MaSala Udyog Project Report मसाला उद्योग प्रोजेक्ट रिपोर्ट

मसाला उद्योग प्रोजेक्ट रिपोर्ट



Pradeep Chawla on 01-11-2018


भारतीय खाने में मसालों का स्थान हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा हैं.

विश्व में भारतीय खाने की पहचान इसमें डालें गये मसालें ही हैं इसलिए

मसालों की मांग हमेशा मार्किट में बनी रहती हैं. अगर आप अपना व्यवसाय शुरू

करना चाहते हैं तो आप आसानी से मसाले बनाने की यूनिट लगा सकते हैं. इस

बिज़नस में लागत कम आती हैं और प्रॉफिट आपको ज्यादा मिल सकता हैं.



आप अपनी कैपिटल अमाउंट के अनुसार मसाले मैन्युफैक्चरिंग के बिज़नस को

शुरू कर सकते हैं. आप इस बिज़नस को लघु स्तर पर, मध्यम स्तर पर और बड़े

पैमाने पर शुरू कर सकते हैं. अत्यंत लघु स्तर पर मसाले मैन्युफैक्चरिंग

इकाई आप अपने घर पर शुरू कर सकते हैं. हमारे यहाँ मसालों की मांग इतनी हैं

कि लघुतम इकाई भी आपको लाभ ही पहुंचाएगी.



आज के आर्टिकल में हम आपको मसालों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट छोटे स्तर

पर लगाने के विषय में जानकारी देंगे. भारत में सभी प्रकार के मसालों को

उगाया जाता हैं. पहलें घरों में ही मसालों को कुटा जाता था लेकिन अब लोगों

के पास इतना समय ही नहीं हैं. ऐसे में अगर आप ठीक रेट पर अच्छी क्वालिटी का

मसाला उपभोक्ताओं को उपलब्ध करायेंगे तो आपके बिज़नस में आपको फायदा ही

होगा.













ऐसे करें अपने बिज़नस का रजिस्ट्रेशन



आप अपनी मसाला मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को छोटे स्तर पर लगायें या बड़े

स्तर पर आपको रजिस्ट्रेशन की सारी प्रक्रिया को फॉलो करनी पड़ेगी. इस बिज़नस

के रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस कुछ इस तरह से हैं.





  • सबसे पहले आपको ROC का रजिस्ट्रेशन कराना होगा. छोटे स्केल पर या घर से

    ही मसाला मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू करने पर आप one person company

    रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं.





  • आपको लोकल म्युनिसिपल अथॉरिटी से ट्रेड लाइसेंस भी लेना होगा.





  • फ़ूड ऑपरेटर लाइसेंस भी लेना आवश्यक हैं..





  • आपको BIS सर्टिफिकेट भी लेना होगा. मसालों के लिए आपको ये ISI के विभिन्न दिशा निर्देश उपलब्ध है .





Black whole and ground (काली मिर्च) ISI-1798-1961


Chilli powder (मिर्च पाउडर) ISI-2445-1963


Coriander powder (धनिया पाउडर) ISI-2444-1963


Curry powder (करी पाउडर) ISI-1909-1961


Turmeric powder (हल्दी पाउडर ) ISI-2446-1963


Methods of sampling and test of Spices and condiment ISI-1997-196



CFTRI, Mysore,ने एक तकनीकी दिशा निर्देश की जानकारी विकसित की है ,जो AGMARK की सर्टिफिकेशन के लिए आवश्यक मानीं जाती है .



कम पूंजी से शुरू हो सकता है अगरबत्ती (Agarbatti) का उद्योग , होगी मोटी कमाई



मशीनरी व Raw मटेरियल



मसालों के प्रोडक्शन एरिया के लिए लगभग 75 स्क्वायर फीट की जगह की

आवश्यकता होती हैं. पैकिंग एरिया और गोडाउन के लिए 150 स्क्वायर फीट की जगह

चाहिए होगी. मसाले ग्राइंड करने के लिए और उन्हें प्रोसेस करने के लिए

सिंपल मशीनरी और उपकरणों की आवश्यता होती हैं.



मसालों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए आपको dis integrator इंस्टाल कराना

होगा. इसके साथ ही स्पाइस ग्राइंडर और पाउच सीलिंग मशीन की भी आवश्यता

होगी. मसालों का भार तौलने के लिए वेट मशीन का होना भी आवश्यक हैं. इसके

लिए आप पूरी तरह से आटोमेटिक मशीन भी ले सकते हैं. जिसमें ग्राइंडिंग, वेट

मापना ओर पैकिंग सब एक प्रोसेस में अपने आप होता रहेगा.



कच्चे माल में आपको साबुत हलदी, साबुत काली मिर्च, साबुत धनिये की जरूरत

होगी. जितना अच्छा आपका कच्चा माल होगा उतनी ही अच्छी क्वालिटी आपके

प्रोडक्ट की भी होगी.



मसाले बनाने का प्रोसेस



मसाले बनाने के प्रोसेस में साबुत मसालों को साफ़ करना फिर उन्हें

सुखाना, साफ़ व सूखे हुए मसालों को भूनना और उन्हें छानना आदि आता हैं. उसके

बाद मसालों की पैकिंग का काम किया जाता हैं. मसालों की सफाई मैन्युअली की

जाते हैं. साबुत मसालों की सफाई में मसालों से कंकर या मिटी निकली जाती

हैं. फिर मसालों को धुप में सुखाया जाता हैं. उसके बाद मसालों को ग्राइंड

किया जाता हैं. मसाले ग्राइंड करने की मशीन 85,000 रूपये में मिल सकती हैं.




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Ashok Kumar Sonakar on 01-08-2022

हल्दी धनिया काली मिर्च मिर्चा इलायची लवंग

AVISHKAR V KOLAP on 02-08-2019

PROJECT REPORT





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