Sankramak Rogon Se Bachav संक्रामक रोगों से बचाव

संक्रामक रोगों से बचाव



Pradeep Chawla on 13-10-2018

संक्रामक रोग किसी को भी और कभी भी हो सकते हैं। संक्रामक रोगों के फैलने का सबसे अनुकूल मौसम वर्षा का है। इस समय हर तरफ सडऩ व सीलन होती है इसलिए रोगाणु-विषाणु खूब पनपते हैं। आदमी मौसम की मार से काफी त्रस्त होता है इसलिए शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कुछ कम हो जाती है। ऐसे में रोगाणु-विषाणु के हमले का वह शीघ्र ही शिकार हो जाता है। अगर हम सावधानी बरतें तो काफी हद तक इनसे बच सकते हैं। - जब शरीर मजबूत होगा तो रक्षात्मक शक्ति भी अधिक होगी और रोगाणु शरीर का कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे। इसके लिए हमें स्वास्थ्य को बेहतर करना होगा और पोषण पर जोर देना होगा। - पानी खूब पिएं लेकिन स्वच्छ पिएं। कुछ संक्रामक रोग, जैसे दस्त, पेचिश, हैजा, मियादी बुखार, पीलिया तथा पोलियो अशुद्ध पानी द्वारा भी होते हैं। - सेब, अनार, संतरा, पपीता, केला आदि ताजे फल खाने चाहिए और गाजर, मटर, लोबिया, मूंग की दाल, गोश्त (मीट), चिकनसूप तथा मछली भी खानी चाहिए। इनसे आपको विटामिन ए. सी. ई.

जिंक आयरन, आयोडीन, सीलिनियम, प्रोटीन इत्यादि मिलेंगे और प्रतिरक्षण क्षमता बढ़ेगी। - दूध पीने से कैल्शियम और विटामिन डी की पूर्ति होती है किंतु रात को सोते समय न पिएं क्योंकि मुंह में उपस्थित रोगाणु रात में पनपते हैं और पायरिया रोग उत्पन्न कर सकते हैं। दूध रात को पिएं तो दूध पीकर ठीक से कुल्ला कर लें। - दही खाइए।

इससे लैक्टोबेसिलाइ आंतों में पहुंचकर रक्षा का कार्य करेंगे। - शहद और नींबू का रस मिलाकर पीजिए। ताजगी आयेगी और बलगम भी साफ होगा। - मुलेठी चूसिए।

यह शरीर में इन्टरफेरोन की मात्र बढ़ाती है जो विषाणु (वायरस) से लडऩे के लिए उपर्युक्त होता है। - मुनक्का, चीकू, जंगल जलेबी खाएं, पीलिया से बचें। - समय पर भोजन कीजिए। पाचन शक्ति ठीक काम करेगी, स्वास्थ्य ठीक रहेगा और रोगाणु के हमले से बचे रहेंगे।

- भोजन करने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह जरूर धो लें क्योंकि हाथों में रोगाणु हो सकते हैं। - नियमित रूप से बाल कटवाएं, शेविंग कराएं, और बढ़े हुए नाखूनों को काटें। इनमें रोगाणु छिपे होते हैं और कई तरह के संक्रामक रोग फैल सकते हैं। - रोजाना ठंडे पानी से स्नान करें, इससे त्वचा साफ तो रहती ही है, रक्त की श्वेत कोशिकाएं भी अधिक बनती हैं, जो संक्रामक रोगों से हमारी रक्षा करती हैं।

- हल्की कसरत नियमित करें। रक्षात्मक शक्ति बढ़ेगी। - दांतों व मसूड़ों की सफाई के लिए रोजाना ब्रश या दातुन करें। सोते समय मुंह की सफाई अवश्य करें।

- टीकाकरण:- कुछ संक्रामक बीमारियों के लिए टीके बनाए गए हैं, जिनको ठीक समय पर लगवा लेने से कुछ बीमारियों की संभावना खत्म हो जाती हैं जैसे- - पोलियो के ड्राप्स। - खसरा गम्स तथा जर्मन खसरा लिए एम. एम. आर का टीका।

- मियादी बुखार, हेपेटाइटिस-बी तथा रेबीज के लिए कुछ विशेष टीके। - देखा गया है कि स्तनपान पर निर्भर बच्चों में संक्रामक रोग कम होते हैं। इसका कारण है मां के दूध में अनेक रक्षात्मक पदार्थों का पाया जाना,जैसे लाइसोजोइम, इंटरफेरोन, रोटा वायरस, एंटीबॉडीज इत्यादि। - कहते हैं मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है।

मां के दूध से वंचित बच्चों में दस्त, खसरा, बुखार, निमोनिया व कुपोषण अधिक होते हैं और मृत्यु दर भी ऐसे बच्चों की अधिक होती है। पृथक्करण (अलग करना) सभी रोगियों से छुआछूत बरतना ठीक नहीं अंपितु निम्नलिखित मरीजों को अलग रखा जाना उचित है जैसे चेचक, खसरा, मम्प्स, टीबी, काली खांसी, कोढ़, मियादी बुखार, टिटनेस, प्लेग, हैजा आदि। स्वच्छता प्रबंध:- यदि स्वच्छ भोजन, स्वच्छ पानी व स्वच्छ वातावरण मिले, तो संक्रामक रोग फैलने की संभावना ही नहीं होती। इसके लिए हमें चाहिए कि कूड़ा-कचरा इकटठा न होने दें।

मक्खियों को कीटनाशक पदार्थ छिड़क कर मार दें क्योंकि ये कई तरह के संक्रामक रोग जैसे दस्त, हैजा, टायफाइड, पोलियो, टेऊकोमा इत्यादि फैलाती हैं। भोजन को ढक कर रखें और खासतौर पर मीट को साफ रखें और अच्छी तरह पका कर खायें। इसके अतिरिक्त पीने के पानी की सफाई पर अधिक ध्यान दें क्योंकि टायफाइड, पेचिश, पीलिया, दस्त, पोलियो और अन्य कई रोग पानी के द्वारा ही फैलते हैं। पानी को रोगाणु रहित करने के लिए उपयोग लाने से पूर्व पानी को उबाल लें अर्थात 100 डिग्री सेंटीग्रेेड तक गर्म करें।

कुछ रसायनिक पदार्थो द्वारा या फिर फिल्टर के इस्तेमाल से भी पानी को शुद्ध किया जा सकता है। - पेड़ पौधे प्राकृतिक प्रदूषण निरोधक और रोगों से लडऩे में हमारी मदद करते हैं इसलिए हमें चाहिए कि पेड़ न काटें बल्कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए और उनसे लाभ उठाएं। - टी. बी के मरीज इधर-उधर न थूकें बल्कि किसी डिब्बे में (जिसमें रासायनिक पदार्थ या राख हो) थूकें।

- साल में एक बार घर की चूने से पुताई करायें। कुछ रोगाणु दीवारों पर या कोनों में अपना अड्डा बना लेते हैं। - भीड-भाड़ से दूर रहें। इससे वायु या सांस द्वारा फैलने वाली संक्रामक बीमारियां जैसे-जुकाम, फ्लू, मम्स, काली खांसी, टी बी इत्यादि बीमारियां आपको चपट में नहीं लेंगी।

इसके अलावा कुछ संक्रामक रोग प्लेग, जैसे खसरा, फल्का माता, जुकाम, फ्लू, आई-फ्लू, मम्प्स, फोड़े फुंसी आदि भी एक व्यक्ति से दूसरे को होते हैं। - धूम्रपान न करें। यह श्वसन तंत्र की ताकत को कम करता है। - यूं तो धूप शरीर की त्वचा के रोगाणु व फफूंद को साफ करती है, फिर भी ज्यादा समय धूप में न रहें और तेज धूप व लू से बचें।

इससे रक्षात्मक शक्ति कम होती है। - तनाव से बचें। तनाव हमारी रक्षात्मक शक्ति को कम करता हैं। - मच्छरों से बचें।

ये डेंगू, येलो फीवर, मलेरिया, फाइलेरिया आदि संक्रामक रोग फैलाते हैं। इनसे बचने के लिए मच्छरदानी में सोयें या मच्छर निरोधक का इस्तेमाल करें। सीलन वाले स्थानों पर ज्यादा देर न रूकें। वहां मच्छर ज्यादा होते हैं।

बुखार होने पर अपने चिकित्सक से फौरन इलाज करवाएं। - इन्जेक्शन लगवाने से पूर्व सावधानी बरतें और रोगाणु रहित सुई और पिचकारी का इस्तेमाल करें। - उपयोग की हुई इन्जेक्शन की सुइयों से बचें। इनसे एड्स, हेपेटाइटिस-बी आदि रोग फैलते हैं।

- लोहा चुभ जाने या कट जाने पर टिटनेस का टीका जरूर लगवा लें - अपने इरादे और शक्ति को बनाए रखें। इससे शक्ति (स्टेमिना) बढ़ती है और बीमार पडऩे की संभावना कम होती है। - फिर भी यदि संक्रमण हो ही जाता है तो जल्दी उसका उपचार कराना चाहिए। जल्दी उपचार कराने से रोग भी जल्दी और आसानी से ठीक हो जाता है और ज्यादा कमजोरी भी नहीं आती।




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Comments Saskhi on 02-02-2020

Sahi sa hai hi nhi line to line likhna hai





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