Gehun Me Lagne Wale Rog गेहूं में लगने वाले रोग

गेहूं में लगने वाले रोग



GkExams on 14-01-2019

गेहू के प्रमुख रोग और उनकी लक्षण एवं पहचान इस प्रकार है .1 )आल्टरनेरिया ब्लाइट यह रोग उच्च आर्द्रता,अच्छी सिंचाई और तापमान 22 डि. से 28 डि. इस बीमारी के लिए अनुकूल है।आरम्भ में पत्ते में धब्बे दिखाई पड़ते है।धब्बे छोटे,गोल और बेंगनी रंग के होते है।बाद में धब्बों का आकार बढ़ जाता है और अनियमित रूप से बिखर जाते है। निचले पत्ते झड़ जाते है।2) आल्टानेरिया पत्ती अंगमारी इस रोग में आरंभ में पत्तियों के ऊपरी हिस्से पर गोल धब्बे दिखाई पड़ते है।ये धब्बे अनियमित रूप से फैले होते है।धब्बे भूरे से काले रंग के होते है।ऊतकक्षयी क्षेत्र चमकीले पीले रंग से घिरा रहता है।धब्बे बड़े होकर मिल जाते है और बड़े धब्बे बन जाते है।काला चुर्ण पदार्थ कॉनीडिया और कॉनीडिया फॉर विकसित हो जाते है।इसी तरह के लक्षण बाली,पत्तियों पर दिखाई पड़ते है। 3)पीला सड़न यह रोग कीटों से भी फैलता है यह जीवाणु एनगुवीना ट्राइटीसी से सम्बन्ध है।बवालियों पर पीले पदाथै जमा हो जाता है।पदार्थ सूखने पर सफेद हो जाती है।बाद की बालियां चिपचिपे पदार्थ की तरह आती है।4)तुषाभ सड़न और जीवाणुपत्ती अंगमारी यह रोग नमी युक्त क्षेत्रों में होता है।रोग बीज,कीट और वारिश से फैल सकता है।पत्ते, तने और फली पर गहरे हरे रंग के धब्बे दिखाई पड़ते है।बाद में धब्बे गहरे भूरे से काले हो जाते है।यदि मौसम गीला हो तो एक सफेद सा स्राव नजर आता है।5) सूटी मोल्ड यह रोग नमी,बारिश वाले क्षेत्रों में होता है।एफिड के आक्रमण से यह रोग होता है।फफूंद के इकटठा होने से फली काली पड़ जाती है।6)भुरे गेरूआ रोग यह रोग ट्रोपिकल क्षेत्रों में ज्यादा होता है।उपज में काफी कमी हो जाती है।धब्बे पत्ती के ऊपरी हिस्से पर दिखाई देते है।धब्बे गोल या अण्डाकार होते है।धब्बे न तो फैलते है न ही मिलते है।धब्बे पत्ती के ऊपरी भाग में पाये जाते है।7)गेहूँ का अरगट रोग सूखी रेती मिट्टी, कम तापमान और नमी इस रोग के लिए अनुकूल है।फफूंद मिट्टी या पौधे के अवशेषों में रहती है।खेत जहाँ अनाज काफी समय से उगाया जाता है वहाँ इस रोग का प्रभाव होता है।आधार पर्णच्छद पर धब्बे दिखाई पड़ते है।रोग से पौधा टुट सकते है और पौधे की संख्या में कमी आ जाती है।8)करनाल बंट दाने का रंग काला पड़ जाता है।बीजाणु हवा से बिखर जाते है।अधिक संक्रमण होने पर दाना खाने योग्य नहीं रहता।9)अनावृत कंड ठन्डा व नमी वाला मौसम इस रोग के लिए अनुकूल है।कलियों के गुच्छों पर प्रभाव पड़ता है।यह रोग पौधे की किसी भी अवस्था में लग सकता है।यह बीज जनित रोग है।कलियों का पूरा गुच्छा रोग से प्रभावित रहता है।रेचीस को छोड़कर पूरा गुच्छा काले बारीक पदार्थ में बदल जाता है। .एकीकृत रोग प्रभंदन अपनाने से गेहू के यह रोग नियंत्रित किये जा सकते है




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Arvind Yadav on 13-04-2020

कंडुआ रोग

Devendra kushwahw on 15-01-2020

Java ki phasel melegna vale sabhl Togo ki jankari

Rahul mahara on 12-05-2019

Podho Ma paai jaana vala rogh or un ka upchair


neha kumari on 12-05-2019

fasal me paye jane wale rog ka naam

gehoon me lagne wale rog ka name on 22-01-2019

gehoon me lagne wala rog ka name





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