Blood Pressure Naapne Ka Tarika ब्लड प्रेशर नापने का तरीका

ब्लड प्रेशर नापने का तरीका



GkExams on 10-02-2019

ब्लड प्रेशर की जांच कैसे की जाती हैं ? Steps of Measuring Blood pressure in Hindi

  • सबसे पहले व्यक्ति (रोगी) के बाए (Left) हाथ पर BP मशीन का कफ बांधे। कफ इस तरह बांधे के कफ का निचला हिस्सा कोहनी (Elbow) से थोड़ा सा ऊपर ख़त्म होगा। कफ बेहद टाइट या बेहद ढीला बंधा नहीं होना चाहिए। कफ इस तरह बांधे की कफ को लगी दो नली व्यक्ति के हाथ के अंदर की ओर यानि शरीर के साइड में होनी चाहिए। 
  • रोगी का हाथ और BP की मशीन दोनों समांतर होना चाहिए। रोगी खड़ा और BP मशीन निचे या BP मशीन ऊपर और रोगी निचे बैठा हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए। 
  • अब स्टेथोस्कोप को कान में लगाकर रोगी के कोहनी के ऊपर diaphragm को रखे। 
  • BP मशीन के बॉल के वाल्व को घुमाकर टाइट करे और बॉल को दबाते हुए BP की मशीन का प्रेशर बढ़ाये। जिस प्रेशर पर आपको कोहनी में  pulse का आवाज स्टेथोस्कोप से सुनना बंद हो जाये उससे 10 अंक अधिक तक प्रेशर को बढ़ाये।  
  • अब वाल्व को धीरे से थोड़ा ढीला करे और BP की मशीन का प्रेशर कम करे। 
  • BP की मशीन में पारा (Mercury) के जिस अंक पर पहली बार आपको स्टेथोस्कोप से pulse की आवाज सुनाई देंगी वह नोट करे। इसे ऊपर का ब्लड प्रेशर यानि Systolic Blood pressure कहा जाता हैं। 
  • अब धीरे-धीरे बॉल का वाल्व को घुमाकर ढीला करते रहे और जब Pulse की आवाज सुनायी देना बंद कर देती है वह अंक नोट करे। इसे निचे का BP यानि Diastolic blood pressure कहा जाता हैं। 
  • अंत में पूरा वाल्व खोल दे और कफ को दबाकर पूरी हवा निकाल दे। 
  • अगर आपके पास स्टेथोस्कोप नहीं है तो आप BP मशीन और हाथ से केवल आप ऊपर का BP जांच सकते हैं। इसके लिए कलाई पर हाथ रख नस का परिक्षण करे और प्रेशर बढाकर कम करते समय जब आपको उंगली से कलाई में नस का एहसास पहली बार होता हैं वह ऊपर का BP हैं।  

ब्लड प्रेशर की जांच करते समय किन बातों का ख्याल रखे ? Things to remember while measuring Blood Pressure in Hindi

  • किसी भी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर तुरंत नहीं लेना चाहिए। व्यक्ति को पहले 5 मिनिट शांति से लेटने दे और उसके बाद ही ब्लड प्रेशर जांचे। ब्लड प्रेशर लेते समय व्यक्ति शांत और संतुलित होना चाहिए। कोई व्यायाम, सीढ़ी चढ़ना, तेज चलना, तनाव या घबराहट के कारण भी कभी-कभी थोड़े समय की लिए ब्लड प्रेशर काफी बढ़ जाता हैं। 
  • स्टेथोस्कोप से आपको आवाज न आये तो इसे निचे से diaphragm को घुमाकर देखे, diaphragm पर स्पर्श करने से कान में आवाज आना चाहिए तब उसे चालू समझे।  
  • व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 14090 mmHg से अधिक या 9060 mmHg आने पर 3 बार BP जांचे और तीनों का average निकाले। एक सामान्य वयस्क व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 12080 mmHg रहता हैं। 
  • व्यक्ति के दोनों हाथों में ब्लड प्रेशर की जांच करे और जिस हाथ में अधिक ब्लड प्रेशर आता है वह सही ब्लड प्रेशर मानना चाहिए। 
  • समय-समय पर ब्लड प्रेशर की मशीन और स्टेथोस्कोप सही है या नहीं या इनमे कुछ गड़बड़ी हैं इसकी डॉक्टर से दिखाकर जांच कराये।   
  • अगर व्यक्ति का BP 14090 mmHg या इससे अधिक है या 9060 mmHg या इससे कम है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। Hg का मतलब होता है Mercury और mmHg का मतलब मरक्युरी कितने मिलीमीटर ऊपर हैं। 
  • डिजिटल मशीन में BP जांचना आसान होता है। इसमें केवल ऊपर दिए हुए तरीके से आपको केवल कफ बांधना है और मशीन चालू करना होता हैं। Start दबाने पर मशीन अपने आप कफ में हवा भरता है और धीरे-धीरे प्रेशर कम करता हैं। अंत में मशीन में आपका BP दर्शाता हैं। अगर आपको सामान्य मशीन से BP करने में दिक्क्त होती है तो आप बेसिक डिजिटल BP की मशीन ले सकते है जो 2500 से 5000 तक आती है। इस मशीन में BP 10 से 20 अंक तक कम-ज्यादा दिखाता हैं।  
  • सिस्टोलिक रक्तचाप पारा, 90 और 120 मिलिमीटर के बीच होता है।
  • डायालोस्टिक रक्तचाप पारा, 60 से 80 मिलिमीटर के बीच होता है।
  • वर्तमान दिशा-निर्देशों के मुताबिक सामान्य रक्तचाप 120/80 होना चाहिए।
  • रक्तचाप की जांच कितनी बार करनी है इसके लिए डाक्टर से सलाह लें।

रक्तचाप अर्थात ब्लड प्रेशर, रक्तवाहिनियों में बहते रक्त द्वारा वाहिनियों की दीवारों पर डाले गये दबाव को कहा जाता है। किसी स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का सिस्टोलिक रक्तचाप पारा, 90 और 120 मिलिमीटर के बीच होता है। सामान्य डायालोस्टिक रक्तचाप पारा, 60 से 80 मिलिमीटर के बीच होता है। कई स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञ 120/80 को सामान्‍य रक्‍तचाप मानते हैं।



रक्‍तचाप के सामान्‍य से अधिक होने को उच्‍च रक्‍तचाप और नीचे होने को निम्‍न रक्‍तचाप कहा जाता है। रक्‍तचाप यदि सामान्‍य न हो, तो इससे व्‍यक्ति को कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍यायें हो सकती हैं। इसलिए इसे समय-समय पर मापते रहना जरूरी होता है। रक्तचाप को मापने वाले यंत्र को रक्तचापमापी या स्फाइगनोमैनोमीटर कहते हैं। जरूरी नहीं कि आप रक्तचाप की जांच कराने के लिए अस्पताल या डॉक्‍टर के पास ही जायें। रक्तचाप मापने वाले कुछ नवीन उपकरणों व सही जानकारी की मदद से आप घर पर ही अपने रक्तचाप को जांच सकते हैं। तो चलिए आज इस विषय पर थोड़ा विस्तार में बात करते हैं और आपको रक्तचाप, इसकी जांच और इससे संबंधित सभी पहलुओं की विस्तृत जानकारी देने का प्रयास करते हैं।



रक्तचाप क्या है

दरअसल धमनियां वह नलिकाएं हैं जो रक्त को पंप कर रहे हृदय से इसे शरीर के सभी ऊतकों और इंद्रियों तक ले जाती हैं। हृदय, रक्त को धमनियों में पंप करके धमनियों में रक्त के प्रवाह को ठीक करता है और इस पर लगने वाले दबाव को ही रक्तचाप कहा जाता है। किसी व्यक्ति का रक्तचाप, सिस्टोलिक / डायास्टोलिक कहा जाता है। जैसे 120/80 सिस्टोलिक अर्थात ऊपर की संख्या धमनियों में दबाव को बताती है। इसमें हृदय की मांसपेशियां संकुचित होकर धमनियों में रक्त को पंप करती हैं। डायालोस्टिक रक्त चाप अर्थात नीचे वाली संख्या धमनियों में उस दाब को दर्शाती है जब मांसपेशियों में संकुचन के बाद हृदय की मांसपेशियां शिथिल हो जाती है। रक्तचाप हमेशा उस समय ज्यादा होता है जब हृदय रक्त को पंप कर रहा होता है बनिस्बत जब कि वह शांत होता है।


रक्तचापमापी

रक्तचाप नापने वाले उपकरण को रक्तचापमापी (Sphygmomanometer) कहते हैं। यह दो प्रकार की होता है। आजकल, कई फार्मेसियों, केमिस्‍ट और कुछ इंटरनेट साइटों पर आपको घर पर उपयोग की जाने वाली रक्तचापमापी आसानी से उपलब्‍ध होती है। सभी रक्तचापमापियों में कुछ सामान्य भाग होते हैं, जैसे एक हवा वाला कफ या पट्टा, गेज (पैमाना) और कभी-कभी एक स्टेथोस्कोप (रक्तचापमापी के प्रकार पर निर्भर करता है)।


मैनुअल रक्तचापमापी

इसमें दाबमापी यंत्र के साथ-साथ एक आला की भी जरूरत पड़ती है। इसे इस्तेमाल करने के लिए इसके प्रयोग का सही प्रशिक्षण होना जरूरी होता है, नहीं तो रक्तचाप के गलत आंकड़े होने की आशंका रहती है।


आटोमटिक रक्तचापमापी

आटोमटिक रक्तचापमापी में सब कुछ जैसे, फुलाना, रक्त-संचार का अनुभव करना आदि खुद-ब-खुद ही होता है और ये रक्तचाप की माप बताती है। ये रक्तचापमापी डिजिटल या यांत्रिक प्रकार की हो सकती है।




कैसे करते हैं रक्तचापमापी का प्रयोग

मैनुअल रक्तचापमापी में एक पंप होता है, जिससे रबर की एक नलिका लगी रहती है। यह नलिका आगे चलकर दो भागों होते हैं, इसके एक भाग का में पारे वाला यंत्र जुड़ा रहता है। इसमें बेंड को हाथ (बाइसेप्स) पर कस कर बांध दिया जाता है और फिर पंप से हवा भरी जाती है। और ठीक उसी समय स्टेथस्कोप से स्पंदन के समय की ध्वनि सुनी जाती है। जब बेंड में हवा का दबाव धमनीगत रक्तचाप से अधिक हो जाता है, तब धमनी दब जाती है और आवाज सुनाई नहीं देती, जिस वजह से पारे वाले यंत्र में भी कंपन नहीं दिखता। अब पंप के पेंच को ढीला करके बेंड से हवा धीरे धीरे निकाल लेते हैं। इस समय जैसे ही स्टेथस्कोप से आवाज सुनाई दे यंत्र पर लगे पैमाने पर पारे की रीडिंग देख ली जाती है।



ये रीडिंग सिस्टोलिक रक्तचाप होता है। अधिक हवा निकालने से आवाज तेज होती जाती है और फिर धुंधली हो जाती है, बाद में यह बंद ही हो जाती है। आवाज के एकदम बंद होने के पहले धुंधली आवाज के समय परो वाले यंत्र की रीडिंग ले ली जाती है। यही डायास्टोलिक रक्तचाप की रीडिंग होती है। हालांकि आटोमटिक रक्तचापमापी में झंझट थोड़े कम होते हैं, लेकिन इसकी रिडिंग कई बार गड़बड़ हो सकती है। हालांकि, अब अधिकतर डॉक्‍टर भी ऑटोमैटिक मशीन का ही उपयोग करना ही पसंद करते हैं।



इन बातों का रखें विशेष ध्यान

आपको रक्तचाप की जांच कितनी बार करनी है इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें। हमेशा यह याद रखें कि कुछ कारक रक्तचाप को अस्थायी रूप से बढ़ा सकते हैं। सामान्य रूप से रक्तचाप तनाव, धूम्रपान, ठंडे तापमान, भारी व्यायाम, पेट अधिक भरने, भरे हुए मूत्राशय, कैफीन व कुछ दवाओं आदि के कारण बढ़ता है। इसलिए रक्तचाप मापने से पहले इन कारकों से बचें। इसके अलावा हर बार तय समय पर ही रक्‍तचाप मापने का प्रयास करें।



साथ ही जांच से पहले कम से कम पांच मिनट के लिए आराम करें। देर तक चलने, सीढ़ियां चढ़ने व दौड़ने के तुरंत बाद जांच कराने पर बल्डप्रेशर बढ़ा हुआ आता है। ध्यान रखें कि जांच के समय कुर्सी पर आराम से बैठें और पैर जमीन पर ठीक से रखें हों, तथा बांह और रक्तदाब मापक-यंत्र ठीक ऊंचाई पर हो। रक्तदाब मापक यंत्र के बांह पर बांधे जानेवाले कफ की चौड़ाई बाजू की मोटाई के हिसाब से होनी चाहिए। कफ इतना चौड़ा होना चाहिए कि बांह का लगभग तीन-चौथाई घेरा उसमें आ जाए। रक्तचाप मापने के लिए हमेशा जांचा हुआ यंत्र ही प्रयोग में लाना चाहिए।





घर पर रक्तचाप मापने के बेहतर परिणाम: शोध

रक्तचाप संबंधी बीमारियों के एक विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि उच्च रक्तचाप की निगरानी घरेलू स्तर पर की जाए तो इससे काफी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। शोधों में भी में पाया गया है कि ऐसे 10 से 20 प्रतिशत लोग जिनका चिकित्सक के द्वारा अस्पताल मे रक्तचाप नापा गया, वे बाहर बिल्कुल सामान्य रहते हैं। ठीक इसी प्रकार ऐसे भी लोग हैं जिनका रक्तचाप चिकित्सक के सामने तो ठीक रहता है लेकिन बाहर वह खतरनाक ढ़ंग से बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार घर पर जांच का फायदा यह है कि वह कई अलग-अलग समयों पर की जा सकती है।



रक्‍तचाप जांच करने की मशीन की कीमत भी किफायती होती है और साथ ही इससे आप बार-बार डॉक्‍टर के पास जाकर जांच करवाने के झंझट से भी बच जाते हैं। किसी आपात स्थिति में सही समय पर रक्‍तचाप की जांच कई गंभीर समस्‍याओं से समय रहते बचा सकती है।






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