ब्राह्मणग्रन्थ हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों का गद्य में व्याख्या वाला खण्ड है। ब्राह्मणग्रन्थ वैदिक वाङ्मय का वरीयता के क्रममे दूसरा हिस्सा है जिसमें गद्य रूप में देवताओं की तथा यज्ञ की रहस्यमय व्याख्या की गयी है और मन्त्रों पर भाष्य भी दिया गया है। इनकी भाषा वैदिक संस्कृत है। हर वेद का एक या एक से अधिक ब्राह्मणग्रन्थ है (हर वेद की अपनी अलग-अलग शाखा है)।आज विभिन्न वेद सम्बद्ध ये ही ब्राह्मण उपलब्ध हैं :-
ब्राह्मण ग्रंथों का एक उदाहरण। बाएं तैत्तिरीय संहिता जिसमें मंत्र (मोटे अक्षरों में) और ब्राह्मण दोनो हैं, जबकि दाहिने भाग में ऐतरेय ब्राह्मण का एक अंश।
ऋग्वेद :
ऐतरेयब्राह्मण-(शैशिरीयशाकलशाखा)
कौषीतकि-(या शांखायन) ब्राह्मण (बाष्कल शाखा)
सामवेद :
प्रौढ(या पंचविंश) ब्राह्मण
षडविंश ब्राह्मण
आर्षेय ब्राह्मण
मन्त्र (या छान्दिग्य) ब्राह्मण
जैमिनीय (या तावलकर) ब्राह्मण
यजुर्वेद
शुक्ल यजुर्वेद :
शतपथब्राह्मण-(माध्यन्दिनीय वाजसनेयि शाखा)
शतपथब्राह्मण-(काण्व वाजसनेयि शाखा)
कृष्णयजुर्वेद :
तैत्तिरीयब्राह्मण
मैत्रायणीब्राह्मण
कठब्राह्मण
कपिष्ठलब्राह्मण
अथर्ववेद :
गोपथब्राह्मण (पिप्पलाद शाखा)
अनुक्रम
1 सार
2 सन्दर्भ
3 इन्हें भी देखें
4 बाहरी सम्पर्क
सार
ब्राह्मण ग्रंथ यानि सत-ज्ञान ग्रंथ, वेदों के कई सूक्तों या मंत्रों का अर्थ करने मे सहायक रहे हैं। वेदों में दैवताओं के सूक्त हैं जिनको वस्तु, व्यक्तिनाम या आध्यात्मिक-मानसिक शक्ति मानकर के कई व्याख्यान बनाए गए हैं। ब्राह्मण ग्रंथ इन्ही में मदद करते हैं। जैसे -
विद्वासों हि देवा - शतपथ ब्राह्मण के इस वचन का अर्थ है, विद्वान ही देवता होते हैं।
यज्ञः वै विष्णु - यज्ञ ही विष्णु है।
अश्वं वै वीर्यम, - अश्व वीर्य, शौर्य या बल को कहते हैं।
राष्ट्रम् अश्वमेधः - तैत्तिरीय संहिता और शतपथ ब्राह्मण के इन वचनों का अर्थ है - लोगों को एक करना ही अशवमेध है।
अग्नि वाक, इंद्रः मनः, बृहस्पति चक्षु .. (गोपथ ब्राह्मण)। - अग्नि वाणी, इंद्र मन, बृहस्पति आँख, विष्णु कान हैं।
इसके अतिरिकत भी कई वेद-विषयक शब्दों का जीवन में क्या अर्थ लेना चाहिए इसका उद्धरण ब्राह्मण ग्रंथों में मिलता है। कई ब्राह्मण ग्रंथों में ही उपनिषद भी समाहित हैं।
Bhart me shanshkrit kb apnayi gyi
प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी कौन-कौन से ब्राह्मण ग्रंथों से प्राप्त होती है
Pdf free download Hindi anuvad sahit kitne brahmana va aranyaka granth Kahan par uplabdha Hai?
Brahmann Granth kya hai
Gavaskar kis Brahman ka gotra hai
देवतायतनानि कम्पन्ते दैवतप्रतिमा हसन्ति। रुदान्त नृत्यान्त स्फुटान्त स्विद्यन्त्युन्मालान्त निमीलन्ति॥
अनुवाद सहित
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