Fatehpur Shekhawati History In Hindi फतेहपुर शेखावाटी हिस्ट्री इन हिंदी

फतेहपुर शेखावाटी हिस्ट्री इन हिंदी



Pradeep Chawla on 31-10-2018


उत्तर पूर्वी राजस्थान में शेखावाटी क्षेत्र के अंतर्गत कई गाँव और कस्बे आते है। शेखावाटी क्षेत्र की भौगोलिक सीमाएँ वर्तमान में झुंझूनूं, सीकर और चूरू जिले तक सीमित है। विक्रम संवत 1423 में कछवावंश के राजा उदयकरण आमेर के राजा बने व उनके पुत्रों के द्वारा शेखावत, नरुका व राजावत नामक शाखाओ का निकास हुआ।

राजा उदयकरण के तीसरे पुत्र बालाजी शेखावतों के प्राचीन पुरुष थे। जिनके पास बरवाडा की 12 गावों की जागीर थी। बालाजी के पुत्र मोकल जी हुए और विक्रम संवत 1490 में मोकल जी के पुत्र महान योद्धा महाराव शेखा जी का जन्म हुआ। जो कि शेखावाटी व शेखावत वंश के प्रवर्तक थे। विक्रम संवत 1502 में मोकल जी के निधन के बाद महाराव शेखा जी बरवाडा व नान के 24 गावों के मालिक बने। राव शेखा जी ने अपने साहस वीरता व सैनिक संगठन का परिचय देते हुए आस-पास के गाँवों पर धावा मारकर अपने छोटे राज्य को 360 गाँवों के राज्य में बदल दिया एवं नान के पास अमरसर बसा कर उसे अपनी राजधानी बनाया और शिखरगढ़ का निर्माण किया। राजा रायसल जी, राव शिव सिंह जी, शार्दुल सिंह जी, भोजराज जी, सुजान सिंह आदि वीरों ने स्वतंत्र शेखावत राज्यों की स्थापना की व बठोथ, पटोदा के ठाकुर डूंगर सिंह,जवाहर सिंह शेखावत ने भारतीय स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के विरूद्ध सशस्त्र संघर्ष चालू कर शेखावाटी में आजादी की लड़ाई का बिगुल बजाया।

सीकर का इतिहास व जानकारियाँ


रियासती युग में सीकर ठिकाना, जयपुर रियासत का ही एक हिस्सा था। सीकर की स्थापना 1687 ई. के आस पास राव दौलत सिंह ने की जहाँ आज सीकर शहर का गढ़ बना हुआ है। वह उस जमाने में वीरभान का बास नामक गाँव होता था।

सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर शेखावाटी आदि कस्बे अपनी भव्य हवेलियों के कारण प्रसिद्ध है। ये ओपन एयर आर्ट गैलरी के रूप में प्रसिद्ध हैं। सीकर ज़िला अनेक विख्यात उद्योपतियों की जन्म स्थली है। इन उद्योपतियों ने देश की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। बजाज, गोयनका, मोदी आदि जैसे प्रसिद्ध उद्योपतियों की जन्म स्थली इसी ज़िले में स्थित है।


1857 की क्रांति के समय अंग्रेज़ी राज के विरूद्ध जन चेतना जागृति करने वाले डूँगजी-जवाहर जी सीकर के बठोठ-पाटोदा के रहने वाले थे। लोठिया जाट व करणा भील डूँगजी जवाहर जी के साथी थे। इसी क्षेत्र में तांत्या टोपे ने 1857 की क्रांति के समय शरण प्राप्त की थी।गाँधी जी के 5वें पुत्र के नाम से प्रसिद्ध सेठ जमनालाल बजाज (काशी का बास) इसी ज़िले के रहने वाले थे।


ज़िले के गणेश्वर गाँव में हड़प्पाकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जहाँ प्रचुर मात्रा में ताँबे की वस्तुएँ प्राप्त हुईं। संभवत: ताँबे का निर्यात यहाँ से दूसरे केन्द्रों पर भी होता था।


सीकर जिले को राजस्थान का प्रथम हाइटेक ज़िला घोषित किया गया है। जिले का खण्डेला कस्बा अपने गोटे किनारी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।


वर्तमान में राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल का ससुराल सीकर जिले में है। यहीं जिला राज्य के प्रथम गैर काँग्रेसी मुख्यमंत्री श्री भैंरोसिंह शेखावत का गृह जिला है।


हर्ष, शाकम्भरी,गणेश्वर, खाटुश्यामजी व सिकराय यहाँ के प्रसिद्ध स्थल है।

चूरू का इतिहास एवं जानकारियाँ


रियासती युग में चूरु बिकानेर रियासत का हिस्सा था। कहते हैं कि चूरु की स्थापना चूहड़ा जाट ने 1620 ई. में की थी। जिसके नाम से इसका नाम चूरू पड़ा। ज़िले की उत्तरी-पूर्वी सीमा हरियाणा के हिसार ज़िले को छूती है। जलवायु की दृष्टि से यह जिला शुष्क रेगिस्तानी ज़िला है।

  • चूरु चंदन काष्ठशिल्प व चाँदी के बर्तन बनाने के लिये प्रसिद्ध है। सर्दी के मौसम में यह राज्य के सर्वाधिक ठंडे ज़िलों में गिना जाता हैं। वहीं गर्मी में राजस्थान का सर्वाधिक गर्म ज़िला है। यह राज्य का सबसे कम वन क्षेत्रफल वाला ज़िला है।
  • विश्व के प्रसिद्ध धन कुबेर तथा स्टील किंग के नाम से विख्यात लक्ष्मी निवास मित्तल भी मूलत: इसी ज़िले के राजगढ़ कस्बे के रहने वाले है। हनुमान प्रसाद पोद्दार(कल्याण के संस्थापक), खेमचंद प्रकाश(फिल्म संगीतकार), पं. भारत व्यास, कृष्ण पूनिया, देवेन्द्र झाझड़िया व बाबूलाल कथक जैसी हस्तियाँ यही से हैं।
  • शहर में सर्वधर्म सद्‌भाव का प्रतीक धर्म-स्तूप बना हुआ है जिसे लाल घण्टाघर भी कहते हैं। चूरू जिले का आमरापुरा गाँव संयुक्त राष्ट्र संघ की मिलेनियम योजना में चयनित किया गया है। ऐसा यह एशिया का प्रथम व विश्व का दूसरा गाँव है।
  • ददरेवा, सालासर, तालछापर, सुजानगढ़ यहाँ के प्रमुख स्थल हैं।

झुंझूनूं का इतिहास एवं जानकारियाँ


भौगोलिक दृष्टि से झुंझूनूं, शेखावाटी प्रदेश में अवस्थित है, जिसकी पूर्वी सीमा हरियाणा को स्पर्श करती है। 1460 ई. के आस पास झुंझा नामक जाट ने इसे बसाया था। दिल्ली में तुगलकों की सत्ता के पतन के पश्चात कायम खाँ के बेटे मुहम्मद खाँ ने इस इलाके पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।

  • झुंझूनूं में स्थित खेतड़ी महल का निर्माण खेतड़ी के महाराजा भोपाल सिंह (1735-1771 ई.) ने अपने ग्रीष्मकालीन विश्राम हेतु झुंझूनूं में कराया। भारत की ताम्र नगरी के नाम से विख्यात खेतड़ी भी झुंझुनूं में है। देश का एकमात्र ताँबा उत्पादक संस्थान 'हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड' खेतड़ी में है। खेतड़ी नरेश अजीतसिंह ने स्वामी विवेकानंद को विवेकानंद नाम दिया। जवाहर लाल नेहरू के पिता पंडित मितीलाल नेहरू की प्रारम्भिक शिक्षा भी खेतड़ी में हुई। खेतड़ी के निकट शिमला गाँव से शेरशाह सूरी का सम्बंध था।
  • पिलानी में तकनीकी शिक्षा के लिये बिट्स तथा केन्द्रीय इलेक्ट्रानिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) स्थित है। पिलानी बिड़ला औद्योगिक घराने का स्थान है।
  • राज्य के प्रथम परमवीर चक्र विजेता पीरू सिंह इसी जिले के निवासी थे। झुंझूनूं जिले की बेटी व फतेहपुर शेखावाटी की बहु मंजू गनेड़ीवाल को अमेरिका के वर्जिनिया राज्य की वित्तमंत्री नियुक्त किया गया है।
  • जिले का बख्तावरपुरा गाँव जल संरक्षण व स्वच्छता के मामले में आदर्श बन चुका है, जिसकी यात्रा सार्क देशों, अमेरिका, जिम्बाब्वे आदि के प्रतिनिधियों ने की। जिले के डूंडलोद कस्बे में राज्य का प्रथम गर्दभ (गधा) अभ्यारण स्थापित किया गया है। झुंझूनूं में सबसे कम गरीब ग्रामीण जनता 10.5%) रहती है। राजसमंद के पश्चात झुंझूनूं दूसरा न्यूनतम जनसँख्या वृद्धि दर (20.9%) वाला ज़िला है।
  • नवलगढ़ के पौद्दारों की हवेली, रूपनिवास महल, चौखानी परिवार की हवेली प्रसिद्ध है। महनसर में पौद्दारों की सोने की दुकान है, जिसमें भित्ति चित्रों पर सोने की पॉलिश की गई है। बिसाऊ, मण्डावा, अलसीसर, मलसीसर, डूंडलोद, मुकुन्दगढ़, चिड़ावा आदी कस्बों की हवेलियाँ अपने भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। मंडावा कस्बा शेखावाटी में सबसे अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • किरोड़ी में उदयपुरवाटी के दानवीर शासक टोडरमल और उनके वित्त मंत्री मुनशाह के स्मारक है। यहाँ केवड़े के दुर्लभ वृक्ष भी हैं।
  • लोहागर्ल, बाबा करूद्दिन शाह की दरगाह, राणीसती का मंदिर, मनसा माता का मंदिर व नवाबरुहेल खाँ का मकबरा अन्य प्रसिद्ध स्थल है। झुंझूनूं में ईश्वरदास मोती की हवेली, टीबेड़वाला की हवेलियाँ, चंचलनाथ का टीला, मेड़तणी बावड़ी, खेतान बावड़ी आदि अन्य दर्शनीय स्थल हैं।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Chetan Singh shekhawat on 15-12-2021

Please batayen Ki fatehpur ka naam fatehpur Kyon pada

Firoz khan chandkhani on 12-05-2019

Kya kya Kabhi Fatehpur mein Mugal Rajasthan Ya Koi Mugal tha





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