Thos Apshisht Prabandhan Paribhasha ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परिभाषा

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परिभाषा



GkExams on 12-02-2019

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का संबंध अपशिष्ट पदार्थों के निकास से लेकर उसके उत्पादन व पुनः चक्रण द्वारा निपटान करने की देखरेख से है| अतः ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है: ठोस अपशिष्ट के उत्पादन का व्यवस्थित नियंत्रण, संग्रह, भंडारण, ढुलाई, निकास पृथ्थ्करण, प्रसंस्करण, उपचार, पुनः प्राप्ति और उसका निपटान |


नगरपालिका अपशिष्ट पदार्थ (MSW ) शब्द का प्रायः इस्तेमाल शहर, गाँव या कस्बे के कचरे के लिए किया जाता है जिसमे रोज़ के कचरे को इकठ्ठा कर व उसे ढुलाई के द्वारा निपटान क्षेत्र तक पहुंचाने का काम होता है| नगरपालिका अपशिष्ट पदार्थ (MSW) के स्त्रोतों में निजी घर, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानो और संस्थाओं के साथ साथ औद्योगिक सुविधाएं भी आती हैं | हालांकि, MSW औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकले कचरे, निर्माण और विध्वंस के मलबे, मल के कीचड़, खनन अपशिष्ट पदार्थों या कृषि संबंधी कचरे को अपने में शामिल नहीं करता है |नगरपालिका अपशिष्ट पदार्थों में विविध प्रकार की सामग्री आती है | इसमे खाद्य अपशिष्ट जैसे सब्जियाँ या बचा हुआ मांस, बचा हुआ खाना, अंडे के छिलके आदि ,जिसे गीला कचरा कहा जाता है ,और साथ ही साथ कागज़, प्लास्टिक, टेट्रापेक्स,प्लास्टिक के डिब्बे, अखबार, काँच की बोतलें, गत्ते के डिब्बे, एल्युमिनियम की पत्तियाँ, धातु की चीज़ें, लकड़ी के टुकड़े इत्यादि ,जिसे सूखा कचरा कहा जाता है ,जैसे अपशिष्ट पदार्थ आते हैं |


अपशिष्ट प्रबंधन निम्नलिखित गतिविधियों का समूह है :

  1. कचरे का संग्रह, ढुलाई,प्रशोधन व निपटान
  2. उत्पादन का नियंत्रण, देखरेख व व्यवस्थापन, अपशिष्ट पदार्थों का संग्रह, ढुलाई, प्रशोधन व निपटान ; और
  3. प्रक्रिया में संशोधन, पुनः उपयोग व पुनर्चक्रण द्वारा अपशिष्ट पदार्थ की रोकथाम

अपशिष्ट प्रबंधन शब्द सभी प्रकार के कचरे से संबंध रखता है चाहे वह कच्चे माल की निकासी के दौरान उत्पन्न हुआ हो, या फिर कच्चे माल के मध्य और अंतिम उत्पाद के प्रसंस्करण के दौरान निकला हुआ हो या अन्य मानव गतिविधियों जैसे नगरपालिका (आवासीय, संस्थागत व वाणिज्यक), कृषि संबंधी और विशेष (स्वास्थ्य देखभाल, खतरनाक घरेलू अपशिष्ट, माल का कीचड़) से संबंधित हो | अपशिष्ट प्रबंधन का अभिप्राय स्वास्थ्य, पर्यावरण या सौदर्यात्मक पहलुओं पर कचरे के प्रभाव को कम करने का है |


अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित मुद्दे निम्न हैं:

  1. कचरे का उत्पादन
  2. कचरा कम करना
  3. कचरे को हटाना
  4. कचरे की ढुलाई
  5. अपशिष्ट प्रशोधन
  6. पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग
  7. भंडारण, संग्रह, ढुलाई और स्थानातरण
  8. उपचार
  9. भराव क्षेत्र निपटान
  10. पर्यावरण महत्व
  11. वित्तीय और व्यापारिक पहलू
  12. नीति और अधिनियम
  13. शिक्षण और प्रशिक्षण
  14. योजना और कार्यान्वयन

अपशिष्ट प्रबंधन के साधन विभिन्न देशों (विकसित व विकासशील देश), प्रदेशों (शहरी और ग्रामीण क्षेत्र), व्यावसायिक क्षेत्रों (आवासीय और औद्योगिक) में एकसमान नहीं हैं |


शहरी और औद्योगिक कचरे के नियंत्रण के उपाय :


एक एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन के रणनीति के तीन मुख्य घटक निम्न हैं :

  1. कचरे की निकासी में कमी
  2. पुनर्चक्रण
  3. निपटान

भस्मीकरण ,नगरपालिका ठोस अपशिष्ट पदार्थों के जलाने की प्रक्रिया है जिसमें कचरे को सही प्रकार से बनाई गई भट्ठी में उचित तापमान व संचालन के तहत जलाया जाता है | भस्मीकरण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें अपशिष्ट पदार्थ के जलने वाले भाग को, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के संयोजन से बनी आक्सीजन को वातवरण में छोड़ देते हैं |

सीसा, पारा और आर्सेनिक खतरनाक पदार्थ हैं जो भारी धातुओं के तहत आते हैं | सीसा प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला वज़नी धातु है और इसे प्राप्त करना अपेक्षाकृत आसान है |इसका उपयोग बैटरी , ईंधन, कीटनाशकों, पैंट, पाइपों और अन्य दूसरे पदार्थों में किया जाता है ,जहां जंग से प्रतिरोध की आवश्यकता हो | ज़्यादातर सीसा लोगों व वन्य जीवों की हड्डियों में पाया जाता है | सीसा लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित कर उसकी आक्सीजन ले जाने के क्षमता को कम कर सकता है तथा लाल रक्त कोशिकाओं के जीवन काल को घटा सकता है | सीसा, तंत्रिका, ऊतकों को नष्ट कर सकता है जिससे कई मस्तिष्क रोग हो सकते है | पारा कई रूपों में पाया जाता है | पारे का प्रयोग, क्लोरीन के उत्पादन में किया जाता है | इसका प्रयोग प्लास्टिक के उत्पादन के मुख्य स्त्रोत के तौर पर भी किया जाता है | पारे के कारण औद्योगिक प्रक्रियाओं के द्वारा उत्पादित क्लोरीन व प्लास्टिक अधिकांश तौर पर पर्यावरण के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं | हमारे शरीर में पारे को हटाने की सीमित क्षमता है | भोजन श्रंखला में पारा अधिक संकेंद्रित हो जाता है क्यूंकि यह विभिन्न जीवों(जो कि बाद में मानव द्वारा खाए जाते हैं) ग्रहण किया जाता है | एक जलीय वातावरण में, प्लवक द्वारा पारे को अवशोषित किया जाता है जिसे बाद में मछ्ली द्वारा खाया जाता है | इसके अलावा, मछ्ली गलफड़ों के द्वारा व पारे से संक्रमित अन्य मछलियों को खाकर पारे को अपने अंदर ग्रहण करती है | वाईनिल क्लोराइड एक रसायन है जिसका इस्तेमाल व्यापक रूप से प्लास्टिक के निर्माण में किया जाता है | आमतौर पर लोग वाईनिल क्लोराइड के अत्यधिक ज्वलनशील स्तर को तभी पहचान पाते हैं जब वे इसके साथ या इसके पास काम करते हैं परंतु वाईनिल क्लोराइड गैस के लीक होने से भी जान को जोखिम हो सकता हैं | वाईनिल क्लोराइड जैसे रसायन के साथ लंबे समय(1-3 वर्ष ) तक रहने से मानव में बहरापन, दृष्टि समस्या, परिसंचरण विकार व हड्डियों में विकार जैसे रोग उत्पन्न हो सकते हैं |






सम्बन्धित प्रश्न



Comments मनीषा मरावी मनीषा मरावी on 24-01-2019

प्रश्न ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की परिभाषा व महत्व निम्नांकित बिन्दु पर दीजिए?





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment