Nachiketa Ka Charitr Chitrann नचिकेता का चरित्र चित्रण

नचिकेता का चरित्र चित्रण



GkExams on 12-05-2019

नचिकेता की कहानी : कठ उपनिषद में वर्णित पहला साधक नचिकेता की कहानी : कठ उपनिषद में वर्णित पहला साधक Article Oct 23, 2016

सद्‌गुरुकठ उपनिषद में नचिकेता को सबसे पहला साधक बताया गया है। नचिकेता मृत्यु का भेद जानने के लिए यम के द्वार तक पहुंच गया था। जानते हैं नचिकेता के प्रश्न और यम के उत्तर के बारे में

नचिकेता के पिता का यज्ञ

नचिकेता को दुनिया का पहला जिज्ञासु माना जाता है – कम से कम पहला महत्वपूर्ण जिज्ञासु। एक उपनिषद् भी उस से शुरू होता है। नचिकेता एक छोटा बालक था। उसके पिता ने एक यज्ञ करने की शपथ ली थी। यह एक ऐसा पवित्र अनुष्ठान था, जिसमें उन्हें अपनी सारी सांसारिक संपत्ति - अपना घर, अपना सारा सामान, यहां तक कि अपनी पत्नी, अपने बच्चे, यानी अपना सब कुछ ऋषियों, ब्राह्मणों और दूसरे लोगों को दान में दे देना था। इस तरह के यज्ञ से आप आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करते हैं। यह एक ऐसा साधन है, जिसे पारंपरिक रूप से रचा गया है।

नचिकेता के पिता ने बेकार की चीज़ें दान कर दीं

कुछ लोग आध्यात्मिक ज्ञान के लिए इस तरह का शपथ लेते हैं। नचिकेता के पिता ने यह शपथ ली और और उन्होंने अपनी सभी बीमार गायें, बेकार संपत्ति और जिन चीजों की उन्हें जरूरत नहीं थी, जो किसी न किसी रूप में उनके लिए बोझ थीं, वे सब दान में दे डालीं।

फिर वह यम के पास चला गया। यह मत सोचिए कि ‘वह कैसे गया होगा, शरीर के साथ या शरीर छोड़कर?’ मुद्दा यह नहीं है। बस वह यम के पास चला गया। उन्होंने खूब दिखावा किया मगर जिन चीजों की उन्हें वाकई जरूरत थी, जैसे अपनी दोनों पत्नियों और बच्चे को, उनको उन्होंने अपने पास ही रखा। नचिकेता को यह सब देखकर बहुत दुख हुआ। उसने देखा कि उसके पिता ने ईमानदारी नहीं दिखाई। उसके पिता ने शपथ ली थी कि वह सब कुछ दान करके आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करेंगे, मगर उन्होंने चालाकी की। नचिकेता अपने पिता के पास गया और इस बारे में उनसे बात करने लगा। उसकी उम्र उस समय सिर्फ पांच साल की थी, मगर उसमें असाधारण समझदारी थी।

नचिकेता ने अपने पिता को समझाना चाहा

नचिकेता ने अपने पिता से कहा, ‘आपने ठीक नहीं किया। अगर आप सब कुछ देना नहीं चाहते थे, तो आपको यह शपथ नहीं लेनी चाहिए थी। एक बार शपथ लेने के बाद, आपको सब कुछ दे देना चाहिए। मुझे बताइए कि आप मुझे किसको दान करने वाले हैं?’ उसके पिता क्रोधित हो गए और बोले, ‘मैं तुम्हें यम को देने वाला हूं।’ यम मृत्यु के देवता होते हैं। बालक ने अपने पिता की बात को बहुत गंभीरता से लिया और यम के पास जाने के लिए तैयार होने लगा। फिर वह यम के पास चला गया। यह मत सोचिए कि ‘वह कैसे गया होगा, शरीर के साथ या शरीर छोड़कर?’ मुद्दा यह नहीं है। बस वह यम के पास चला गया।

यम की प्रतीक्षा में नचिकेता ने बिताये तीन दिन

यम उस समय यमलोक में नहीं थे। वह घूमने गए हुए थे। उन्हें घर-घर जाना पड़ता है। तो वह घूमने गए हुए थे। नचिकेता पूरे तीन दिन तक इंतजार करता रहा। एक छोटा सा बालक भोजन-पानी के बिना यम के द्वार पर इंतजार करता रहा।

उस तरह का पक्का इरादा रखने वाला पांच साल का बालक, जो चॉकलेट या डिजनीलैंड की यात्रा जैसे लालच में नहीं पड़ा। वह सिर्फ ज्ञान चाहता था। तीन दिन बाद यम लौटे तो उन्होंने पूरी तरह थके और भूखे, मगर पक्के इरादे वाले इस छोटे से बालक को देखा। वह बिना हिले-डुले वहां बैठा हुआ था। वह भोजन की तलाश में इधर-उधर भी नहीं गया था। वह बस वहां बैठकर यम की प्रतीक्षा कर रहा था। यम इस बालक के पक्के इरादे से बहुत प्रभावित हुए, जो तीन दिन से प्रतीक्षा कर रहा था, वह भी बिना कुछ ग्रहण किए। वह बोले, ‘मुझे यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि तुम तीन दिन से मेरा इंतजार कर रहे हो। तुम्हें क्या चाहिए? मैं तुम्हें तीन वरदान देता हूं। बताओ, तुम क्या चाहते हो?’

नचिकेता ने पूछा मृत्यु के रहस्य के बारे में

नचिकेता ने सबसे पहले कहा, ‘मेरे पिता बहुत लालची हैं। वह सांसारिक सुख-सुविधाएं चाहते हैं। इसलिए आप उन्हें सारे भौतिक ऐशोआराम का आशीर्वाद दें। उन्हें राजा बना दीजिए।’ यम ने कहा ‘तथास्तु’। उसने दूसरा वरदान मांगा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि मुझे ज्ञान प्राप्त करने के लिए किस तरह के कर्मों और यज्ञों को करने की जरूरत है।’ वैदिक साहित्य में हमेशा यज्ञों की बात की जाती है। सारा वैदिक साहित्य ऐसा ही है – यज्ञों के बारे में। यम ने उसे सिखाया कि उसे क्या करना चाहिए।


फिर नचिकेता ने उनसे पूछा, ‘मृत्यु का रहस्य क्या है? मृत्यु के बाद क्या होता है?’ यम ने कहा, ‘यह प्रश्न तुम वापस ले लो। तुम मुझसे और कुछ भी मांग लो। तुम चाहो तो मुझसे एक राज्य मांग लो, मैं तुम्हें दे दूंगा। मैं तुम्हें धन-दौलत दे सकता हूं। मैं तुम्हें दुनिया के सारे सुख दे सकता हूं।’ वह बोलते रहे, ‘तुम मुझे बताओ, क्या चाहते हो। तुम मुझसे दुनिया की सारी खुशियां ले लो, मगर यह प्रश्न मत पूछो।’ नचिकेता ने कहा, ‘इन सब का मैं क्या करूंगा? आप पहले ही मुझे बता चुके हैं कि ये सब चीजें नश्वर हैं। मैं पहले ही समझ चुका हूं कि सारे क्रियाकलाप, लोग जिन चीजों में स‍ंलिप्त हैं, वे सब अर्थहीन हैं। वह सिर्फ दिखता है, वह हकीकत नहीं है। फिर मुझे और धन-दौलत देने का क्या लाभ? वह तो मेरे लिए सिर्फ एक जाल होगा। मैं कुछ नहीं चाहता, आप बस मेरे प्रश्न का उत्तर दीजिए।’

नचिकेता को हुई परम ज्ञान की प्राप्ति

यम ने इस सवाल को टालने की हर संभव कोशिश की। वह बोले, ‘देवता भी इस प्रश्न का उत्तर नहीं जानते। मैं तुम्हें नहीं बता सकता।’ नचिकेता ने कहा, ‘अगर ऐसा है, अगर देवता भी इसका उत्तर नहीं जानते और सिर्फ आप जानते हैं, तब तो आपको इसका उत्तर देना ही होगा।’

जब आप नचिकेता की तरह होते हैं, तो आपको किसी मार्ग की जरूरत नहीं होती। सब कुछ यहीं मिल जाता है। उसने अपनी जिद नहीं छोड़ी। यम एक बार फिर उसे वहीं छोड़कर महीनों के लिए घूमने चले गए। वह किसी तरह सिर्फ इस बालक से पीछा छुड़ाना चाहते थे। मगर बालक कई महीनों तक वहीं डटा रहा। कहा जाता है कि यम के द्वार पर ही उसे पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हुई। उसे अस्तित्व के सारे प्रश्नों के जवाब मिल गए और उसने खुद को विलीन कर दिया। वह प्रथम जिज्ञासु था। इसलिए हमेशा उसे एक आदर्श की तरह प्रस्तुत किया जाता है। उस तरह का पक्का इरादा रखने वाला पांच साल का बालक, जो चॉकलेट या डिजनीलैंड की यात्रा जैसे लालच में नहीं पड़ा। वह सिर्फ ज्ञान चाहता था।




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Comments Kajal rani on 16-05-2023

Nachikata ki vishasataya

Anju on 22-01-2022

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Ritesh kumar on 26-01-2021

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Nchiketa ka chritr chitrn kijiye

राम अनुज मिश्रा on 12-05-2019

Q 1 नचिकेता का चरित्र चित्रण कीजिये
Q. 2 पुत्र के दायित्व का पालन करते हुवे नचिकेता का चारित्रिक विशेषताएं लिखिए




सुधीर कुमार सिंह on 08-10-2018

नचिकेता का चरित्र चित्रण बतावें



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