Vote Dalne Wali Machine वोट डालने वाली मशीन

वोट डालने वाली मशीन



GkExams on 07-02-2019

स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव किसी भी देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए महत्‍वपूर्ण होते हैं। इसमें निष्पक्ष, सटीक तथा पारदर्शी निर्वाचन प्रक्रिया में ऐसे परिणाम शामिल हैं जिनकी पुष्टि स्वतंत्र रूप से की जा सकती है। परम्परागत मतदान प्रणाली इन लक्ष्य में से अनेक पूरा करती है। लेकिन फर्जी मतदान तथा मतदान केन्द्र पर कब्जा जैसा दोष पूर्ण व्यवहार निर्वाची लोकतंत्र भावना के लिए गंभीर खतरे हैं। इस तरह भारत का निर्वाचन आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार का प्रयास करता रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के दो प्रतिष्ठानों भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड, बंगलौर तथा इलेक्ट्रानिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद के सहयोग से भारत निर्वाचन आयोग ने ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) की खोज तथा डिजायनिंग की।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल भारत में आम चुनाव तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव में आंशिक रूप से 1999 में शुरू हुआ तथा 2004 से इसका पूर्ण इस्तेमाल हो रहा है। ईवीएम से पुरानी मतपत्र प्रणाली की तुलना में वोट डालने के समय में कमी आती है तथा कम समय में परिणाम घोषित करती है। ईवीएम के इस्तेमाल से जाली मतदान तथा बूथ कब्जा करने की घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। इसे निरक्षर लोग ईवीएम को मत पत्र प्रणाली से अधिक आसान पाते हैं। मत-पेटिकाओं की तुलना में ईवीएम को पहुंचाने तथा वापस लाने में आसानी होती है।

ईवीएम का क्रमिक विकास

  • ईवीएम का पहली बार इस्तेमाल मई, 1982 में केरल के परूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के 50 मतदान केन्द्रों पर हुआ|
  • 1983 के बाद इन मशीनों का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया कि चुनाव में वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल को वैधानिक रुप दिये जाने के लिए उच्चतम न्यायालय का आदेश जारी हुआ था। दिसम्बर, 1988 में संसद ने इस कानून में संशोधन किया तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में नई धारा-61ए जोड़ी गई जो आयोग को वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल का अधिकार देती है। संशोधित प्रावधान 15 मार्च 1989 से प्रभावी हुआ।
  • केन्द्र सरकार द्वारा फरवरी, 1990 में अनेक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों वाली चुनाव सुधार समिति बनाई गई। भारत सरकार ने ईवीएम के इस्तेमाल संबंधी विषय विचार के लिए चुनाव सुधार समिति को भेजा।
  • भारत सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इसमें प्रो.एस.सम्पत तत्कालीन अध्यक्ष आर.ए.सी, रक्षा अनुसंधान तथा विकास संगठन, प्रो.पी.वी. इनदिरेशन (तब आईआईटी दिल्ली के साथ) तथा डॉ.सी. राव कसरवाड़ा, निदेशक इलेक्ट्रोनिक्स अनुसंधान तथा विकास केन्द्र, तिरूअनंतपुरम शामिल किए गए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये मशीनें छेड़छाड़ मुक्त हैं।
  • 24 मार्च 1992 को सरकार के विधि तथा न्याय मंत्रालय द्वारा चुनाव कराने संबंधी कानूनों, 1961 में आवश्यक संशोधन की अधिसूचना जारी की गई।
  • आयोग ने चुनाव में नई इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों के वास्तविक इस्तेमाल के लिए स्वीकार करने से पहले उनके मूल्यांकन के लिए एक बार फिर तकनीकी विशेषज्ञ समिति का गठन किया। प्रो.पी.वी. इनदिरेशन, आईआईटी दिल्ली के प्रो.डी.टी. साहनी तथा प्रो.ए.के. अग्रवाल इसके सदस्य बने।
  • तब से निर्वाचन आयोग ईवीएम से जुड़े सभी तकनीकी पक्षों पर स्वर्गीय प्रो.पी.वी. इनदिरेशन (पहले की समिति के सदस्य), आईआईटी दिल्ली के प्रो.डी.टी. साहनी तथा प्रो.ए.के. अग्रवाल से लगातार परामर्श लेता है। नवम्बर, 2010 में आयोग ने तकनीकी विशेषज्ञ समिति का दायरा बढ़ाकर इसमें दो और विशेषज्ञों-आईआईटी मुम्बई के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.डी.के. शर्मा तथा आईआईटी कानपुर के कम्प्यूटर साइंस तथा इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. रजत मूना (वर्तमान महानिदेशक सी-डैक) को शामिल किया।
  • नवम्बर, 1998 के बाद से आम चुनाव/उप-चुनावों में प्रत्येक संसदीय तथा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत 2004 के आम चुनाव में देश के सभी मतदान केन्द्रों पर 10.75 लाख ईवीएम के इस्तेमाल के साथ ई-लोकतंत्र में परिवर्तित हो गया। तब से सभी चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है।

ईवीएम की विशेषताएँ

  • यह छेड़छाड़ मुक्त तथा संचालन में सरल है
  • नियंत्रण इकाई के कामों को नियंत्रित करने वाले प्रोग्राम "एक बार प्रोग्राम बनाने योग्य आधार पर"माइक्रोचिप में नष्ट कर दिया जाता है। नष्ट होने के बाद इसे पढ़ा नहीं जा सकता, इसकी कॉपी नहीं हो सकती या कोई बदलाव नहीं हो सकता।
  • ईवीएम मशीनें अवैध मतों की संभावना कम करती हैं, गणना प्रक्रिया तेज बनाती हैं तथा मुद्रण लागत घटाती हैं।
  • ईवीएम मशीन का इस्तेमाल बिना बिजली के भी किया जा सकता है क्योंकि मशीन बैट्री से चलती है।
  • यदि उम्मीदवारों की संख्या 64 से अधिक नहीं होती तो ईवीएम के इस्तेमाल से चुनाव कराये जा सकते हैं।
  • एक ईवीएम मशीन अधिकतम 3840 वोट दर्ज कर सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है? इसकी कार्यप्रणाली मतदान करने की पारम्परिक प्रणाली से किस प्रकार भिन्न है?


उत्तर : इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पांच-मीटर केबल द्वारा जुड़ी दो यूनिटों-एक कंट्रोल यूनिट एवं एक बैलेटिंग यूनिट-से बनी होती है। कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास होती है तथा बैलेटिंग यूनिट वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर रखी होती है। बैलेट पेपर जारी करने के बजाए, कंट्रोल यूनिट का प्रभारी मतदान अधिकारी बैलेट बटन को दबाएगा। यह मतदाता को बैलेटिंग यूनिट पर अपनी पसंद के अभ्यर्थी एवं प्रतीक के सामने नीले बटन को दबाकर अपना मत डालने के लिए सक्षम बनाएगा।


निर्वाचनों में ईवीएम का पहली बार चलन कब शुरू किया गया?


उत्तर : वर्ष 1989-90 में विनिर्मित इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का प्रयोगात्मक आधार पर पहली बार नवम्बर, 1998 में आयोजित 16 विधान सभाओं के साधारण निर्वाचनों में इस्तेमाल किया गया। इन 16 विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्रों में से मध्य प्रदेश में 5, राजस्थान में 5, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में 6 विधान सभा निर्वाचन-क्षेत्र थे।


उन क्षेत्रों में जहां बिजली नहीं है, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है?


उत्तर : ईवीएम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलूर एवं इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड; हैदराबाद द्वारा विनिर्मित 6 वोल्ट की एल्कलाइन साधारण बैटरी पर चलती है। अत:, ईवीएम का ऐसे क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं हैं।


अधिकतम कितने मतों को ईवीएम में डाला जा सकता है


उत्तर : ईवीएम में अधिकतम 3840 मत दर्ज किए जा सकते हैं। जैसाकि सामान्य तौर पर होता है, एक मतदान केन्द्र में निर्वाचकों की कुल संख्या 15,00 से अधिक नहीं होगी फिर भी, ईवीएम की क्षमता पर्याप्त से अधिक है।


अधिकतम कितने अभ्यार्थियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें काम कर सकती हैं?


उत्तर : ईवीएम अधिकतम 64 अभ्यार्थियों के लिए काम कर सकती है। एक बैलेटिंग यूनिट में 16 अभ्यार्थियों के लिए प्रावधान है। यदि अभ्यार्थियों की कुल संख्या16 से अधिक हो जाती है तो पहली बैलेटिंग यूनिट के साथ-साथ एक दूसरी बैलटिंग यूनिट जोड़ी जा सकती है। इसी प्रकार, यदि अभ्यार्थियों की कुल संख्या 32 से अधिक हो तो एक तीसरी बैलेटिंग यूनिट जोड़ी जा सकती है और यदि अभ्यथर्थियों की कुल संख्या 48 से अधिक हो तो एक चौथी यूनिट अधिकतम 64 अभ्यार्थियों के लिए काम करने हेतु जोड़ी जा सकती है।


यदि किसी निर्वाचन-क्षेत्र में निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यार्थियों की संख्या 64 से अधिक हो जाए तो क्यां होगा?


उत्तर : यदि किसी निर्वाचन-क्षेत्र में निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यार्थियों की संख्या 64 से अधिक हो जाए तो ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ऐसे निर्वाचन क्षेत्र में मत पेटी एवं मत पत्र के माध्यम से किए जाने वाले मतदान की पारम्पररिक प्रणाली को अपनाना पड़ेगा।


यदि किसी खास मतदान केन्द्र में ईवीएम खराब हो जाए तो क्या होगा?


उत्तर : एक अधिकारी को मतदान के दिन लगभग 10 मतदान केन्द्रों को कवर करने के लिए ड्यूटी पर लगाया जाता है। वे अपने पास अतिरिक्त ईवीएम रखे रहेंगे और खराब ईवीएम को नई ईवीएम से बदला जा सकता है। ईवीएम के खराब होने के चरण तक दर्ज मत कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में सुरक्षित रहेंगे और ईवीएम के खराब होने के बाद से मतदान प्रक्रिया जारी रखना पर्याप्त होगा। प्रारम्भ से, मतदान शुरू करना आवश्यक नहीं है।


ईवीएम को किसने बनाया है?


उत्तर :इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें ढेरों बैठकें करने, प्रोटोटाइपों की परीक्षण-जांच करने एवं व्यापक फील्ड ट्रायलों के बाद दो लोक उपक्रमों अर्थात भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलूर एवं इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया, हैदराबाद के सहयोग से निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार एवं डिजाइन की गई है। अब, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें उपर्युक्त दो उपक्रमों द्वारा विनिर्मित की जाती हैं।


मशीन की लागत क्या है? क्या‍ ईवीएम का प्रयोग करना अत्याधिक खर्चीला नहीं है?


उत्तर : वर्ष 1989-90 में जब मशीनें खरीदी गई थीं उस समय प्रति ईवीएम (एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलेटिंग यूनिट एवं एक बैटरी) की लागत 5500/- थी। यद्यपि, प्रारंभिक निवेश किंचित अधिक है, लाखों मत पत्रों के मुद्रण, उनके परिवहन, भंडारण आदि, और मतगणना स्टाक एवं उन्हें भुगतान किए जाने वाले पारिश्रमिक में काफी कमी हो जाने की दृष्टि से हुई बचत के द्वारा अपेक्षा से कहीं अधिक निष्प्रभावी हो जाता है।


हमारे देश की जनसँख्या के एक काफी बड़े हिस्से के निरक्षर होने के परिणामस्वरूप क्या इससे निरक्षर मतदाताओं के लिए समस्या नहीं उत्पन्न होगी?


उत्तर : दरअसल, ईवीएम के द्वारा मतदान किया जाना पारम्परिक प्रणाली की तुलना में कहीं अधिक सरल है जिसमें एक व्यक्ति को अपनी-अपनी पसंद के अभ्यार्थी के प्रतीक पर या उसके समीप मतदान का निशान लगाना पड़ता है, पहले उसे उर्ध्वादधर रूप में और फिर क्षैतिज रूप में मोड़ना पड़ता है और उसके बाद उसे मत पेटी में डालना पड़ता है। ईवीएम में, मतदाता को केवल अपनी पसंद के अभ्यकर्थी एवं प्रतीक के सामने नीला बटल दबाना होता है और मत दर्ज हो जाता है। ग्रामीण एवं निरक्षर लोगों को अपना मत दर्ज करने में कोई कठिनाई नहीं होती है और उन्होंने तो बल्कि ईवीएम के उपयोग का स्वागत किया है।


क्या ईवीएम के उपयोग से बूथ-कैप्चरिंग को रोका जा सकता है?


उत्तर : बूथ कैप्चरिंग से तात्पर्य यदि यह है कि मत पेटियों या मत पत्रों को ले जाना या उन्हें क्षतिग्रस्त करना तो ईवीएम के उपयोग द्वारा उस बुराई को नहीं रोका जा सकता है क्योंकि ईवीएम भी उपद्रवियों द्वारा बलपूर्वक भी ले जाए जा सकते हैं या क्षतिग्रस्त किए जा सकते हैं। परन्तु यदि बूथ कैप्चलरिंग को उपद्रवियों द्वारा मतदान कर्मियों को धमकाने तथा मतदान पत्रों में प्रतीक पर मुहर लगाने तथा चंद मिनटों में भाग निकलने के मामले के रूप में देखा जाता है तो इसे ईवीएम के उपयोग द्वारा रोका जा सकता है। ईवीएम की प्रोग्रामिंग इस प्रकार की गई है कि मशीनें एक मिनट में केवल पांच मतों को ही दर्ज करेगी। चूंकि मतों का दर्ज किया जाना अनिवार्य रूप से कंट्रोल यूनिट तथा बैलेटिंग यूनिट के माध्यम से ही किया जाना, इसलिए उपद्रवियों की संख्या चाहे कितनी भी हो, वे केवल 5 मत प्रति मिनट की दर से ही मत दर्ज कर सकते हैं। मत पत्रों के मामले में, उपद्रवी एक मतदान केन्द्र के लिए निर्दिष्ट सभी 1000 विषम मत पत्रों को आपस में बांट सकते हैं, उन पर मुहर लगा सकते हैं, उन्हें मत पेटियों में ठूंस सकते हैं तथा पुलिस बलों के अधिक संख्या में पहुंचने से पहले भाग सकते हैं। प्रत्ये क आधे घंटे में उपद्रवी अधिकतम 150 मतों को ही दर्ज कर सकते हैं और तब तक इस बात की संभावनाएं हैं कि पुलिस बल पहुंच जाए। इसके अतिरिक्त, पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी द्वारा मतदान केन्द्र के भीतर जैसे ही कुछ बाहरी व्यक्तियों को देखा जाए तो उनके पास “बंद” बटन दबाने का विकल्पे हमेशा रहेगा। एक बार ‘बंद’ बटन दबा देने के पश्चा त कोई भी मत दर्ज करना संभव नहीं होगा और इससे बूथ पर कब्जा करने वालों का प्रयास निष्फल हो जाएगा।


क्या यह संभव है कि संसदीय एवं राज्य विधान सभाओं के लिए एककालिक निर्वाचनों के लिए ईवीएम का प्रयोग किया जाए?


उत्तर : हां, संसदीय एवं राज्य विधान सभाओं के एककालिक निर्वाचनों के लिए ईवीएम का उपयोग करना संभव है और मौजूदा ईवीएम इसी अपेक्षा को ध्यान में रख कर डिज़ाइन किए गए हैं।


ईवीएम के उपयोग के क्या-क्या फायदे हैं?


उत्तर : सबसे महत्वपूर्ण फायदा यह है कि लाखों-करोड़ों की संख्या में मत पत्रों की छपाई से बचा जा सकता है क्यों कि प्रत्येक अलग-अलग निर्वाचक के लिए एक मत पत्र के बजाय प्रत्येक मतदान केन्द्र पर बैलेटिंग यूनिट पर केवल एक मत पत्र लगाया जाना अपेक्षित है। इसके परिणामस्वरूप कागज, मुद्रण, परिवहन, भंडारण एवं वितरण की लागत के रूप में भारी बचत होती है। दूसरे, मतगणना बहुत तेजी से होती है और पारम्परिक प्रणाली के अंतर्गत औसतन, 30-40 घंटों की तुलना में 2 से 3 घंटों के भीतर परिणाम घोषित किए जा सकते हैं। तीसरे, ईवीएम मतदान प्रणाली के अंतर्गत कोई अमान्य मत नहीं होता है। इसकी महत्ता तब बेहतर तरीके से समझी जाएगी, जब यह याद किया जाए कि प्रत्येक साधारण निर्वाचन में कई निर्वाचन क्षेत्रों में अमान्य मतों की संख्या विजयी अभ्यार्थी एवं द्वितीय स्थान -प्राप्त अभ्यार्थी के बीच जीत के अंतर से अधिक होती है। इस सीमा की दृष्टि से निर्वाचकों की पसंद उस परिस्थिति में अधिक उचित तरीके से परिलक्षित होती है जब ईवीएम का इस्तेपमाल किया जाता है।


क्या ईवीएम का उपयोग मतदान की गति धीमी कर देता है?


उत्तर : नहीं दरअसल, ईवीएम उपयोग से मतदान की गति और तेज हो जाती है क्योंकि मतदाता के लिए यह आवश्यक नहीं होता है कि पहले वह मतपत्र को खोलें, अपनी पसंद चिह्नित करें, फिर उसे मोड़ें और वहां जाएं जहां मत पेटी रखी गई है और उसे पेटी में डालें। ईवीएम प्रणाली के अंतर्गत उसे केवल अपनी पसंद के अभ्यार्थी एवं प्रतीक के समीप बटन को दबाना होता है।


मत पेटियों के मामले में मतगणना मत पत्रों के मिलाए जाने के बाद की जाती है। क्या ईवीएम का उपयोग किए जाने के समय इस प्रणाली को अपनाया जाना संभव है?


उत्तर : सामान्य नियम यह है कि मतों की गणना मतदान केन्द्र-वार की जाए और तब ठीक वही किया जाता है जब प्रत्येक मतदान केन्द्र में ईवीएम का उपयोग किया जाता है। मतगणना की मिक्सिंग प्रणाली का केवल उन निर्वाचन क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जाता है जो निर्वाचन आयोग द्वारा विशेष रूप से अधिसूचित हों। ऐसे मामलों में भी प्रत्येक ईवीएम से प्राप्त परिणाम मास्टतर मतगणना मशीन में डाले जा सकते हैं जिसमें केवल एक विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के कुल परिणाम का पता चलेगा न कि अलग-अलग मतदान केन्द्र के परिणाम का।


कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में परिणाम कितने समय तक रहता है?


उत्तर : कंट्रोल यूनिट, की मेमोरी में, परिणाम, 10 वर्ष और उससे भी अधिक समय तक रहता है।


जब कभी याचिका दायर की जाती है, तो निर्वाचन के परिणाम अंतिम निष्कर्ष के अध्यधीन होते हैं। न्यायालय, उपयुक्त मामलों में, मतों की पुनर्गणना का आदेश दे सकता है। क्या ईवीएम को इतने लम्बे समय के लिए स्‍टोर किया जा सकता है और क्या न्यायालयों द्वारा प्राधिकृत अधिकारियों की उपस्थिति में परिणाम लिया जा सकता है? क्या बैटरी लीक नहीं होगी या ईवीएम को अन्य था नुकसान नहीं होगा?


उत्तर : बैटरी की आवश्यकता केवल मतदान और मतगणना के समय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को सक्रिय करने के लिए होती है। ज्यों ही मतदान समाप्त होता है बैटरी को बंद किया जा सकता है और उसका (बैटरी का केवल) मतगणना के समय चालू किया जाना जरूरी होता है। परिणाम लेने के तुरन्तह बाद बैटरी हटाई जा सकती है और अलग रखी जा सकती है। इसलिए, बैटरी लीक होने का या अन्यथा ईवीएम को नुकसान पहुंचने का कोई प्रश्न ही नहीं होता बैटरी निकाल दिए जाने के बाद भी माइक्रोचिप में मेमोरी ज्यों की त्यों बनी रहती है। यदि न्यायालय पुनर्गणना करने का आदेश देता है तो कंट्रोल यूनिट में बैटरी लगाकर उसे पुन: सक्रिय किया जा सकता है और वह मेमोरी में संग्रहीत परिणाम प्रदर्शित करेगी।


क्या बटन को बार-बार दबाकर एक से अधिक बार मतदान करना सम्भव है?


उत्तर : नहीं, जैसे ही बैलेटिंग यूनिट पर एक विशेष बटन को दबाया जाता है, उस विशेष अभ्यार्थी के लिए मत दर्ज हो जाता है और मशीन लॉक हो जाती है। उस परिस्थिति में भी जब (चाहे) कोई व्यक्ति उस बटन को या किसी अन्य बटन को आगे और दबाता है, तो और कोई भी मत दर्ज नहीं होगा। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनें इस तरह से ''एक व्यक्ति, एक मत'' का सिद्धांत सुनिश्चित करती हैं।


एक मतदाता इस बात के प्रति कैसे आश्वस्त होगा कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन काम कर रही है और उसका मत दर्ज हो गया है?


उत्तर :जैसे ही मतदाता अपनी पसंद के अभ्यार्थी और प्रतीक के सामने लगे ''नीले बटन'' को दबाता है, प्रतीक के बायीं ओर लगे एक छोटे-से लैम्प में लाल बत्ती जल उठती है और साथ ही साथ, एक लम्बी बीप ध्वनि सुनाई देती है। इस प्रकार, मतदाता को आश्वस्त करने के लिए ऑडियो और वीडियो दोनों में संकेत मैजूद होते है कि उसका मत दर्ज हो गया है।


क्या यह सही है कि कभी-कभी लघु परिपथिकी या अन्य‍ कारण से 'नीला बटन' दबाते समय मतदाओं को बिजली का झटका लगने की संभावना होती है?


उत्तर : नहीं, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन 6-वोल्ट की बैटरी पर कार्य करती है और 'नीला बटन' दबाते समय या बैले‍टिंग यूनिट को हैंडल करते हुए किसी भी समय मतदाता को बिजली का झटका लगने की बिल्कुल भी संभावना नहीं है।


क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को प्रारंभ में ही इस तरह प्रोग्राम करना है कि मान लीजिए 100 मतों तक, संभव है कि मत ठीक उसी तरीके से दर्ज होंगे जैसे कि 'नीले बटन' दबाए गए हैं लेकिन, उसके बाद मत केवल एक खास अभ्यार्थी के पक्ष में ही दर्ज होंगे, चाहें 'नीला बटन' उस अभ्यार्थी के सामने या किसी अन्यथ अभ्यार्थी के सामने दबाया गया हो?


उत्तर :इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों में प्रयुक्त माइक्रोचिप आयात के समय सील बंद की जाती है। यह खोली नहीं जा सकती और चिप को क्षतिग्रस्त किए बगैर किसी भी व्यक्ति द्वारा इस प्रोग्राम को रिराइट किया जा सकता। इसलिए, किसी विशेष अभ्यार्थी या राजनैतिक दल का चयन करने के लिए ईवीएम की एक खास तरीके से प्रोग्रामिंग करने की बिल्कुल भी संभावना नहीं है।


क्या मतदान केन्द्रों तक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को पहुंचाना मुश्किल नहीं होगा?


उत्तर : नहीं। इसके बजाय मतदान पेटियों की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का परिवहन अपेक्षाकृत अधिक आसान होगा, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें हल्की, वहनीय होती हैं और ढोए जाने के लिए पॉलीप्रोपीलीन खोलों में आती है।


देश के बहुत से क्षेत्रों में, विद्युत कनेक्शन नहीं होते हैं और जिन स्थानों में विद्युत का कनेक्शन है भी, वहां ऊर्जा आपूर्ति अनियमित है। ऐसी परिस्थिति में, क्या बिना वातानुकूलन के मशीनों को संग्रहीत करने में समस्या उत्पन्न नहीं होगी?


उत्तर : कमरे/हॉल जहां इलेक्ट्रॉ्निक वोटिंग मशीन की जाती है, को वातानुकूलित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जरूरी बात केवल यह है कि कमरे/हॉल को धूल, नमी और कृतकों (चूहा, गिलहरी आदि) से मुक्त रखा जाए जैसा कि मतपेटियों के मामले में किया जाता है।


परंपरागत प्रणाली में, किसी भी खास समय-बिंदु पर डाले गए मतों की कुल संख्या को जानना संभव होगा। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में, 'परिणाम' वाला भाग सील बंद कर दिया जाता है और केवल मतगणना के समय ही खोला जाएगा। मतदान के दिन डाले गए मतों की कुछ संख्या किस प्रकार जानी जा सकती है?


उत्तर :इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर 'परिणाम' बटन के अलावा एक 'टोटल' बटन भी होता है। इस बटन को दबाने पर बटन को दबाए जाने के समय तक डाले गए मतों की कुल संख्या अभ्यार्थी-वार गणना को दर्शाए बिना, प्रदर्शित हो जाएगी।


बैलेटिंग यूनिट में 16 अभ्यार्थियों के लिए व्यकवस्था की गई होती है। एक निर्वाचन-क्षेत्र में केवल 10 अभ्यार्थी हैं। मतदाता 11 से 16 तक के बटनों में से किसी भी बटन को दबा सकता है। क्या ये मत व्यर्थ नहीं जाऐंगे?


उत्तर : नहीं। अभ्यर्थी संख्यांओं 11 से 16 तक के लिए पैनलों को इस्तेमाल से पहले छिपा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, अभ्यार्थी 11 से 16 तक के लिए अभ्यार्थियों के मतों का दर्ज किया जाना इलेक्ट्रॉनिक रूप से बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि अभ्यार्थियों के स्विच को 10 पर ही सेट किया जाएगा। किसी मतदाता द्वारा 11 से 16 तक के अभ्यार्थियों के लिए कोई बटन दबाने या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में इन अभ्यार्थियों के लिए मत दर्ज होने का सवाल ही नहीं उठता।


मत पेटियां उत्कीवर्ण होती है ताकि इन पेटियों को बदले जाने संबंधी शिकायत की कोई संभावना न रहे। क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के संख्या कन की कोई प्रणाली है?


उत्तर : हां। प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में एक विशिष्ट आई डी नम्बर होता है, जो प्रत्येक यूनिट पर स्थायी मार्कर के द्वारा पेंट किया जाता है। पोलिंग एजेंट को यह आई डी नम्बर नोट करने की अनुमति दी जाएगी और इसे इस प्रयोजन के लिए रखे गए रजिस्टर में भी रिटर्निंग अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाएगा। कन्ट्रोपल यूनिट के साथ संलग्नक (जोड़े गए) एड्रेस टैग पर भी यह आई डी नम्बर दर्शित होगा। इसलिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को बदले जाने का प्रश्न ही नहीं उठता।


क्या? कोई ऐसा प्रावधान है जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का प्रयोग करने के समय निविदत मत पत्रों को जारी किया जाए?


उत्तर : हां। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की प्रणाली के अंतर्गत भी निविदत्त मतपत्रों को जारी किए जाने का प्रावधान है। परन्तु , जब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो, संबंधित मतदाता को एक साधारण मतपत्र जारी किया जाएगा। उपलब्ध कराए गए रबड़ की मोहर से मतपत्र पर ऐरो क्रॉस से निशान लगाए जाने के बाद निविदत्त‍ मतपत्र को पीठासीन अधिकारी द्वारा इस विशेष रूप से उपलब्ध करवाए गए एक लिफाफे के भीतर रखा जाएगा, और सीलबंद किया जाएगा।


पारम्परिक प्रणाली में, मतदान प्रारंभ होने से पहले पीठासीन अधिकारी उपस्थित मतदान अभिकर्ताओं को यह दिखाते हैं कि मतदान केन्द्र में प्रयुक्त होने वाली मतदान पेटी खाली है। क्या मतदान अभिकर्ताओं को संतुष्ट करने का कोई ऐसा प्रावधान है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में पहले से ही दर्ज किए गए छिपे हुए मत नहीं हैं?


उत्तर : हां। मतदान प्रारंभ होने से पहले, पीठासीन अधिकारी उपस्थित मतदान अभिकर्ताओं के समक्ष परिणाम बटन दबाकर यह दिखाता है कि मशीन में पहले से ही दर्ज किए गए छिपे हुए मत नहीं है। तदुपरांत, वे मतदान अभिकर्ताओं को अपने-अपने मत दर्ज करने के लिए कह कर मॉक पोल का संचालन करेंगे और उन्हें संतुष्ट करने के लिए परिणाम निकालेंगे कि दर्शाया गया परिणाम ठीक उसी तरह है जैसाकि उन्होंने दर्ज किया है। इसके तत्पश्चात, पीठासीन अधिकारी वास्तविक मतदान प्रारम्भ होने से पहले मॉक पोल के परिणाम को हटाने (क्लीयर करने) के लिए क्लियर बटन दबाएंगे।


मतदान समाप्त होने के पश्चात और मतगणना शुरू होने से पहले इच्छुक दलों द्वारा किसी भी समय और अधिक मत दर्ज करने की सम्भावना को किस प्रकार दूर किया जा सकता है?


उत्तर : जैसे ही आखिरी मतदाता, मतदान कर लेता है, कंट्रोल यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी 'क्लोआज' बटन दबाएंगे। इसके उपरांत, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन कोई भी मत स्वीकार नहीं करेगी। इसके अतिरिक्ति, मतदान समाप्त होने के पश्चात, बै‍लेटिंग यूनिट को कंट्रोल यूनिट से अलग किया जाता है और पृथक रूप से रखा जाता है। वोटों को केवल बैलेटिंग यूनिट के माध्यम से ही दर्ज किया जा सकता हैं। पुन:, पीठासीन अधिकारी, मतदान की समाप्ति पर उपस्थित प्रत्येक मतदान अभिकर्ता को दर्ज किए गए मतों का लेखा-जोखा पेश करेगा। मतों की गणना के समय, इस लेखा से कुल योग का मिलान किया जाएगा और यदि कोई विसंगति है तो उसका मतगणना अभिकर्ता के द्वारा उल्लेख किया जाएगा।






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Gurjeet kaur on 13-06-2020

Vote dalne wali peti

ka naam answer





नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment