Bharat Me Videshi Yatriyon Ka AaGaman भारत में विदेशी यात्रियों का आगमन

भारत में विदेशी यात्रियों का आगमन



GkExams on 03-02-2019


भारत पर प्राचीन समय से ही विदेशी आक्रमण होते रहे हैं। इन विदेशी आक्रमणों के कारण भारत की राजनीति और यहाँ के इतिहास में समय-समय पर काफ़ी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। भले ही भारत पर यूनानियों का हमला रहा हो या मुसलमानों का या फिर अन्य जातियों का, अनेकों विदेशी यात्रियों ने यहाँ की धरती पर अपना पाँव रखा है। इनमें से अधिकांश यात्री आक्रमणकारी सेना के साथ भारत में आये। इन विदेशी यात्रियों के विवरण से भारतीय इतिहास की अमूल्य जानकारी हमें प्राप्त होती है।

विभाजन

विदेशी यात्रियों एवं लेखकों के विवरण से भारतीय इतिहास की जो जानकारी मिलती है, उसे तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. यूनानी-रोमन लेखक
  2. चीनी लेखक
  3. अरबी लेखक

यूनानी लेखकों को भी तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

  1. सिकन्दर के पूर्व के यूनानी लेखक
  2. सिकन्दर के समकालीन यूनानी लेखक
  3. सिकन्दर के बाद के लेखक

यूनानी लेखक व यात्री

टेसियस और हेरोडोटस यूनान और रोम के प्राचीन लेखकों में से हैं। टेसियस ईरानी राजवैद्य था, उसने भारत के विषय में समस्त जानकारी ईरानी अधिकारियों से प्राप्त की थी। हेरोडोटस, जिसे इतिहास का पिता कहा जाता है, ने 5वीं शताब्दी ई. पू. में 'हिस्टोरिका' नामक पुस्तक की रचना की थी, जिसमें भारत और भारत 'सिबाइर्टिओस' के यहाँ महत्त्वपूर्ण अधिकारी के पद पर कार्यरत था। मैगस्थनीज़ ने 'इण्डिका' में भारतीय जीवन, परम्पराओं, रीति-रिवाजों का वर्णन किया है।

  • अन्य पुस्तकों में 'पेरीप्लस ऑफ़ द एरिथ्रियन सी‘, लगभग 150 ई. के आसपास टॉल्मी का भारत में अध्ययन किया। उसकी भारत यात्रा का वृत्तांत 'सी-यू-की' नामक ग्रंथ से जाना जाता है, जिसमें लगभग 138 देशों के यात्रा विवरण का ज़िक्र मिलता है। 'हूली', ह्वेनसांग का मित्र था, जिसने ह्वेनसांग की जीवनी लिखी। इस जीवनी में उसने तत्कालीन भारत पर भी प्रकाश डाला। चीनी यात्रियों में सर्वाधिक महत्व ह्वेनसांग का ही है। उसे 'प्रिंस ऑफ़ पिलग्रिम्स' अर्थात् 'यात्रियों का राजकुमार' कहा जाता है।

    इत्सिंग

    मुख्य लेख : इत्सिंग

    इत्सिंग 613-715 ई. के समय भारत आया था। उसने नालन्दा एवं भारत'। 'रशदुद्वीन' कृत 'जमीएत-अल-तवारीख़', 'अली अहमद' कृत 'चाचनामा', 'मिनहाज-उल-सिराज' कृत 'तबकात-ए-नासिरी', 'जियाउद्दीन बरनी' कृत 'तारीख़-ए-फ़िरोजशाही' एवं 'अबुल फ़ज़ल' कृत 'अकबरनामा' आदि।

यूरोपीय यात्री

16वीं - 17वीं शताब्दी के यूरोपीय यात्री
नामभारत आगमन का वर्ष
फ़ादर एंथोनी मोंसेरात1578 ई.
रॉल्फ़ फ़्रिंच1588 - 1599 ई.
विलियम हॉकिंस1608 - 1613 ई.
विलियम फ़िंच1608 ई.
जीन जुरदा-
निकोलस डाउटंन1614 ई.
निकोलस विथिंगटन-
थॉमस कोर्यात-
थॉमस रो1616 ई.
एडवर्ड टैरी-
पियेत्रा देला वाले1622 ई.
फ़्रांसिस्को पेलसार्ट-
जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर-
फ़्राँसिस वर्नियर1658 ई.

यूरोपीय यात्रियों में 13 वी शताब्दी में 'वेनिस' (इटली) से आये से सुप्रसिद्व यात्री मार्को पोलो द्वारा दक्षिण के पाण्ड्य राज्य के विषय में जानकारी मिलती है।

अन्य विदेशी यात्री

कुछ अन्य विदेशी यात्रियों का विवरण इस प्रकार से है-

इब्न बतूता

मुख्य लेख : इब्न बतूता

इब्न बतूता एक विद्वान अफ़्रीकी यात्री था, जिसका जन्म 24 फ़रवरी 1304 ई. को उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश के प्रसिद्ध नगर 'तांजियर' में हुआ था। इब्न बतूता का पूरा नाम था, 'मुहम्मद बिन अब्दुल्ला इब्न बतूता'। इब्न बतूता 1333 ई. में सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के राज्यकाल में भारत आया। सुल्तान ने इसका स्वागत किया और उसे दिल्ली का प्रधान क़ाज़ी नियुक्त कर दिया।

बर्नियर

मुख्य लेख : बर्नियर

बर्नियर का पूरा नाम 'फ़्रेंसिस बर्नियर' था। ये एक फ़्राँसीसी विद्वान डॉक्टर थे, जो सत्रहवीं सदी में फ्राँस से भारत आए थे। उस समय भारत पर मुग़लों का शासन था। बर्नियर के आगमन के समय मुग़ल बादशाह शाहजहाँ अपने जीवन के अन्तिम चरण में थे और उनके चारों पुत्र भावी बादशाह होने के मंसूबे बाँधने और उसके लिए उद्योग करने में जुटे हुए थे। बर्नियर ने मुग़ल राज्य में आठ वर्षों तक नौकरी की। उस समय के युद्ध की कई प्रधान घटनाएँ बर्नियर ने स्वयं देखी थीं।






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Sintu kumar on 11-08-2022

wasko digama kon tha

Deepak Kumar Pandit on 05-07-2019

Iran se Bharat aane Wale yatri ka name Kya hai





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment