Alauddin Khilji Ki Bazar Niyantran Vyavastha Ko समझाइए अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था को समझाइए

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था को समझाइए



Pradeep Chawla on 12-05-2019

अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का ही नहीं, बल्कि मध्यकालीन भारतीय शासकों में एक योग्य शासक था। वह एक प्रतिभा सम्पन्न एवं दूरदर्शी शासक था। उसने अनेक आर्थिक सुधार भी किये। अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान उसकी मूल्य निर्धारण योजना अथवा बाजार नियंत्रण की नीति को दिया जाता है।



अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी विस्तार नीति और मंगोल आक्रमणों ने उसके लिए विशाल सेना रखना अनिवार्य कर दिया था। इस पर काफी खर्च आता था। सेना पर होने वाले खर्च में कमी लाने के उद्देश्य से अलाउद्दीन ने सैनिकों का वेतन निर्धारित कर दिया था। अतः यह आवश्यक था कि सैनिकों को इस सीमित वेतन में ही दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं उपलब्ध कराई जा सकें। अतः वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करना आवश्यक हो गया।



खिलजी ने बाजार नियंत्रण व्यवस्था को कार्यान्वित करने के लिए एक नये विभाग का गठन किया, जिसे ‘दिवान-ए-रियासत’ नाम दिय गया। इसका प्रधान ‘सदर-ए-रियासत’ कहा जाता था। इस विभाग के अधीन प्रत्येक बाजार के लिए निरीक्षक नियुक्त किया गया। इसे ‘शहना’ कहते थे, जो योजना लागू करने के लिए उत्तररदायी था। गुप्तचर अथवा ‘बरीद’ एवं ‘मुन्हीयां’ नियुक्त किये गये ताकि बाजार की गतिविधियों एवं शहना पर निगरानी रख सके।

बरनी के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी ने निम्नलिखित बाजार स्थापित कियेः

मण्डी - मण्डी में अनाज का व्यापार होता था। अलाउद्दीन ने बाजार में अन्न की कमी नहीं होने देने के उद्देश्य से अनाज के रूप में ही लगान वसूल किया, जिसे राजकीय गोदामों में सुरक्षित रखा जाता था। किसानों को व्यापारियों के हाथों अनाज बेचने की मनाही कर दी गई। प्रत्येक सामान की दर तय कर दी गई थी जो निम्नलिखित है-

वस्तु कीमत

गेहूं 7.5 जीतल प्रति मन

जौ 4 जीतल प्रति मन

चना 5 जीतल प्रति मन

चावल 5 जीतल प्रति मन

घी 4 जीतल प्रति ढाई सेर



सराय अदलः-

सराय अदल में वस्त्र एवं अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था। इस समय खाद्यानी की अपेक्षा कपड़े का मूल्य अधिक था। इसमें निर्धारित मूल्य पर मुनाफे की गुंजाइश भी कम थी। अलाउद्दीन ने मुल्तानी व्यापारियों के राज्य द्वारा ऋण प्रदान दिया ताकि वे व्यापारियों से उपलब्ध मूल्य पर कपड़े खरीदें और उसे बाजार लाकर निर्धारित मूल्य पर बेचें।



घोड़ों, दासों और मवेशियों के बाजारः-

ठसमें वस्तु की किस्म के अनुसार उसका मूल्य निश्चित किया गया। व्यापारियों और पूंजीपतियों का बहिष्कार किया गया। बिचौलियों पर कड़ी निगरानी रखी गई। दासों, घोड़ों और मवेशियों की श्रेणी निर्धारित की गई और इसी के अनुसार इसका मूल्य निर्धारित किया गया।



इस प्रकार अलाउद्दीन खिलजी अपने जीवनकाल में मूल्य नियंत्रण व्यवस्था कर अपना लक्ष्य पाने में सफल रहा। अपनी बाजार नियंत्रण व्यवस्था के आधार पर उसने वस्तुओं के मूल्य निश्चित कर दिये। यद्यपि उसकी मूल्य नियंत्रण प्रणाली की इतिहासकारों ने इस आधार पर आलोचना की है कि यह व्यवस्था न तो जनता के हित में थी और न ही राज्य के स्थाई हित में, लेकिन हम कह सकते है कि अलाउद्दीन की मूल्य नियंत्रण नीति काफी मौलिक थी।


Pradeep Chawla on 12-05-2019

अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का ही नहीं, बल्कि मध्यकालीन भारतीय शासकों में एक योग्य शासक था। वह एक प्रतिभा सम्पन्न एवं दूरदर्शी शासक था। उसने अनेक आर्थिक सुधार भी किये। अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान उसकी मूल्य निर्धारण योजना अथवा बाजार नियंत्रण की नीति को दिया जाता है।



अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी विस्तार नीति और मंगोल आक्रमणों ने उसके लिए विशाल सेना रखना अनिवार्य कर दिया था। इस पर काफी खर्च आता था। सेना पर होने वाले खर्च में कमी लाने के उद्देश्य से अलाउद्दीन ने सैनिकों का वेतन निर्धारित कर दिया था। अतः यह आवश्यक था कि सैनिकों को इस सीमित वेतन में ही दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं उपलब्ध कराई जा सकें। अतः वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करना आवश्यक हो गया।



खिलजी ने बाजार नियंत्रण व्यवस्था को कार्यान्वित करने के लिए एक नये विभाग का गठन किया, जिसे ‘दिवान-ए-रियासत’ नाम दिय गया। इसका प्रधान ‘सदर-ए-रियासत’ कहा जाता था। इस विभाग के अधीन प्रत्येक बाजार के लिए निरीक्षक नियुक्त किया गया। इसे ‘शहना’ कहते थे, जो योजना लागू करने के लिए उत्तररदायी था। गुप्तचर अथवा ‘बरीद’ एवं ‘मुन्हीयां’ नियुक्त किये गये ताकि बाजार की गतिविधियों एवं शहना पर निगरानी रख सके।

बरनी के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी ने निम्नलिखित बाजार स्थापित कियेः

मण्डी - मण्डी में अनाज का व्यापार होता था। अलाउद्दीन ने बाजार में अन्न की कमी नहीं होने देने के उद्देश्य से अनाज के रूप में ही लगान वसूल किया, जिसे राजकीय गोदामों में सुरक्षित रखा जाता था। किसानों को व्यापारियों के हाथों अनाज बेचने की मनाही कर दी गई। प्रत्येक सामान की दर तय कर दी गई थी जो निम्नलिखित है-

वस्तु कीमत

गेहूं 7.5 जीतल प्रति मन

जौ 4 जीतल प्रति मन

चना 5 जीतल प्रति मन

चावल 5 जीतल प्रति मन

घी 4 जीतल प्रति ढाई सेर



सराय अदलः-

सराय अदल में वस्त्र एवं अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था। इस समय खाद्यानी की अपेक्षा कपड़े का मूल्य अधिक था। इसमें निर्धारित मूल्य पर मुनाफे की गुंजाइश भी कम थी। अलाउद्दीन ने मुल्तानी व्यापारियों के राज्य द्वारा ऋण प्रदान दिया ताकि वे व्यापारियों से उपलब्ध मूल्य पर कपड़े खरीदें और उसे बाजार लाकर निर्धारित मूल्य पर बेचें।



घोड़ों, दासों और मवेशियों के बाजारः-

ठसमें वस्तु की किस्म के अनुसार उसका मूल्य निश्चित किया गया। व्यापारियों और पूंजीपतियों का बहिष्कार किया गया। बिचौलियों पर कड़ी निगरानी रखी गई। दासों, घोड़ों और मवेशियों की श्रेणी निर्धारित की गई और इसी के अनुसार इसका मूल्य निर्धारित किया गया।



इस प्रकार अलाउद्दीन खिलजी अपने जीवनकाल में मूल्य नियंत्रण व्यवस्था कर अपना लक्ष्य पाने में सफल रहा। अपनी बाजार नियंत्रण व्यवस्था के आधार पर उसने वस्तुओं के मूल्य निश्चित कर दिये। यद्यपि उसकी मूल्य नियंत्रण प्रणाली की इतिहासकारों ने इस आधार पर आलोचना की है कि यह व्यवस्था न तो जनता के हित में थी और न ही राज्य के स्थाई हित में, लेकिन हम कह सकते है कि अलाउद्दीन की मूल्य नियंत्रण नीति काफी मौलिक थी।




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Comments Pankaj saroj on 17-04-2024

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Anshu on 25-11-2023

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Rsni on 02-07-2020

Alauddin Khilji ki bajar niyantran ki visheshtaen


Dheeraj soni on 02-01-2020

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Om choudhary on 04-02-2019

Jeetalkya h





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