Balak Ka Vikash Anuvanshikta Tatha Watavaran Ka Gunanfal Hai बालक का विकास आनुवंशिकता तथा वातावरण का गुणनफल है

बालक का विकास आनुवंशिकता तथा वातावरण का गुणनफल है



GkExams on 12-05-2019

वंशानुक्रम: जीवों के मानसिक एवं शारीरिक गुणों का एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में स्थानांतरण को वंशानुक्रम या आनुवंशिकता कहते हैं. अर्थात जीवों को अपने माता-पिता से शारीरिक तथा मानसिक गुण प्राप्त होते हैं. यह नियम मनुष्य सहित सभी जीवों पर लागू होता है. हमें यह देखने को मिलता है कि विद्वान माता-पिता के बालक विद्वान होते हैं. परन्तु यह भी देखा जाता है कि विद्वान माता-पिता के बालक मूर्ख और मूर्ख माता-पिता के बालक विद्वान होते हैं. इसका कारण यह है कि बालक को न केवल अपने माता-पिता से वरन उनसे पहले के पूर्वजों से भी शारीरिक और मानसिक गुण प्राप्त होते हैं. इसी को वंशानुक्रम या आनुवंशिकता कहते हैं.
विभिन्न विद्वानों ने अनुवांशिकता को इस प्रकार परिभाषित किया है:
बीएन झा: “वंशानुक्रम, व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है”
पी. जिस्वर्ट: “ प्रकृति में प्रत्येक पीढ़ी का कार्य माता-पिता द्वारा संतानूं में कुछ जैवकीय या मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का हस्तांतरण करना है. इस प्रकार हस्तांतरित विशेषताओं की मिली जुली गठरी को वंशानुक्रम कहा जाता है.
एच ए पीटरसन: “व्यक्ति को अपने माता-पिता से अपने पूर्वजों की जो विशेषताएं प्राप्त होती है उसे उसे वंशानुक्रम कहा जाता है.”
जेम्स ड्रेवस: “माता-पिता की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का संतानों में हस्तांतरण होना वंशानुक्रम कहलाता है”
मनुष्य के विकास तथा व्यवहार पर आनुवांशिक और पर्यावरणीय गुणों का प्रभाव पड़ता है. कहने का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक गुण उसके वंशक्रम तथा वातावरण द्वारा निर्धारित होता है. मनुष्य कुछ जन्म जात गुणों को माता-पिता से लेकर आता है, तो कुछ अपने परिवेश से प्राप्त करता है. प्रारंभिक विद्वानों का यह मत था कि बीज के अनुसार वृक्ष और फल उत्पन्न होते हैं अर्थात माता-पिता के अनुसार ही उसकी संतान होती है. लेकिन आधुनिक विद्वानों, विशेष रूप से व्यव्हारवादियों ने वातावरण को अधिक महत्व दिया. लेकिन वास्तविकता में मनुष्य के विकास और व्यवहार पर दोनों की स्पष्ट छाप होती है. वंशानुक्रम को बीज और पर्यवरण को पोषण के रूप में मन जा सकता है. यह आम धारणा है कि जैसा बीज होगा वेसी उत्पत्ति होगी, परन्तु पोषण विकास की गुणवत्ता को बढ़ा देता है.
  • प्रसिद्द मनोविज्ञानी बीजमैन के अनुसार “शरीर का निर्माण करने वाला मूल जीवाणु हमेशा निरंतर रहता है यह कभी नष्ट नहीं होता, यह अंड कोष से शुक्र कोष के द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होता रहता है.”
  • “समान माता-पिता समान संतान को जन्म देता है, अर्थात जैसे माता-पिता होंगे संताने भी उसी अनुरूप उत्पन्न होगी.”
  • मनोवैज्ञानिक गाल्टन के अनुसार “ व्यक्ति अपने माता-पिता से ही सभी गुणों को प्राप्त नहीं करता बल्कि अपने कई पीढ़ी आगे के पूर्वजों के गुणों को भी ग्रहण करता है, साथ ही माता के पक्ष से भी समान अनुपात में आनुवंशिक गुणों को ग्रहण करता है”
  • “माता-पिता के द्वारा अर्जित गुणों का संक्रमण उनकी संतानों में नहीं होता है, जैसे शारीरिक श्रम करते करते एक स्त्री-पुरुष के हाथ कठोर हो जाएँ तो उनकी त्वचा पर हुए इस परिवर्तन का प्रभाव उनके संतानों पर नहीं पड़ता
  • “बीजकोष में पाए जाने वाले जीन विभिन्न प्रकार से संयुक्त होकर एक दूसरे से भिन्न बच्चों का निर्माण करते हैं”
  • “वंशानुक्रम में विपरीत गुण भी उत्पन्न हो जाते हैं, अर्थात बुद्धिमान माता-पिता के मूर्ख संतान तथा मूर्ख माता-पिता के बुद्धिमान संतान का जन्म हो जाना स्वाभाविक बात है.” इसे प्रत्यागमन का सिद्धांत कहते हैं.
बालक पर वंशानुक्रम का प्रभाव:
  • थोर्नडाईक के अनुसार बालक की मूल शक्तियों का प्रमुख कारण उसका वंशानुक्रम है.
  • कार्ल पीयर्सन के अनुसार माता-पिता की लम्बाई का प्रभाव उनकी संतानों पर पड़ता है अर्थात यदि माता-पिता क लम्बाई कम या अधिक है तो उनके बच्चे की भी लम्बाई कम या अधिक होती है.
  • क्लीनबर्ग के अनुसार बुद्धि की श्रेष्ठता का कारण प्रजाति है. जैसे अमेरिका की श्वेत प्रजाति, नीग्रो से श्रेष्ठ है.
  • कैटल के अनुसार व्यवसायिक योग्यता का मुख्य कारण वंशानुक्रम है

वातावरण का अर्थ: वातावरण, पर्यावरण का पर्यायवाची शब्द है जो दो शब्द परि तथा आवरण से मिलकर बना है. परि का अर्थ होता है चरों ओर एवं आवरण का अर्थ होता है इस आवृत करने वाला अर्थात ढकने वाला. अतः हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के चरों ओर जो कुछ है, वह उसका वातावरण है, इसमें वे सारे तत्व शामिल किये जा सकते हैं जो व्यक्ति के जीवन और व्यवहार को प्रभावित करता है. दूसरे शब्दों में वातावरण का तात्पर्य व्यक्ति के उन सभी तरह की उत्तेजनाओं से है जो गर्भधारण से मृत्यु तक उसे पभावित करती है.
बालक पर वातावरण का प्रभाव:
  • फ्रेंज बोन्स के अनुसार वातावरण में बदलाव के कारण मनुष्य का शारीरिक विकास प्रभावित होता है. उनके अनुसार विभिन्न प्रजातियों के शारीरिक अंतर का कारण वंशानुक्रम न होकर वातावरण है.
  • सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण का प्रभाव बालक के मानसिक विकास पर पड़ता है. उचित सामाजिक और सांस्कृतिक वातावरण न मिलने पर बालक के मानसिक विकास की गति धीमी हो जाती है.
  • क्लार्क के अनुसार कुछ प्रजातियों की श्रेष्ठता का कारण वंशानुक्रम न होकर वातावरण है. अमेरिका में रह रहे नीग्रो प्रजाति का मानसिक स्तर श्वेत प्रजाति की तुलना में भुत निम्न है, क्योंकि उन्हें श्वेत प्रजाति के समान शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक वातावरण उपलब्ध नहीं है.
  • कूले का मत है कि व्यक्तित्व पर वंशानुक्रम की अपेक्षा वातावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है. बहुत से ऐसे विद्वानों के उदहारण हैं जिनका जन्म निर्धन परिवारों में हुआ था फिर भी वे अपने व्यक्तितत्व का विकास करके महान बन सके कयोंकि उनके माता-पिता ने उन्हें उचित वातावरण में रखा
वातावरण का महत्त्व:
  • बालक के विकास पर उसके अपने परिवार, पड़ोस, मोहल्ला तथा खेल के मैदान का पर्याप्त प्रभाव पड़ता है, क्योंकि वह अपना अधिकांश समय यहीं व्यतीत करता है. अतः इन स्थानों के ज्ञान होने पर बालक को उचित निर्देशन देकर उसके विकास को सही दिशा प्रदान की जा सकती है.
  • वातावरण सम्बन्धी ज्ञान बालक की कुसमयोजन सम्बन्धी समस्याओं को सुलझाने में सहायक होता है. यदि कोई बालक दूषित उसकी उपेक्षा न करके ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जिससे उस वातावरण का प्रभाव कम हो सके |
  • बालक के विकास की दिशा काफी कुछ वातावरण द्वारा निर्धारित होता है. अनुकूल वातावरण मिलने पर बालक सदाचारी और चरित्रवान बनता है इसी बात को ध्यान में रख कर अभिभावक विद्यालय से बाहर तथा शिक्षक विद्यालय के भीतर के वातावरण को अनुकूल बनाने का प्रयत्न करता है.
  • मनुष्य के अन्दर अन्तर्निहित शक्तियों का स्वाभाविक विकास उपयुक्त वातावरण में ही हो सकता है. बालक को मूल प्रवृतियाँ उसे वंशानुक्रम से प्राप्त होती है लेकिन उसका समुचित विकास उपयुक्त वातावरण में ही होता है |
  • बालकों की शिक्षा में वातावरण का महत्वपूर्ण स्थान है. बालकों के वातावरण से अछि तरह परिचित होने पर शिक्षक बालकों के बौद्धिक विकास, समायोजन तथा अनुशासन सम्बन्धी समस्याओं को हल करने में समर्थ हो पाते हैं.




सम्बन्धित प्रश्न



Comments



नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Current affairs International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels: , , , , ,
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment