Vanon Ke Vinash Ke Mukhya Karan वनों के विनाश के मुख्य कारण

वनों के विनाश के मुख्य कारण



Pradeep Chawla on 20-10-2018

वनों के विनाश को रोकने में भारत सरकार के वर्ष 1983 के चिपको आंदोलन के साथ किए गए समझौते का खुला उल्लंघन कर एक हजार मीटर की ऊंचाई से वनों के कटान पर लगे प्रतिबंध को वर्ष 1994 में यह कहकर हटा दिया था कि हरे पेड़ों के कटान से प्राप्त धन से जनता के हक-हकूकों की आपूर्ति की जायेगी । वहीं वर्ष 1983 में चिपको आंदोलन के साथ हुए इस समझौते के बाद सरकारी तंत्र ने वनों के संरक्षण का दायित्व स्वयं उठाना था । इसके बावजूद भी टिहरी, उत्तरकाशी जनपदों में वर्ष 1983 से 1998 के दौरान गौमुख, जांगला, नेलंग, कारचा, हर्षिल, चौंरगीखाल, हरून्ता, अडाला, मुखेम, रयाला, मोरी, भिलंग आदि कई वन क्षेत्रों में कोई भी स्थान बचा नहीं था, जहाँ पर वनों की कटाई प्रारम्भ न हुई हो ।
वर्ष 1994 में वनों की इस व्यावसायिक कटाई के खिलाफ रक्षासूत्र आन्दोलन प्रारम्भ हुआ । पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वनों में जाकर कटान का अध्ययन किया था । यहाँ पर राई, कैल, मुरेंडा, खर्सू, मौरू, बांझ, बुरांस, के साथ अनेकों प्रकार की जड़ी-बूटियाँ एवं जैव विविधता मौजूद है । इस दौरान पाया कि वन विभाग ने वन निगम के साथ मिलकर हजारों हरे पेड़ों पर छपान (निशान) कर रखा था । वन निगम जंगलाें में रातों-रात अंधाधुंध कटान करवा रहा था । इस पर्यावरण दल ने इसकी सूचना आस-पास के ग्रामीणों को दी । सूचना मिलने पर गांव के लोग सजग हुए और जानने का प्रयास भी किया गया था कि वन निगम आखिर किसकी स्वीकृति से हरे पेड़ काट रहा है । इसकी तह में जाने से पता चला कि क्षेत्र के कुछ ग्राम प्रधानों से ही वन विभाग ने यह मुहर लगवा दी थी कि उनके आस-पास के जंगलों में काफी पेड़ सूख गये हैंऔर इसके कारण गांव की महिलाएं जंगल में आना-जाना नहीं कर पा रही हैं । दुर्भाग्यपूर्ण यह था कि जनप्रतिनिधि भी जंगलों को काटने का लिए हुए थे । अतएव ग्रामीणों को पहले अपने ही जनप्रतिनिधियों से संघर्ष करना पड़ा ।
इस प्रकार वन कटान को रोकने के संबंध में टिहरी-उत्तरकाशी के गांव थाती, खवाड़ा, भेटी, डालगांव, चौंडियाट गांव, दिखोली, सौड़, भेटियारा, कमद, ल्वार्खा, मुखेम, हर्षिल, मुखवा, उत्तरकाशी आदि कई स्थानों पर हुई बैठकों में पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधे जाने का निर्णय लिया गया था, जिसे रक्षासूत्र आन्दोलन के रूप में जाना जाता है । रक्षासूत्र आन्दोलन की मांग थी कि जंगलों से सर्वप्रथम लोगों के हक-हकूकों की आपूर्ति होनी चाहिये । साथ ही वन कटान का सर्वाधिक दोषी वन निगम में आमूल-चूल परिवर्तन करने की मांग भी उठायी गयी थी । इसके चलते ऊँचाई की दुर्लभ प्रजाति कैल, मुरेंडा, खर्सू, मौरू, बांझ, बुरांस, दालचीनी, देवदार आदि की अनेकों वन प्रजातियों को बचाने का काम रक्षासूत्र आन्दोलन ने किया ।




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Comments Rohit on 17-02-2022

वनों का ह्रास का सर्वप्रथम कारण है

Ram kripal singh on 28-02-2021

Bhartiya Van ke nasht hone ke pramukh Karan likhiye

Khirkumari majhwar on 24-01-2021

Van vinash ke karan point me


Jatin kumar on 27-11-2020

Banno ke Has Ke Karan likho

aaftab ansari on 27-11-2020

van binash ke mukhy karnoo ko likhiye,

Anjna ekka on 29-04-2020

Q.1.ban vinash ke kya karan hai

Khushi kumari on 23-01-2020

Bhartiya varnan ke Hara Ke Do Karan likhiye


वन संरक्षण on 21-01-2020

वन संरक्षण



केशव on 22-09-2018

वनों में विनाश के के कारण

jyoti on 12-05-2019

vano ke vinash ke karan

Vaisunavi on 04-10-2019

Vancha rasach karnay project

Antima sigh on 18-10-2019

Vinash ke Mukhya Karan AVN Uske Prabhav bataiye


Soni Yadav on 15-11-2019

Van Vinas k paridam

Mantsha on 26-11-2019

Van vinash ke pramukh karan kon kon se hai.

Manoj poddar on 30-11-2019

वनों के विनाश के कारण आंसर शॉर्टकट में

Red data Book kya hai on 08-12-2019

Read doctor book kya hai

Red data Book kya hai on 08-12-2019

Red data Book kya hai

Zainu on 14-12-2019

Junglo ke nasht hone ke 7 karak btaieye


Bharat mean van vinash ke kaaran on 23-12-2019

Bharat mean van vinash ke kaaran

वन संरक्षण on 21-01-2020

वन संरक्षण



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