तो उसने कहा आपने मेरे बागी पुत्र को रसद और आशीर्वाद दिया है| आपको दो लाख रूपये जुरमाना देना पड़ेगा नहीं तो शाही दण्ड भुगतना पड़ेगा| गुरु जी को चुप देखकर चंदू ने कहा कि मैं इन्हें अपने घर ले जाकर समझाऊंगा कि यह जुरमाना दे दें और किसी चोर डकैत को अपने पास न रखें| चंदू उन्हें अपने साथ घर में ले गया| जिसमे पांच सिखों को ड्योढ़ि में और गुरु जी को ड्योढ़ि के अंदर कैद कर दिया| चंदू ने गुरु जी को अकेले बुलाकर यह कहा कि मैं आपका जुर्माना माफ करा दूँगा, कोई पूछताछ भी नहीं होगी| इसके बदले में आपको मेरी बेटी का रिश्ता अपने बेटे के साथ करना होगा और अपने ग्रंथ में मोहमद साहिब की स्तुति लिखनी होगी|
गुरु जी ने कहा दीवान साहिब! रिश्ते की बाबत जो हमारे सिखों ने फैसला किया है, हम उस पर पावंध हैं| हमारे सिखों को आपका रिश्ता स्वीकार नहीं है| दूसरी बात आपने मोहमद साहिब की स्तुति लिखने की बात की है यह भी हमारे वश की बात नहीं है| हम किसी की खुशी के लिए इसमें अलग कोई बात नहीं लिख सकते| प्राणी मात्र के उपदेश के लिए हमें करतार से जो प्रेरणा मिलती है इसमें हम वही लिख सकतें हैं|
गुरु जी का यह उत्तर सुनते ही चंदू भड़क उठा| उसने अपने सिपाहियों को हुकम दिया कि इन्हें किसी आदमी से ना मिलने दिया जाए और ना ही कुछ खाने पीने को दिया जाए|
गुरु जी को कष्ट देने:
1पानी की उबलती हुई देग में बिठाना
दूसरे दिन जब गुरु जी ने चंदू की दोनों बाते मानने से इंकार कर दिया तो उसने पानी की एक देग गर्म करा कर गुरु जी को उसमें बिठा दिया| गुरु जी को पानी की उबलती हुई देग में बैठा देखकर सिखों में हाहाकार मच गई| वै जैसे ही गुरु जी को निकालने के लिए आगे हुए,सिपाहियों ने उनको खूब मारा| सिखों पार अत्याचार होते देख गुरु जी ने उनको कहा, परमेश्वर का हुकम मानकर शांत रहो| हमारे शरीर त्यागने का समय अब आ गया है|
2गर्म रेत शरीर पर डालना
जब गुरु जी चंदू की बात फिर भी ना माने, तो उसने गुरु जी के शरीर पार गर्म रेत डलवाई| परन्तु गुरु जी शांति के पुंज अडोल बने रहे “तेरा भाना मीठा लागे” हरि नाम पदार्थ नानक मांगै” पड़ते रहे| देखने और सुनने वाले त्राहि-त्राहि कर उठे| परन्तु कोई कुछ भी नहीं कर पाया| गुरु जी का शरीर छालों से फूलकर बहुत भयानक रूप धारण कर गया|
3गर्म लोह पर बिठाना
तीसरे दिन जब गुरु जी ने फिर चंदू की बात मानी, तो उसने लोह गर्म करवा कर गुरु जी को उसपर बिठा दिया| गुरु जी इतने पीड़ाग्रस्त शरीर से गर्म लोह पर प्रभु में लिव जोड़कर अडोल बैठे रहे| लोग हाहाकार कर उठे|
Guru ji ki sahidi ke karn
Guru aerjen devi di shahidi de 5 karan daso
Guru ji ki shadi ke karan7
Guru Arjan Dev ji ke sheedi ky Karan
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity
Guru arjan dev ji di shaihidi de karan